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Wednesday 25 November 2020 03:13:50 PM
अगरतला। विज्ञान को आम लोगों तक पहुंचाने के उद्देश्य से यहां हर साल होने वाले भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के 10वें संस्करण की वर्चुअल रूपसे शुरुआत हो चुकी है। यह फिल्म महोत्सव भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की स्वायत्त संस्था विज्ञान प्रसार एवं त्रिपुरा स्टेट काउंसिल ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी संयुक्त रूपसे आयोजित कर रहे हैं। फिल्म महोत्सव का उद्घाटन त्रिपुरा के उपमुख्यमंत्री जिष्णुदेव बर्मन चारीलम ने वर्चुअल रूपसे किया है। चार दिवसीय ऑनलाइन फिल्म महोत्सव 27 नवंबर तक चलेगा। इस मौके पर उपमुख्यमंत्री ने कहा कि विज्ञान को फिल्मों के माध्मय से आम जनमानस तक पहुंचाने के लिए किए जा रहे विज्ञान प्रसार के प्रयास प्रशंसनीय है। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर भारत और विशेष रूपसे त्रिपुरा सांस्कृतिक एवं जैव विविधता के साथ-साथ विशिष्ट जीवनशैली के लिए जाना जाता है और यह फिल्मों के माध्यम से विज्ञान को आम लोगों तक ले जाने की सराहनीय पहल है, यह क्षेत्र के लोगों में वैज्ञानिक चेतना के विकास में मददगार होगी।
त्रिपुरा के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग की सचिव तनुश्री देव वर्मा ने कहा कि कोविड-19 की समस्या के साथ-साथ हमें यह अवसर भी मिला है कि हम इस ऑनलाइन आयोजन के जरिए व्यापक जनसमुदाय तक पहुंच सकते हैं, जिसका लाभ बड़े पैमाने पर लोगों को मिल सकता है। उन्होंने कहा कि अपनी विशिष्ट भौगोलिक स्थिति, जैव विविधता एवं जीवन शैली के कारण त्रिपुरा समेत संपूर्ण पूर्वोत्तर भारत युवाओं एवं सांस्कृतिक समुदाय के लिए वैज्ञानिक दृष्टिकोण के विकास के उद्देश्य से बनायी जाने वाली फिल्मों के निर्माण का एक प्रमुख केंद्र हो सकता है। विज्ञान प्रसार के निदेशक डॉ नकुल पाराशर ने कहा कि अपनी तीन दशक की यात्रा में विज्ञान प्रसार ने निरंतर विज्ञान और प्रौद्योगिकी से लोगों को जोड़ने का कार्य किया है, विज्ञान फिल्म महोत्सव इस यात्रा का एक अहम हिस्सा है। गौरतलब है कि 10वां भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव इस वर्ष 18-22 मार्च को अगरतला में होना था, जो अब हो रहा है। इससे पहला विज्ञान फिल्म महोत्सव चंडीगढ़ विश्वविद्यालय में हुआ था।
विज्ञान फिल्म महोत्सव इस वर्ष लॉकडाउन से पहले मार्च में अगरतला में होना था, जिसकी तैयारियां पूरी कर ली गई थीं, लेकिन महामारी के प्रकोप को देखते हुए विज्ञान फिल्म महोत्सव को स्थगित करना पड़ा और अब यह वर्चुअल रूपसे आयोजित किया जा रहा है। डॉ नकुल पाराशर का कहना है कि आज पूरी दुनिया की नज़रें कोरोना वैक्सीन के विकास पर टिकी हुई हैं और हम यह उम्मीद करते हैं कि राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव अपने वास्तविक स्वरूप में आयोजित हो सकेगा। इस वार्षिक फिल्म महोत्सव में इस साल विभिन्न भाषाओं की कुल 372 फिल्मों की प्रविष्टियां प्राप्त हुई हैं। दस सदस्यीय निर्णायक मंडल द्वारा इनमें से चुनी गई 115 फिल्मों को इस ऑनलाइन विज्ञान फिल्म महोत्सव के दौरान प्रदर्शित किया जाएगा। इनमें हिंदी, अंग्रेजी, उर्दू, मलयालम, कश्मीरी, बंगाली, मराठी, पंजाबी और तमिल भाषाओं की फिल्में शामिल हैं। ये फिल्में विभिन्न पेशेवरों, अलग-अलग संस्थानों, निर्माताओं, छात्रों एवं अलग-अलग आयु वर्ग के लोगों ने बनाई हैं।
डॉ नकुल पाराशर ने बताया कि विज्ञान फिल्म महोत्सव के लिए डॉक्यूमेंट्री, डॉक्यू-ड्रामा, एनिमेशन एवं साइंस फिक्शन वर्गों में फिल्में आमंत्रित की गई थीं। ये फिल्में विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, ऊर्जा, पर्यावरण, जल प्रबंधन, स्वास्थ्य एवं औषधि, बायोग्राफी, कृषि, परंपरागत ज्ञान और विज्ञान के इतिहास जैसे विषयों पर केंद्रित हैं। फिल्म महोत्सव में सरकारी अनुदान पर आधारित फिल्मों के साथ-साथ स्वतंत्र फिल्म निर्माताओं, मीडिया अध्ययन संस्थानों, कॉलेज छात्रों एवं विश्वविद्यालयों और स्कूली छात्रों की फिल्मों के लिए मुख्य रूपसे आवेदन आमंत्रित किए जाते हैं। फिल्मों के प्रदर्शन के अलावा इस वर्चुअल महोत्सव में विज्ञान, मीडिया, स्वास्थ्य और सिनेमैटोग्राफी जैसे विषयों पर चर्चाएं भी आयोजित होंगी। आयोजन के आखिरी दिन पुरस्कृत होने वाली उत्कृष्ट विज्ञान फिल्मों के नामों की घोषणा की जाएगी।
विज्ञान प्रसार के वरिष्ठ वैज्ञानिक और भारतीय राष्ट्रीय विज्ञान फिल्म महोत्सव के प्रमुख निमिष कपूर ने बताया कि विज्ञान, प्रौद्योगिकी, नवाचार, ऊर्जा, पर्यावरण, चिकित्सा, कृषि और पारंपरिक ज्ञान को लोकप्रिय बनाने वाली फिल्मों के माध्यम से वैज्ञानिक दृष्टिकोण को बढ़ावा देने के लिए यह आयोजन किया जाता है। उनका कहना है कि विज्ञान को बढ़ावा देने के साथ-साथ इसका उद्देश्य विज्ञान आधारित फिल्मों और उनके निर्माताओं के काम को प्रोत्साहित करना भी है। विज्ञान फिल्म महोत्सव के निर्णायक मंडल में शामिल जाने-माने फिल्ममेकर गिरीश कासारवल्ली, मशहूर फिल्ममेकर एवं सिनेमा शिक्षाविद अभिजीत दास गुप्ता, मीडिया शिक्षाविद शंभूनाथ सिंह और दूरदर्शन के अतिरिक्त महानिदेशक अनिल कुमार श्रीवास्तव ने भी इस अवसर पर समाज में वैज्ञानिक चेतना के प्रसार मे विज्ञान फिल्मों के महत्व को रेखांकित किया है। विज्ञान प्रसार की वेबसाइट पर जाकर इस विज्ञान फिल्म महोत्सव से वर्चुअल रूप में जुड़ा जा सकता है।