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Tuesday 22 December 2020 02:13:47 PM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने एक कार्यक्रम में भारत में तेंदुओं की स्थिति पर एक रिपोर्ट जारी की है। उन्होंने इस मौके पर कहा कि भारत में पिछले कुछ वर्ष में बाघ, शेर, तेंदुए की संख्या में हुई बढ़ोतरी इस बात का प्रमाण है कि भारत में वन्यजीवों के संरक्षण के प्रयास अच्छे परिणाम दे रहे हैं और वन्यजीवों की संख्या और जैव विविधता में सुधार हो रहा है। उन्होंने बताया कि एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में तेंदुओं की संख्या 12,852 तक पहुंच गई है, जबकि इसके पहले 2014 में हुई गणना के अनुसार देश में 7,910 तेंदुए थे, इस अवधि में तेंदुओं की संख्या में 60 फीसदी बढ़ोतरी हुई है। प्रकाश जावड़ेकर ने गणना के अनुसार मध्य प्रदेश में 3,421 तेंदुए, कर्नाटक में 1,783 तेंदुए और महाराष्ट्र में 1,690 तेंदुए, दूसरे राज्यों की तुलना में सबसे ज्यादा पाए गए हैं।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि जिस तरह से भारत में टाइगर की निगरानी की गई है, उसका फायदा पूरे पारिस्थितिकी तंत्र को हुआ है और उसी वजह से तेंदुए जैसी प्रजातियों की संख्या में बढ़ोतरी करना आसान हुआ है। उन्होंने कहा कि भारत ने टाइगर सर्वेक्षण में भी विश्व रिकॉर्ड बनाया है, जिसने तेंदुए की संख्या और टाइगर रेंज में कुल 12,852 (12,172-13,535) तेंदुए की मौजूदगी का भी आकलन किया है। गौरतलब है कि तेंदुए शिकार से संरक्षित क्षेत्रों के साथ-साथ बहुउपयोग वाले जंगलों में भी पाए जाते हैं, गणना के दौरान कुल 51,337 तस्वीरें ली गईं, जिसमें से 5240 वयस्क तेंदुओं की पहचान की गई है। इसके लिए गणना करने वाले खास सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया गया और सांख्यिकी विश्लेषणों के अधार पर टाइगर क्षेत्र में कुल 12,800 तेंदुओं की गणना की गई है।
तेंदुओं की संख्या की गणना न केवल टाइगर रेंज में की गई है, बल्कि गैर वन वाले क्षेत्र जैसे कॉफी, चाय के बागान और दूसरे भौगोलिक क्षेत्र में भी की गई है, जहां पर तेंदुए पाए जाने की संभावना होती है। गणना में हिमालय के ऊंचाई क्षेत्र, शुष्क क्षेत्र से लेकर पूर्वोत्तर भारत के क्षेत्रों को शामिल नहीं किया गया है, इन क्षेत्रों को शामिल नहीं करने की प्रमुख वजह यह है कि इन क्षेत्रों में तेंदुओं की संख्या बेहद कम होने के आसार हैं। बाघ की निगरानी से तेंदुए जैसी प्रजातियों का आकलन करने में भी मदद मिली है। द नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी और वाइल्ड लाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया जल्द ही दूसरी प्रजातियों के बारे में जानकारी साझा करेगा।