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किसान कृषि कानून पर गुमराह न हों-प्रधानमंत्री

मध्य प्रदेश में वीडियो कॉंफ्रेंसिंग पर किसान सम्मेलन में संबोधन

एमएसपी और अनुबंधित कृषि के प्रति चिंताओं को दूर किया

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 19 December 2020 02:58:37 PM

narendra modi addressing the kisan sammelan in madhya pradesh, via video conferencing

भोपाल/ नई ‌दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग से मध्य प्रदेश में हुए किसान सम्मेलन को संबोधित किया। उन्होंने शीतगृह अवसंरचना और अन्य सुविधाओं का उद्घाटन एवं शिलान्यास भी किया। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा कि किसान चाहे कितनी भी कठिन मेहनत कर लें, अगर फल सब्जियों और अनाज के उचित भंडारण की व्यवस्था न हो तो किसानों को भारी नुकसान उठाने के लिए मजबूर होना पड़ता है। उन्होंने उद्योग जगत से आधुनिक भंडार सुविधाएं, शीतगृह के विकास और नए खाद्य प्रसंस्करण उपक्रमों की स्थापना में योगदान करने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि यही किसानों की सेवा होगी और वास्तव में यह देश की सेवा भी होगी। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारतीय किसानों की विकसित देशों में किसानों के लिए उपलब्ध आधुनिक सुविधाओं तक पहुंच होनी चाहिए, जिसमें अब ज्यादा देरी नहीं की जा सकती है। उन्होंने कहा कि तेजी से बदलते वैश्विक परिदृश्य में भारत में मौजूदा हालात को स्वीकार नहीं किया जा सकता, क्योंकि सुविधाओं और आधुनिक विधियों की कमी के कारण किसान असहाय हो जाते है, जिसमें पहले ही काफी विलंब हो चुका है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कृषि कानूनों पर हाल में हुई चर्चाओं का उल्लेख करते हुए कहा कि इन कृषि कानूनों पर पिछले 20-22 वर्ष से परामर्श चल रहा है और ये कानून रातोंरात नहीं आ गए। उन्होंने कहा कि देश के किसान, किसान संगठन, कृषि विशेषज्ञ, कृषि अर्थशास्त्री, कृषि वैज्ञानिक, हमारे देश के प्रगतिशील किसान लगातार कृषि क्षेत्र में सुधार की मांग कर रहे हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि दलों के घोषणा पत्रों में उल्लेख होने के बाद भी इन सुधारों को ईमानदारी से नहीं लिया गया है। उन्होंने कहा कि अब लागू हुए कृषि सुधार पूर्व में हुई चर्चा से अलग नहीं थे। प्रधानमंत्री ने याद दिलाया कि पिछली सरकारों ने 8 वर्ष तक स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट को लागू नहीं किया था, यहां तककि किसानों के आंदोलन से भी इन लोगों की नींद नहीं टूटी थी। उन्होंने कहा कि इन लोगों ने सुनिश्चित किया कि उनकी सरकार का किसान पर ज्यादा खर्च न हो।
प्रधानमंत्री ने विपक्ष की आलोचना करते हुए कहा कि राजनीति के लिए उन्होंने किसानों का इस्तेमाल किया है, जबकि उनकी सरकार किसानों के लिए समर्पित है और किसानों को अन्नदाता के रूपमें देखती है। नरेंद्र मोदी ने कहा कि स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट की सिफारिशों को लागू किया गया है, किसानों को उनकी लागत का डेढ़ गुना न्यूनतम समर्थन मूल्य दिया जा रहा है। कर्ज माफी पर प्रधानमंत्री ने कहा कि इसका लाभ छोटे किसान तक नहीं पहुंच पाता, जो बैंक नहीं जाते हैं और जो कर्ज नहीं लेते हैं। उन्होंने कहा कि पीएम-किसान योजना से किसानों को हर साल लगभग 75 हजार करोड़ रुपये मिलेंगे, जो सीधे किसानों के खाते में जाएंगे, किसी तरह की चोरी नहीं होगी, कोई कमीशन नहीं लिया जाएगा। उन्होंने नीम कोटिंग और भ्रष्टाचार पर वार के चलते यूरिया की उपलब्धता बढ़ने के बारे में भी विस्तार से बताया। प्रधानमंत्री ने इस बात की आलोचना की कि यदि पिछली सरकारों को किसानों की चिंता होती, तो देश की लगभग 100 बड़ी सिंचाई परियोजनाएं दशकों तक अटकी नहीं रहतीं, अब हमारी सरकार इन सिंचाई परियोजनाओं को मिशन के रूपमें पूरा करने के लिए हजारों करोड़ रुपये खर्च कर रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सरकार हर खेत तक पानी की पहुंच सुनिश्चित करने पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि सरकार अनाज उत्पादक किसानों के साथ ही मधुमक्खी पालन, पशुपालन और मत्स्य पालन को समान रूप से प्रोत्साहन दे रही है। प्रधानमंत्री ने कहा कि मत्स्य पालन को प्रोत्साहन देने के लिए नीली क्रांति योजना को लागू किया गया है, कुछ समय पहले प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का भी शुभारम्भ किया गया था, इन प्रयासों के चलते देश में मछली उत्पादन के सभी पिछले रिकॉर्ड टूट गए हैं। उन्होंने कहा कि सरकार के कृषि सुधारों के प्रति अविश्वास की कोई वजह नहीं है और झूंठ के लिए यहां कोई जगह नहीं है। उन्होंने लोगों से इस बात पर विचार करने के लिए कहा कि यदि सरकार का इरादा एमएसपी हटाने का था तो वह स्वामीनाथन समिति की रिपोर्ट क्यों लागू करती। प्रधानमंत्री ने कहा कि किसानों की सुविधा के लिए बुआई से पहले एमएसपी की घोषणा की गई है। उन्होंने कहा कि कोरोना महामारी के खिलाफ लड़ाई के दौरान भी एमएसपी पर सामान्य रूपसे ही खरीद हुई थी। उन्होंने किसानों को भरोसा दिलाया कि एमएसपी व्यवस्था पहले ही तरह ही लागू रहेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ने न सिर्फ एमएसपी बढ़ाया है, बल्कि एमएसपी पर ज्यादा खरीद भी की है।
प्रधानमंत्री ने उस दौर को याद दिलाया, जब देश को एक दाल संकट का सामना करना पड़ा था, देश में शोरशराबे के बीच विदेश से दालों का आयात किया जाता था। उन्होंने कहा कि इस सरकार ने 2014 में नीति में बदलाव किया और किसानों से एमएसपी पर 112 लाख मीट्रिक टन दालों की खरीद की, जबकि 2014 से पहले 5 साल के दौरान महज 1.5 लाख मीट्रिक टन की खरीद हुई थी। उन्होंने कहा कि आज दाल किसानों को ज्यादा धनराशि मिल रही है, इसके साथ ही दालों की कीमतों में भी कमी आई है और इसका फायदा सीधे गरीबों को मिला है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि नए कानून से किसानों को मंडियों या उनके बाहर बिक्री की स्वतंत्रता मिली है, किसान अपनी उपज वहां बेच सकता है, जहां उसे ज्यादा लाभ मिले, नए कानून के बाद एक भी मंडी बंद नहीं की गई है। उन्होंने कहा कि सरकार एपीएमसी के आधुनिकीकरण पर 500 करोड़ रुपये से ज्यादा खर्च कर रही है। अनुबंधित कृषि पर प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया कि यह हमारे देश में वर्षों से लागू है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि अनुबंधित कृषि में सिर्फ फसलों या उपज का लेन-देन होता है, लेकिन जमीन किसान के पास ही बनी रहती है। उन्होंने कहा कि समझौते से जमीन का कोई मतलब नहीं है, यदि प्राकृतिक आपदा आती है तो किसान को पूरा पैसा मिलता है, नए कानून ने किसान के लिए अप्रत्याशित लाभ का एक हिस्सा सुनिश्चित किया है। उन्होंने एकबार फिर से ऐसे किसानों की चिंताओं के समाधान का भरोसा दिलाया, जिन्हें इन प्रयासों के बाद भी आशंकाएं हैं। उन्होंने कहा कि सरकार हर मुद्दे पर बातचीत के लिए तैयार है। प्रधानमंत्री ने कहा कि वह एक बार फिर 25 दिसंबर को अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती पर विस्तार से इस विषय पर बात करेंगे, इसी दिन पीएम किसान सम्मान निधि की एक और किस्त करोड़ों किसानों के बैंक खातों में हस्तांतरित की जाएगी।

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