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Thursday 26 November 2020 02:52:20 PM
गंगटोक/ नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने विश्वविद्यालयों और शिक्षा प्रदाताओं का आह्वान किया है कि वे शिक्षा प्रणाली का पुनर्मूल्यांकन करें और इसे अधिक मूल्य आधारित, समग्र तथा पूर्ण बनाएं। उपराष्ट्रपति आज सिक्किम की आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी के 13वें ई-दीक्षांत समारोह को वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए संबोधित कर रहे थे। उपराष्ट्रपति ने शिक्षा प्रदाताओं से कहा कि वे हमारी समग्र वैदिक शिक्षा प्रणाली से प्रेरणा लें और नई शिक्षा नीति की परिकल्पना को समझें। गुरुदेव रवींद्रनाथ टैगोर के शब्दों को उद्धृत करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि ऐसी शिक्षा जो मूल्यों से रहित हो, वह सच्ची शिक्षा नहीं है। उन्होंने कहा कि शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों से यह उम्मीद की जाती है कि वे छात्रों का विकास ऐसे मनुष्य के रूपमें करें, जो सिर्फ डिग्रीधारक नहीं, बल्कि संवेदनशील हों। उन्होंने कहा कि हमने देखा है कि अक्सर धन प्राप्त करने की दौड़ में इस पहलू की उपेक्षा कर दी जाती है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने किसी व्यक्ति के जीवन में प्रकृति और संस्कृति का महत्व बताते हुए कहा कि छात्रों को प्रकृति से सीखना चाहिए और हमारी प्राचीन संस्कृति के सिखाए मूल्यों का अनुपालन करना चाहिए। उन्होंने गुरुकुल व्यवस्था की प्रशंसा की और कहा कि प्राचीनकाल में हमारे यहां छात्र को हर दृष्टि से पूर्ण शिक्षा प्रदान की जाती थी और इसी वजह से उस समय हमें विश्वगुरु की उपाधि मिली थी। उन्होंने कहा कि नई शिक्षा नीति में इन्हीं आदर्शों का पालन करने और भारत को एक बार फिरसे विश्वगुरु का स्थान दिलाने का लक्ष्य रखा गया है। नई शिक्षा नीति में परिकल्पित बदलावों पर उपराष्ट्रपति ने कहा कि इसमें शिक्षा के प्रति अलग-अलग दृष्टिकोण अपनाने की जगह एक समग्र दृष्टिकोण अपनाने की बात कही गई है। नई शिक्षा नीति को एक ‘बेहद जरूरी सुधार’ बताते हुए उन्होंने इसकी इस बात के लिए प्रशंसा की कि इसमें बहुविषयक प्रणाली पर ध्यान केंद्रित किया गया है और अनुसंधान एवं नियमन व्यवस्था को एक नई दिशा देने का प्रयास किया गया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि प्रौद्योगिकी के साथ तालमेल रखने वाली मूल्य आधारित शिक्षा वक्त की जरूरत है और हमें ऐसे पेशेवरों की जरूरत है, जो न सिर्फ आधुनिकतम प्रौद्योगिकी का ज्ञान रखते हों, बल्कि समझदार और संवेदनशील भी हों। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे अपने अंदर आत्मविश्वास और सकारात्मक दृष्टिकोण का विकास करें, अपने लक्ष्य तय करें और पूरी ईमानदारी, अनुशासन तथा प्रतिबद्धता से काम कर इन लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करें। उन्होंने विश्वविद्यालयों से कहा कि वे छात्रों को ऐसी शिक्षा दें कि वह जीवन की वास्तविक चुनौतियों से प्रभावी तौरपर निपट सकें। उपराष्ट्रपति ने कोविड-19 महामारी का उदाहरण दिया, जिसने सभी देशों को अचानक अपनी चपेट में ले लिया। उन्होंने कहा कि हमें इससे सबक लेना है और भविष्य में इस तरह के खतरों से निपटने के समाधान तलाशने के लिए मिलकर काम करना है।
वेंकैया नायडू ने कहा कि जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए जो समग्र समाधान सुझाए जाएं, उनमें मूल्य आधारित शिक्षा और प्रकृति का सम्मान शामिल होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि प्राकृतिक आपदाओं की चुनौती से निपटने के लिए नए रक्षात्मक और नवाचार युक्त समाधान सुझाने के लिए हमें अपने इंजीनियरों और प्रौद्योगिकीविदों को बेहतर क्षमताओं से लैस करना होगा। उन्होंने आगाह किया कि हालांकि किसी भी प्राकृतिक विपदा को मानवीय हस्तक्षेप से पूरी तरह समाप्त नहीं किया जा सकता, लेकिन हमें उसके प्रभाव को कम से कम करना है। उपराष्ट्रपति ने कहा कि हमारी प्राचीन व्यवस्था में मूल्यों पर हमेशा जोर दिया गया, हमारे वेदों और उपनिषदों में खुद अपने प्रति, अपने परिवार के प्रति, अपने समाज और प्रकृति के प्रति हमारे कर्तव्यों की ओर इंगित किया गया है, हमें प्रकृति के साथ पूरे सामंजस्य से रहना सिखाया गया है।
उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे कोविड जैसी चुनौती को संकट के रूपमें लेने की जगह प्रौद्योगिकी का इस्तेमाल करके इसे अवसर के रूपमें बदलने पर ध्यान दें। उन्होंने कहा कि आपमें से जो भी रोज़गार प्रदाता बनना चाहते हैं, उनके लिए इस समय भारत से बेहतर कोई देश नहीं है, जहां वे अपने व्यवसाय संबंधी इरादों को लागू कर सकते हैं, क्योंकि इस समय हम आत्मनिर्भर भारत परिकल्पना को व्यवहार में ला रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने छात्रों से कहा कि वे देश हित को सर्वोपरि रखें। आईसीएफएआई ग्रुप के संस्थापक एनजे यशस्वी की प्रशंसा करते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि यह विश्वविद्यालय क्षेत्र के छात्रों को उच्चस्तरीय शिक्षा प्रदान कर रहा है। ई-दीक्षांत समारोह में सिक्किम के राज्यपाल गंगा प्रसाद, सिक्किम के मुख्यमंत्री प्रेमसिंह तमांग, सिक्किम सरकार में शिक्षा मंत्री कुंगानिमा लेप्चा, संसद सदस्य अच्युत सामंत, आध्यात्म गुरु श्रीश्री रविशंकर, राज्य सरकार के मुख्य सचिव एससी गुप्ता, आईसीएफएआई यूनिवर्सिटी के कुलपति डॉ आरपी कौशिक, उपकुलपति डॉ जगन्नाथ पटनायक, छात्रों, उनके अभिभावकों और अध्यापकों ने हिस्सा लिया।