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Monday 4 January 2021 05:13:26 PM
नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा है कि नया साल अपने साथ बड़ी उपलब्धियां लेकर आया है, भारतीय वैज्ञानिकों ने एक नहीं दो-दो मेड इन इंडिया कोविड वैक्सीन विकसित करने में सफलता प्राप्त कर ली है। उन्होंने कहा कि भारत में दुनिया का सबसे बड़ा कोविड वैक्सीन कार्यक्रम भी जल्द शुरु होने जा रहा है और इसके लिए देश को अपने वैज्ञानिकों के योगदान पर बहुत गर्व है तथा हर देशवासी अपने वैज्ञानिकों, टेक्नीशियनों एवं सहयोगियों के प्रति कृतज्ञ है। प्रधानमंत्री ने वीडियो कॉंफ्रेंसिंग के जरिए राष्ट्रीय मेट्रोलॉजी कॉन्क्लेव और 75वें सीएसआईआर-राष्ट्रीय भौतिक प्रयोगशाला के स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए ये बातें कहीं। उन्होंने इस अवसर पर नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल और भारतीय निर्देशक द्रव्य प्राणाली राष्ट्र को समर्पित की एवं राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला की आधारशिला भी रखी।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि हमारे वैज्ञानिक संस्थानों ने कोरोना महामारी से मुकाबले के लिए उसकी वैक्सीन को विकसित करने के लिए दिनरात एक कर दिया, सीएसआईआर समेत अन्य संस्थानों ने एकसाथ आकर इस चुनौती का सामना किया, नए-नए समाधान तलाशे, इन सभी के समर्पण से आज देश में अपने इन विज्ञान संस्थानों के प्रति जागरुकता और सम्मान का भाव पैदा हुआ है। उन्होंने कहा कि नेशनल एटॉमिक टाइम स्केल और भारतीय निर्देशक ड्रिव सिस्टम एवं देश की पहली राष्ट्रीय पर्यावरण मानक प्रयोगशाला से देश का गौरव बढ़ेगा। उन्होंने द्रव्य सृजन के लिए विज्ञान के मूल्य सृजन चक्र को बढ़ावा देने के लिए वैज्ञानिक समुदाय को प्रोत्साहित किया। उन्होंने कहा कि मेट्रोलॉजी साधारण भाषा में कहें तो मापने-नापने की साइंस, ये किसी भी वैज्ञानिक उपलब्धि के लिए भी बुनियाद की तरह काम करती है, कोई भी रिसर्च माप और नाप के बिना आगे नहीं बढ़ सकती, यहां तककि हमें अपनी उपलब्धि भी किसी न किसी पैमाने पर मापनी ही पड़ती है, इसीलिए मेट्रोलोजी मॉडर्निटी की आधारशिला है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि जितनी बेहतर आपकी मेथोडोलोजी होगी, उतनी ही बेहतर मेट्रोलोजीहोगी और जितनी विश्वसनीय मेट्रोलोजी जिस देश की होगी, उस देश की विश्वसनीयता दुनिया में उतनी ही ज्यादा होगी, मेट्रोलोजी हमारे लिए मिरर की तरह होती है। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ग्लोबल इनोवेशन रैंकिंग में दुनिया के टॉप 50 देशों में पहुंच गया है, यहां आज बेसिक रिसर्च पर ज़ोर दिया जा रहा है, ऐतिहासिक रूपसे किसी भी देश ने विज्ञान को बढ़ावा देने के अपने प्रयास में प्रत्यक्ष सहसंबंधों में ही प्रगति की है। उन्होंने इसे विज्ञान, प्रौद्योगिकी और उद्योग के मूल्य सृजन चक्र की संज्ञा दी। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वैज्ञानिक आविष्कार प्रौद्योगिकी का निर्माण करता है और प्रौद्योगिकी से औद्योगिक विकास को बढ़ावा मिलता है, इसके बदले में उद्योग नए अनुसंधान के लिए विज्ञान में और निवेश करता है, यह चक्र हमें नई संभावनाओं की दिशा की ओर ले जाता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि सीएसआईआर-एनपीएल ने इस मूल्य चक्र को आगे बढ़ाने में प्रमुख भूमिका निभाई है। प्रधानमंत्री ने कहा कि द्रव्य सृजन के लिए विज्ञान का मूल्य सृजन चक्र आज अधिक महत्वपूर्ण हो गया है, जब देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य के साथ आगे बढ़ रहा है। प्रधानमंत्री ने सीएसआईआर-एनपीएल नेशनल एटॉमिक टाइमस्केल के बारे में प्रसन्नता जाहिर करते हुए उसे मानवता को समर्पित किया।
प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत दुनिया के उन देशों में शामिल हो गया है, जिनके पास अपना नैविगेशन सिस्टम है। उन्होंने कहा कि भारत समय को नैनो सेकंड के दायरे में मापने के लिए आत्मनिर्भर हो गया है और 2.8 नैनो सेकेंड के सटीक स्तर को प्राप्त करना अपने आपमें एक बहुत बड़ी क्षमता है। उन्होंने कहा कि अब भारतीय मानक समय 3 नैनो सेकंड से भी कम सटीक स्तर के साथ अंतर्राष्ट्रीय मानक समय के अनुरूप हो गया है। प्रधानमंत्री ने कहा कि इससे इसरो जैसे संगठनों को बहुत मदद मिलेगी, जो अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी के साथ काम कर रहे हैं, बैंकिंग, रेलवे, रक्षा, स्वास्थ्य, दूरसंचार, मौसम पूर्वानुमान, आपदा प्रबंधन और इसी प्रकार के अनेक क्षेत्रों से संबंधित आधुनिक प्रौद्योगिकी इस उपलब्धि से बहुत लाभांवित होगी। उन्होंने कहा कि सीएसआईआर-एनपीएल ने भारत के इस वैल्यू साइकिल को आगे बढ़ाने में अहम भूमिका निभाई है, आज जब देश आत्मनिर्भर भारत के लक्ष्य को लेकर आगे बढ़ रहा है, तब साइंस से मास मैन्यूफैक्चरिंग की इस वैल्यू क्रिएशन सायकिल का महत्व और अधिक बढ़ जाता है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने उद्योग 4.0 में भारत की भूमिका को मजबूत बनाने में टाइम स्केल की भूमिका पर ध्यान केंद्रित किया। उन्होंने कहा कि भारत पर्यावरण के क्षेत्र में शीर्ष स्थिति की ओर बढ़ रहा है, अभी भी वायु की गुणवत्ता और उत्सर्जन को मापने के लिए आवश्यक प्रौद्योगिकी और उपकरणों के बारे में भारत दूसरों पर निर्भर है तथा इस उपलब्धि से इस क्षेत्र में आत्मनिर्भरता और प्रदूषण नियंत्रण के लिए अधिक प्रभावी तथा सस्ते उपकरणों के निर्माण को बढ़ावा मिलेगा, इससे वायु गुणवत्ता और उत्सर्जन प्रौद्योगिकी से संबंधित प्रौद्योगिकियों के लिए वैश्विक बाज़ार में भारत की हिस्सेदारी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि हमने यह उपलब्धि अपने वैज्ञानिकों के निरंतर प्रयासों से हासिल की है। समारोह में केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन, प्रधान वैज्ञानिक सलाहकार डॉ विजय राघवन, सीएसआईआर के मुखिया डॉ शेखर सी मांडे, विज्ञान जगत के महानुभाव भी शामिल हुए।