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Saturday 30 January 2021 03:17:52 PM
नई दिल्ली। भारतीय दिवाला और शोधन अक्षमता बोर्ड (आईबीबीआई) ने भारतीय स्टेट बैंक और इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के साथ 'कमेटी ऑफ क्रेडिटर्स एन इंस्टीट्यूशन ऑफ पब्लिक ट्रस्ट' विषय पर एक दिवसीय वर्चुअल कार्यशाला का आयोजन किया। यह वित्तीय लेनदारों के फायदे के लिए आयोजित कार्यशालाओं की श्रृंखला के तहत पांचवीं ऐसी कार्यशाला है, जिसमें ऋण शोधन अक्षमता एवं दिवालिया संहिता के तहत लेनदारों की समिति भी शामिल है। कार्यशाला में 15 अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों एवं वित्तीय संस्थानों के 31 महाप्रबंधकों एवं कार्यकारी निदेशकों ने भाग लिया।
कार्यशाला का उद्देश्य आईबीसी के तहत सीओसी की भूमिका एवं उससे अपेक्षाओं के बारे में बेहतर समझ विकसित करना और यह सुनिश्चित करने के लिए वित्तीय लेनदारों की क्षमता का निर्माण करना है। लेनदारों की समिति अत्यंत सावधानी एवं परिश्रम के साथ अपने वैधानिक कर्तव्यों और जिम्मेदारियों का निर्वहन करती है। विभिन्न प्रतिस्पर्धी समाधान योजनाओं को तैयार करने और उनमें से सर्वश्रेष्ठ को मंजूरी देने के मामले में व्यावसायिक निर्णय लेने की पर्याप्त क्षमता और प्रेरणा रखती है। समाधान प्रक्रिया में सभी हितधारकों के हितों पर विचार करती है और उनमें संतुलन बनाती है। कॉरपोरेट कार्य मंत्रालय में सचिव राजेश वर्मा ने उद्घाटन भाषण दिया।
भारतीय रिज़र्व बैंक के डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव ने कार्यशाला में मुख्य व्याख्यान दिया। भारतीय स्टेट बैंक के अध्यक्ष दिनेश कुमार खेरा ने विशेष वक्तव्य दिया। इंडियन बैंक्स एसोसिएशन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुनील मेहता ने स्वागत उद्बोधन के साथ उद्घाटन सत्र का शुभारंभ किया। कार्यशाला के प्रमुख वक्ताओं में भारतीय स्टेट बैंक के प्रबंध निदेशक सीएस शेट्टी, पीडब्ल्यूसी इंडिया के चेयरमेन संजीव कृष्णन, एडलवाइस ग्रुप के चेयरमैन राशेष शाह, शार्दुल अमरचंद मंगलदास के मैनेजिंग पार्टनर शार्दुल श्रॉफ और आईबीबीआई के चेयरपर्सन डॉ एमएस साहू शामिल थे।