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Monday 6 December 2021 01:32:24 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडु ने देश में प्रशासनिक सेवाओं के नैतिक पुनरुत्थान का आह्वान किया है, जिससे आम आदमी को सेवा प्रदान करने में सुधार लाया जा सके और यह सुनिश्चित किया जा सकेकि उनके विकास के लाभ उनतक पहुंचे। उन्होंने इस संबंध में भ्रष्टाचार केप्रति शून्य सहिष्णुता और शासन के सभी स्तरों पर पूर्ण पारदर्शिता और जवाबदेही सुनिश्चित करने का आग्रह किया। उन्होंने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम केतहत भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों और जनप्रतिनिधियों के खिलाफ सख्त और समयबद्ध कार्रवाई की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने प्रशासनिक अधिकारियों से जुड़े भ्रष्टाचार से संबंधित मामलों के दीर्घ रूपसे लंबित मामलों को प्राथमिकता देकर शीघ्र निपटाने का आह्वान किया।
उपराष्ट्रपति ने सावधान कियाकि वास्तविक सक्रिय कार्रवाई करनेवाले प्रशासनिक अधिकारियों को हतोत्साहित या परेशान न किया जाए। उन्होंने कहाकि भ्रष्ट प्रशासनिक अधिकारियों से सख्ती से निपटा जाना चाहिए, लेकिन हमें अधिकारियों को व्यापक जनहित में निर्भीक निर्णय लेने से निरूत्साहित नहीं करना चाहिए। उपराष्ट्रपति निवास पर झारखंड के पूर्व राज्यपाल और भारत सरकार के पूर्व कैबिनेट सचिव प्रभात कुमार की पुस्तक 'लोक सेवा नैतिकता' का उपराष्ट्रपति ने विमोचन किया और कहाकि समाज में नैतिक मूल्यों में सामान्य रूपसे गिरावट आई है और नैतिक भारत केलिए व्यापक आधार वाले सामाजिक आंदोलन का आह्वान किया। वेंकैया नायडु ने ईमानदार प्रशासनिक अधिकारियों की उपलब्धियों का सम्मान करने और उनके योगदान की सराहना करने की अपील की।
वेंकैया नायडु ने सुझाव दियाकि यह न केवल युवा अधिकारियों को उत्कृष्ट कार्य करने केलिए प्रेरित करने केलिए एक प्रोत्साहन होगा, बल्कि इस तरह के प्रचार से दूसरे भी ऐसा करने केलिए प्रेरित होंगे। उन्होंने मीडिया को स्थानीय प्रशासनिक अधिकारियों के ऐसे योगदान को रेखांकित करने और उन्हें प्रोत्साहित करने की सलाह दी। उद्यमी प्रशासनिक अधिकारियों केसाथ काम करने के अपने अनुभव का स्मरण करते हुए वेंकैया नायडु ने कहाकि स्वच्छ भारत जैसे कार्यक्रमों में कई युवा अधिकारी अपने काम में नवोन्मेषण लाते रहे हैं। उपराष्ट्रपति ने सार्वजनिक जीवन में शुचिता सुनिश्चित करने केलिए सभी प्रशासनिक अधिकारियों को मूल्य आधारित प्रशिक्षण के महत्व का भी उल्लेख किया। उन्होंने कहाकि पेशागत नैतिकता सभी प्रशिक्षण पाठ्यक्रमों में अभिन्न अंग होनी चाहिए। उन्होंने द्वितीय प्रशासनिक सुधार आयोग की अनुशंसाओं पर प्रशासनिक अधिकारियों केलिए एक व्यापक आचार संहिता की अपील की।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि एक आदर्श अधिकारी को अपने अधिकार क्षेत्र में मुद्दों की शून्य विचाराधीनता सुनिश्चित करनी चाहिए, कार्यालय में शुचिता और सत्यनिष्ठा के उच्चतम गुणों को प्रदर्शित करना चाहिए, सबसे बढ़कर समाज के सीमांत वर्गों के ध्येय केप्रति संवेदनशील होना चाहिए। वेंकैया नायडु ने कहाकि सेवाओं की समय पर प्रदायगी सुनिश्चित करने केलिए हमारे संस्थानों की रूपरेखा फिरसे तैयार करने और प्रक्रियाओं को युक्तिसंगत बनाने की आवश्यकता है। उन्होंने सेवाओं में मानव इंटरफेस को कम करने केलिए आईटी का अधिक से अधिक उपयोग करने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि इस तरह की प्रक्रियाओं से न केवल गुणवत्ता में सुधार होगा, बल्कि विशेषाधिकार को कम करने तथा सेवारत अधिकारियों के हितों के टकराव में भी कमी आएगी।
उपराष्ट्रपति ने कहाकि शासन मॉडल में लोगों की आधुनिक आकांक्षाओं के अनुरूप परिवर्तन होना चाहिए और नौकरशाही व्यवस्था को 'हल्का पारदर्शी और चुस्त' रखना आवश्यक है। उन्होंने राष्ट्र केलिए नागरिक केंद्रित और भविष्य केलिए तैयार प्रशासनिक सेवा के निर्माण के उद्देश्य से मिशन कर्मयोगी केलिए सरकार की सराहना की। वेंकैया नायडु ने लेखक प्रभात कुमार और प्रकाशक आईसी सेंटर फॉर गवर्नेंस को पुस्तक के प्रकाशन में उनके प्रयासों केलिए बधाई दी। उन्होंने कहाकि सेवानिवृत्त वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों केलिए अपने समृद्ध अनुभव और ज्ञान को युवा अधिकारियों केसाथ साझा करने एवं लोक नीति के क्षेत्र में योगदान करने की काफी संभावना है। कार्यक्रम में आईसी सेंटर ऑफ गवर्नेंस के उपाध्यक्ष महेश कपूर, महासचिव शांति नारायण, सेवारत और सेवानिवृत्त प्रशासनिक अधिकारी भी उपस्थित थे।