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Saturday 12 December 2020 02:17:46 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए अंतर्राष्ट्रीय भारती महोत्सव 2020 को संबोधित किया और महाकवि सुब्रमण्यम भारती को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। सुब्रमण्यम भारती की 138वीं जयंती मनाने के लिए वनविल सांस्कृतिक केंद्र उत्सव का आयोजन कर रहा है। प्रधानमंत्री ने इस वर्ष के लिए भारती पुरस्कार प्राप्त करने वाले विद्वान सीनी विश्वनाथन को बधाई दी, जिन्हें इस कार्यक्रम के दौरान सम्मानित किया गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुब्रमण्यम भारती का वर्णन करना बहुत कठिन है, उनको किसी एक पेशे या आयाम से नहीं जोड़ा जा सकता है, वे कवि, लेखक, संपादक, पत्रकार, समाज सुधारक, स्वतंत्रता सेनानी, मानवतावादी और बहुत कुछ थे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने टिप्पणी की कि कोई भी महान कवि अपनी कविताओं, दर्शन और अपने जीवन के कार्य के रूपमें चमत्कार कर सकता है। प्रधानमंत्री ने वाराणसी के साथ महाकवि की निकटता को याद किया और उनकी प्रशंसा करते हुए कहा कि 39 साल के छोटे से जीवन में उन्होंने बहुत कुछ लिखा, बहुत कुछ किया और इतने में उत्कृष्टता प्राप्त की, उनका लेखन एक गौरवशाली भविष्य की ओर हमारा मार्गदर्शन करता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुब्रमण्यम भारती से आज का युवा बहुत कुछ सीख सकता है, सुब्रमण्यम भारती के लिए डर अज्ञात था। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह यंग इंडिया में आज इस भावना को देखते हैं, जब वे नवाचार और उत्कृष्टता के मामले में सबसे आगे हैं। उन्होंने कहा कि भारत का स्टार्ट-अप क्षेत्र निडर युवाओं से भरा है, जो मानवता को कुछ नया दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि ऐसा 'कर सकता है' की भावना हमारे देश और हमारे ग्रह के लिए आश्चर्यजनक परिणाम प्रदान करेगी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भरतियार प्राचीन और आधुनिकता के बीच एक स्वस्थ मिश्रण में विश्वास करते थे, उन्होंने ज्ञान को हमारी जड़ों से जुड़े रहने के साथ-साथ भविष्य की ओर देखा और तमिल भाषा एवं मातृभूमि भारत को अपनी दो आंखें माना। नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारती ने प्राचीन भारत की महानता, वेदों और उपनिषदों की महानता, हमारी संस्कृति, परंपरा और हमारे गौरवशाली अतीत के गीत गाए, लेकिन साथ ही उन्होंने हमें चेतावनी भी दी कि केवल अतीत के गौरव में जीना पर्याप्त नहीं है। प्रधानमंत्री ने एक वैज्ञानिक स्वभाव विकसित करने, जांच की भावना और प्रगति की ओर अग्रसर होने की आवश्यकता पर जोर दिया। प्रधानमंत्री ने कहा कि महाकवि भरतियार की प्रगति की परिभाषा में महिलाओं की केंद्रीय भूमिका थी, उनकी सबसे महत्वपूर्ण दृष्टि स्वतंत्र और सशक्त महिलाओं की थी, उन्होंने लिखा है कि महिलाओं को अपना सिर उठाकर चलना चाहिए, जबकि लोगों को उनकी आंखों में देखना चाहिए।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार इस दृष्टिकोण से प्रेरित है और महिलाओं के नेतृत्व वाले सशक्तिकरण को सुनिश्चित करने के लिए काम कर रही है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार के कामकाज के हर क्षेत्र में महिलाओं की गरिमा को महत्व दिया गया है, आज 15 करोड़ से अधिक महिला उद्यमी मुद्रा योजना जैसी योजनाओं से वित्त पोषित हैं, स्थायी कमीशन के साथ महिलाएं हमारे सशस्त्र बलों का हिस्सा बन रही हैं, सबसे गरीब महिलाएं जो सुरक्षित स्वच्छता की कमी की समस्याओं का सामना करती थीं, उन्हें 10 करोड़ से अधिक सुरक्षित और स्वच्छ शौचालयों से लाभांवित किया गया है। उन्होंने कहा कि यह न्यू इंडिया की नारी शक्ति का युग है, वे बाधाओं को तोड़ रही हैं और अपना प्रभाव स्थापित कर रही हैं। प्रधानमंत्री ने टिप्पणी की कि महाकवि भरतियार समझ गए थे कि कोई भी समाज जो विभाजित है, वह सफल नहीं हो सकेगा, साथ ही उन्होंने राजनीतिक स्वतंत्रता के खालीपन के बारे में भी लिखा कि जो सामाजिक असमानताओं का ध्यान नहीं करता है और सामाजिक कुरीतियों को समाप्त नहीं करता है।
प्रधानमंत्री ने भारती को उद्धृत करते हुए कहा कि अब हम एक नियम बनाएंगे और इसे कभी न कभी लागू करेंगे, अगर कभी एक आदमी को भुखमरी का सामना करना पड़ता है तो दुनिया को विनाश के दर्द का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि उनकी शिक्षाएं हमें एकजुट रहने और प्रतिबद्ध रहने के लिए एक मजबूत अनुस्मारक हैं, हर एक व्यक्ति विशेषकर गरीबों और हाशिए पर रहने वाले लोगों का सशक्तिकरण किया जाना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे युवाओं को भारती से सीखने के लिए बहुत कुछ है। उन्होंने आह्वान किया कि हमारे देश में हर कोई उनके कामों को पढ़े और उनसे प्रेरित हो। उन्होंने भरतियार के संदेश को फैलाने में उनके अद्भुत काम के लिए वनविल संस्कृति केंद्र की प्रशंसा की। उन्होंने विश्वास व्यक्त किया कि महोत्सव में रचनात्मक विचार-विमर्श भारत का एक नया भविष्य बनाने में मदद करेंगे।