स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Friday 18 December 2020 04:48:58 PM
नई दिल्ली। भारतीय मौसम विभाग ने भारत में मौसम की मौजूदा स्थिति और अगले दो सप्ताह के मौसम के पूर्वानुमान पर जागरुक किया है कि पंजाब, हरियाणा, चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान के कुछ स्थानों में अगले सप्ताह के पहले कुछ दिन शीत लहर से लेकर कड़ाके की ठंड पड़ेगी, इसके बाद इसमें गिरावट आने की संभावना है। मौसम विभाग ने बताया कि पहले सप्ताह की तुलना में दूसरे सप्ताह के दौरान न्यूनतम तापमान में मामूली बढ़ोतरी होगी। तमिलनाडु, पुदुचेरी और कराईकल में 18 और 19 दिसंबर को केरल और माहे में 18 दिसंबर तथा लक्षद्वीप में 19 और 20 दिसंबर को कहीं-कहीं भारी से बहुत भारी वर्षा होने की संभावना है। पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में 20 और 21 दिसंबर को नए, कमजोर पश्चिमी विक्षोभ के कारण हल्की बारिश या हिमपात हो सकता है। मौसम विभाग ने कड़ाके की ठंड और बारिश से बचने के उपाय करने की सलाह दी है।
भारत के मौसम विभाग (आईएमडी) के राष्ट्रीय मौसम पूर्वानुमान केंद्र के अनुसार पिछले सप्ताह और अगले दो सप्ताहों के दौरान मौसम की स्थिति इस प्रकार है-दो पश्चिमी विक्षोभों और उनके तेजी से चक्रवाती परिचालनों से पश्चिमी हिमालयी क्षेत्र में पिछले सप्ताह के पहले कुछ दिनों में दूर-दूर तक बारिश/ हिमपात/ गरज के साथ तेज बारिश हुई और इससे लगते उत्तर पश्चिम भारत के मैदानी इलाकों में कहीं-कहीं पर छिटपुट बारिश या गरज के साथ हल्की बारिश हुई। इस सप्ताह के दौरान व्यापक तरंगों ने अंडमान और निकोबार द्वीप समूह में छिटपुट से लेकर तेज और दूर-दूर तक अच्छी बारिश और गरज के साथ बारिश हुई। इसके अलावा दक्षिण उपद्वीप और लक्षद्वीप द्वीप समूह में कहीं-कहीं छिटपुट तो कहीं-कहीं सामान्य बारिश और कहीं-कहीं गरज के साथ बारिश हुई।
देश के मध्य भागों में हवा और गर्त के संयोग के कारण मध्य भारत में पिछले सप्ताह के दौरान लंबी अवधि औसत (एलपीए) की तुलना में 112 प्रतिशत अधिक वर्षा हुई। अगले दो सप्ताहों के लिए मौसम विभाग का पूर्वानुमान है कि पहले सप्ताह और दूसरे सप्ताह 24 से 30 दिसंबर के दौरान मौसम प्रणालियां और सम्बद्ध अवक्षेपण बारिश से प्रभावित होंगे। पूर्वी लहर के कारण लक्षद्वीप में कहीं-कहीं भारी वर्षा हो सकती है। नए इस सप्ताह के दौरान देश के शेष भागों में महत्वपूर्ण वर्षा होने की संभावना नहीं है। पहले सप्ताह के दौरान दक्षिण उपद्वीप में संचयी रूपसे सामान्य से अधिक तथा पश्चिम हिमालयी क्षेत्र में सामान्य से कम बारिश होने या हिमपात होने की संभावना है। पहले और दूसरे सप्ताह के दौरान तापमान गिरेगा और कोहरा छाया रहेगा।
उत्तर-पश्चिम भारत के अधिकांश भागों में न्यूनतम तापमान दो डिग्री से छह डिग्री सेल्सियस रहेगा। यह तापमान जम्मू-कश्मीर, लद्दाख, गिलगित-बाल्टिस्तान और मुजफ्फराबाद, हिमाचल प्रदेश के अलग-अलग स्थानों में सामान्य से कम यानी -5 डिग्री सेल्सियस या उससे कम रहेगा, जबकि पश्चिम राजस्थान, पश्चिमी उत्तर प्रदेश के कुछ स्थानों तथा पूर्वी राजस्थान, पूर्वी उत्तर प्रदेश, सौराष्ट्र और कच्छ, हरियाणा, चंडीगढ़ और दिल्ली के कुछ स्थानों पर तापमान सामान्य से कम यानी -3.1 डिग्री सेल्सियस से -5.0 डिग्री सेल्सियस रहेगा। इसके अलावा पंजाब और उत्तराखंड के कुछ स्थानों पर तापमान सामान्य से कम यानी -1.6 सेल्सियस से -3.0 सेल्सियस रहेगा।
उत्तर-पश्चिम भारत में अगले 2 दिन में न्यूनतम और अधिकतम तापमान में कोई महत्वपूर्ण परिवर्तन नहीं होगा और बाद के 3 दिन के दौरान न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस और अधिकतम तापमान में 5 से 6 डिग्री सेल्सियस की बढ़ोतरी होगी। पूर्वी मध्य प्रदेश, विदर्भ और छत्तीसगढ़ में न्यूनतम तापमान में 3 से 5 डिग्री सेल्सियस तक की कमी तथा पहले सप्ताह के पहले कुछ दिन के दौरान पूर्वी भारत में तापमान 4 से 6 डिग्री सेल्सियस तक गिर सकता है। अगले 2 दिन के दौरान पश्चिमी भारत में न्यूनतम तापमान में 2 से 3 डिग्री सेल्सियस की गिरावट होगी। कुल मिलाकर उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश स्थानों में सामान्य न्यूनतम तापमान 2 से 6 डिग्री सेल्सियस कम रहेगा और पहले सप्ताह के दौरान देश के शेष भागों में न्यूनतम तापमान सामान्य या सामान्य से थोड़ा अधिक रहेगा।
भारत के पंजाब, हरियाणा और चंडीगढ़, पश्चिमी उत्तर प्रदेश और उत्तरी राजस्थान के कुछ भागों में पहले सप्ताह के पहले कुछ दिनों में शीत लहर से कड़ाके की ठंड की स्थिति रहेगी। इसके बाद शीतलहर में गिरावट आ सकती है। पहले सप्ताह के मुकाबले दूसरे सप्ताह न्यूनतम तापमान में मामूली वृद्धि होगी। हालांकि न्यूनतम तापमान उत्तर पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में न्यूनतम तापमान सामान्य से 2 से 4 डिग्री सेल्सियस कम रहेगा, जबकि देश के शेष भागों में तापमान सामान्य से थोड़ा अधिक रहेगा। दक्षिण अंडमान सागर और इससे सटी दक्षिण-पूर्वी बंगाल की खाड़ी में दूसरे सप्ताह के पहले कुछ दिन के दौरान चक्रवात आने की बहुत कम संभावना है। देश के तराई वाले इलाकों में विशेष रूपसे सर्तकता बरतने की जरूरत है।