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Thursday 14 January 2021 01:04:25 PM
नई दिल्ली। भारत सरकार ने पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय और संयुक्त अरब अमीरात के नेशनल सेंटर ऑफ मेट्रोलॉजी के बीच विज्ञान एवं तकनीकी सहयोग के लिए समझौता ज्ञापन को मंजूरी दे दी है। समझौते के तहत आंकड़ों और मौसम विज्ञान, भूकंप विज्ञान और समुद्र विज्ञान से संबंधित उत्पाद जैसे रडार, उपग्रह और ज्वार मापने वाले उपकरण तथा भूकंप और मौसम विज्ञान केंद्रों के संबंध में जानकारियों का आदान-प्रदान करना प्रस्तावित है। समझौते के अनुसार दोनों देशों के वैज्ञानिक अनुसंधानकर्ता और विशेषज्ञ अनुसंधान, प्रशिक्षण, सलाह-मशविरे आदि के लिए यात्राएं और अनुभवों का आदान-प्रदान करने और जलवायु संबंधी जानकारी पर केंद्रित सेवाओं, उष्णकटिबंधीय तूफान की चेतावनी संबंधित उपग्रह डाटा का उपयोग कर सकेंगे।
समझौते के तहत द्विपक्षीय वैज्ञानिक और तकनीकी संगोष्ठियों, कार्यशालाओं, सम्मेलनों का आयोजन और दोनों देशों के समान हित के विषयों तथा समझौता ज्ञापन में वर्णित सहयोग के क्षेत्रों के संबंध में मौजूद समस्याओं पर प्रशिक्षण पाठ्यक्रम चलाया जाएगा, दोनों देश आपसी सहमति से समुद्री जल पर समुद्र विज्ञान पर्यवेक्षण नेटवर्क स्थापित कर सकेंगे। समझौते में भारत और संयुक्त अरब अमीरात के पूर्वोत्तर क्षेत्र को प्रभावित करने वाली ओमान सागर और अरब सागर में उठने वाली सुनामी के अधिक विश्वसनीय और तीव्र पूर्वानुमान के लिए सुनामी मॉडल के बारे में अनुसंधान की विशिष्ट क्षमता के निर्माण में सहयोग, सुनामी पूर्व चेतावनी केंद्रों में सुनामी पूर्वानुमान कार्य के लिए विशेष रूपसे डिजाइन किया गया पूर्वानुमान संबंधी सॉफ्टवेयर स्थापित करने के लिए सहयोग, अरब सागर और ओमान सागर में सुनामी की स्थिति उत्पन्न करने में सहायक भूकंप संबंधी गतिविधियों की निगरानी के लिए भारत के दक्षिण पश्चिम और संयुक्त अरब अमीरात के उत्तर में स्थापित भूकंप मापी केंद्रों से प्राप्त वास्तविक आंकड़ों का आदान-प्रदान शामिल है।
भूकंप विज्ञान के क्षेत्र में सहयोग के तहत अरब सागर और ओमान सागर में सुनामी पैदा करने में सक्षम भूकंप संबंधी गतिविधियों का अध्ययन किया जा सकेगा। रेत और धूल भरी आंधी के संबंध में पूर्व चेतावनी प्रणाली के क्षेत्र में जानकारी का आदान-प्रदान कर पाएंगे। मौसम संबंधी सेवाएं अर्थव्यवस्था के मौसम पर निर्भर क्षेत्रों की कार्यकुशलता बढ़ाने में महत्वपूर्ण योगदान करती हैं, इसके साथ ही वे क्षेत्र की आर्थिक प्रगति के महत्वपूर्ण कारकों-कृषि, परिवहन और जल आदि जैसे मौसम पर निर्भर आर्थिक क्षेत्रों को उत्पन्न खतरे का भी प्रबंधन करती हैं। क्षेत्रीय और वैश्विक सहयोग के माध्यम से इसे मजबूत किया जा सकता है, क्योंकि सभी देश पूर्व चेतावनी प्रणालियों में निवेश करते हैं और मौसम एवं पूर्वानुमान सेवाओं का आधुनिकीकरण करते हैं। मौसम की हमेशा बदलने वाली प्रकृति के कारण क्षेत्रीय सहयोग बदलते मौसम पैटर्न की समझ को बेहतर बनाने, प्रभावी प्रतिक्रिया रणनीतियों, कम निवेश लागत और क्षेत्रीय रूपसे प्रासंगिक तकनीकी नवाचार को बढ़ावा देने और मौसम सेवाओं के आधुनिकीकरण और स्थिरता से संबंधित चुनौतियों का समाधान करने में मदद कर सकता है।
बहुविध आपदा को लेकर पूर्व चेतावनी प्रणाली और जलवायु से संबंधित गतिविधियों के संदर्भ में एमओईएस (भारत) और एनसीएम-यूएई के बीच सहयोगात्मक भागीदारी इस क्षेत्र के आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान दे सकती है। पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय में संयुक्त अरब अमीरात के प्रतिनिधिमंडल के 8 नवम्बर 2019 को दौरे के दौरान भारत में संबंधित संस्थानों और एनसीएम-यूएई की वैज्ञानिक गतिविधियों पर चर्चा की थी, जिसमें ऐसे कई समान क्षेत्र पाए गए थे, जिनमें अनुसंधान की जरूरत महसूस की गई थी। इस संदर्भ में दोनों पक्षों ने भारत के तटीय क्षेत्रों और संयुक्त अरब अमीरात के उत्तर पूर्व को प्रभावित करने वाले और ओमान सागर एवं अरब सागर में सुनामी के तेज और अधिक विश्वसनीय पूर्वानुमानों के संबंध में वैज्ञानिक और तकनीकी सहयोग में रुचि दिखाई थी।