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Wednesday 16 December 2020 12:39:25 PM
नई दिल्ली। भारतीय सेना ने सोसाइटी ऑफ इंडियन डिफेंस मैन्युफैक्चरर्स (एसआईडीएम) के साथ ‘एगाइल ईएमई: फैसिलिटेटिंग बूट्स ऑन ग्राउंड थ्रो अग्रेसिव इंडस्ट्रियल आउटरीच’ विषय पर वेबिनार आयोजित किया। इस पहल से भारतीय सेना को विश्व में नवीनतम प्रौद्योगिकी रूझानों के अनुरूप मरम्मत क्षेत्र के आधुनिकीकरण की योजना बनाने में मदद मिलेगी, इसके अलावा आयात पर निर्भरता कम करने और मरम्मत पर लागत में कटौती के लिए स्वदेशीकरण को बढ़ावा मिलेगा। इससे भी महत्वपूर्ण बात ये है कि यह पहल उस समय को कम करने में मदद करेगी, जिसके लिए मैदान में तैनात सेना उन कुछ अहम पुर्जों या घटक की प्रतीक्षा करते हैं, जो विदेशों से आनेवाले हैं।
वेबिनार में स्वदेशीकरण, इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स कार्यशालाओं का आधुनिकीकरण एवं उपकरणों की मरम्मत के लिए स्थिति आधारित निगरानी का उपयोग पर तीन विभिन्न सत्र और पैनल चर्चाएं हुईं। भारतीय सेना के मास्टर जनरल ऑफ सस्टनंस लेफ्टिनेंट जनरल एसके उपाध्याय ने इस अवसर पर इस बात को रेखांकित किया कि भारतीय उद्योग एक प्रमुख रक्षा औद्योगिक आधार बनने की दिशा में तेजी से प्रगति कर रहा है और रक्षा उद्योग हमेशा सशस्त्र बलों को किसी भी उभरती समस्याओं के लिए नए समाधान प्रदान करता है। उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमाओं पर हम जिस तरह की स्थिति का सामना कर रहे हैं, उसे देखते हुए हम रक्षा उद्योग के निरंतर सहयोग की वजह से अपने उपकरणों की देखभाल करने में सक्षम हुए हैं।
लेफ्टिनेंट जनरल एसके उपाध्याय ने कहा कि ईएमई स्वदेशीकरण की जरूरतों को पूरा करने की दिशा में एक कदम है और उद्योग को समय पर और गुणात्मक तरीके से इन आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए भारतीय सेना को सहयोग देना चाहिए। इलेक्ट्रॉनिक्स और मैकेनिकल इंजीनियर्स के महानिदेशक लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कपूर ने कहा कि चुस्ती के लिए नया मंत्र एक विवशता है और इसका कोई विकल्प नहीं है, हमें ईएमई में निश्चित रूपसे चुस्ती प्राप्त करनी होगी। उन्होंने औद्योगिक आउटरीच के माध्यम से सहभागीदारी के महत्व पर प्रकाश डाला और कहा कि आम विभाजक एवं सर्वश्रेष्ठ अभ्यासों को प्राप्त करके यह सुनिश्चित करें कि ईएमई आनेवाली चुनौतियों का सामना करने में समकालीन और आधुनिक तकनीक वाला बन सके।
लेफ्टिनेंट जनरल अनिल कपूर ने कहा कि भारत और भारतीय किसी भी बाधा को दूर करने के लिए नवाचार और चुनौतियों के पर्याय हैं एवं स्वदेशीकरण एक समान भावना व उत्साह के साथ प्राप्त किया जा सकता है। एसआईडीएम के अध्यक्ष जयंत पाटिल ने कहा कि भारत सभी क्षेत्र से सुरक्षा चुनौतियों का सामना कर रहा है, इसको अग्रणी क्षेत्रीय शक्ति के रूपमें अपनी स्थिति बनाए रखनी है, जो न केवल संप्रभुता की रक्षा करने में सक्षम हो, बल्कि विश्व के चुनौतिपूर्ण क्षेत्रों में एक शुद्ध सुरक्षा प्रदाता की भूमिका निभा रही हो। उन्होंने कहा कि इस उद्देश्य को बनाए रखने और प्राप्त करने के लिए सेना के पास सर्वश्रेष्ठ उपकरण होने चाहिएं, जो प्राथमिक तौरपर मेड इन इंडिया हों। उन्होंने कहा कि भारतीय उद्योग रक्षा क्षेत्र की आवश्यकताओं को पूरा करने में सक्षम है और यह भारत को आत्मनिर्भर बनने में भी सहयोग कर रहा है। वेबिनार में 140 उद्योग प्रतिनिधियों और सैन्य अधिकारियों ने हिस्सा लिया।