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Wednesday 16 December 2020 04:34:37 PM
नई दिल्ली। रक्षा मंत्रालय ने कहा है कि प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा का निधन भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम और विशेष तौरपर डीआरडीओ के लिए एक अपूरणीय क्षति है। वह एक दूरदर्शी थे, उन्होंने भारत में एयरोस्पेस के विकास को आकार देने में उल्लेखनीय योगदान दिया। रक्षा मंत्रालय ने कहा कि प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा ने अपनी कुशाग्र बुद्धि और आलोचनात्मक सोच से पिछले चार दशक में एरोनॉटिक्स क्लस्टर प्रयोगशालाओं और एरोनॉटिकल डेवलपमेंट एजेंसी का मार्गदर्शन किया। एलसीए कार्यक्रम की शुरुआत ऐसे समय में हुई थी, जब भारत के पास अपनी सफलता सुनिश्चित करने के लिए आवश्यक कई प्रौद्योगिकी भी नहीं थीं। एलसीए के विकास में देश की उपलब्धि काफी हद तक उपयुक्त तकनीकों का विकास भी है। प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा का निधन एयरोस्पेस वैज्ञानिक समुदाय के लिए एक बड़ी क्षति है, लेकिन उनकी विरासत डीआरडीओ के वैज्ञानिकों के काम जरिये आगे बढ़ेगी।
प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा ने एलसीए कार्यक्रम को आवश्यक मार्गदर्शन प्रदान किया। वर्ष 1980 के आरंभ में भारत के पास जटिल अभिविन्यास के एयरोडायनामिक्स का कम्प्यूटेशनल तरीके से मूल्यांकन करने की अधिक क्षमता नहीं थी, लेकिन प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा की दूरदृष्टि ने देश में प्रमुख सीएफडी क्षमताओं को स्थापित करने में योगदान किया। उन्होंने मुख्य तौरपर एयरोस्पेस उद्योग और वायुमंडलीय विज्ञान की तेजी से बढ़ती कम्प्यूटेशनल जरूरतों को पूरा करने के लिए सुपरकंप्यूटिंग संसाधनों को विकसित करने की आवश्यकता को महसूस किया और सीएसआईआर-एनएएल में एक केंद्र स्थापित करने की पहल की। एयरोनॉटिक्स और विमान के डिजाइन पर काम करने वाली टीम ने इस पहल से सुपरकंप्यूटिंग में अपने शुरुआती सबक सीखें, हालांकि अब विमान डिजाइन संबंधी डीआरडीओ और एडीए की क्षमता जटिल विमान अभिविन्यास के प्रवाह की गणना में सुपरकंप्यूटिंग का प्रभावी तौरपर उपयोग करने के लिए दुनियाभर के उन्नत समूहों के बराबर है।
डीआरडीओ के कार्यक्रमों में प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा के योगदान के कई आयाम हैं। उन्होंने एलसीए के विकास में कई समीक्षाओं की अध्यक्षता की और महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की। अपनी बढ़ती उम्र के बावजूद वह एएमसीए अभिविन्यास के विकास में सक्रिय रूपसे शामिल थे। पांचवीं पीढ़ी के विमानों के लिए आवश्यक उन्नत तकनीकों के विकास की योजना तैयार करने में उनका योगदान विशेष रूपसे महत्वपूर्ण था। एक अग्रणी वैज्ञानिक के रूपमें उनका योगदान बहुआयामी रहा है। वह टर्ब्युलेंस यानी वायुमंडलीय विक्षोभ के एक विश्व प्रसिद्ध हस्ती रहे हैं। टर्ब्युलेंस को समझने के लिए उनका योगदान मौलिक है। उनका विरलित गैस गतिकी में उल्लेखनीय योगदान है। इसरो को अपने कार्यक्रमों में इनसे काफी मदद मिली है। वह वायुमंडलीय विज्ञान को समझने में अग्रणी थे। इंडियन रेफ्रेंस एटमॉस्फियर यानी भारतीय संदर्भ वायुमंडल का एक मॉडल विकसित करने में उनका काम काफी महत्वपूर्ण था। डीआरडीओ और एडीए के तमाम लोगों ने छात्र या पेशेवर के रूपमें उनसे बातचीत की है। डीआरडीओ ने कहा है कि वह देश के एयरोस्पेस क्षेत्र में प्रोफेसर रोड्डम नरसिम्हा के योगदान को नमन करता है।