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Wednesday 30 March 2022 02:49:41 PM
नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने वितरण प्रणाली की खामियों को दूर करने की अपील करते हुए कहा हैकि यह सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सिविल सेवकों पर हैकि शासन प्रणाली हमारी आबादी के सबसे ग़रीब और सबसे कमजोर वर्ग के दरवाजे तक पहुंचे। उन्होंने कहाकि सिविल सेवकों को इस तथ्य को याद रखना चाहिए कि कल्याणकारी योजना और विकास पहल के कुशल कार्यांवयन के माध्यम से उनके लाभार्थियों की समृद्धि से बेहतर इनका कोई पैमाना नहीं है। नई दिल्ली में आईआईपीए के 68वें स्थापना दिवस पर पहला डॉ राजेंद्र प्रसाद वार्षिक अंतर्राष्ट्रीय स्मृति व्याख्यान देते हुए उपराष्ट्रपति ने रेखांकित कियाकि शासन का नागरिक केंद्रित प्रतिमान कुशल सार्वजनिक सेवा वितरण प्रणालियों पर टिका हुआ है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहाकि इस तरह की प्रणाली को नागरिकों की बढ़ती जरूरतों और आकांक्षाओं के अनुकूल होने में सक्षम होना चाहिए, सार्वजनिक शासन प्रणाली के जटिल कार्य के प्रमुख घटकों के रूपमें समावेश, दक्षता, पारदर्शिता और ईमानदारी पर जोर दिया। उन्होंने कहाकि सुशासन की कुछ परिभाषित विशेषताएं व्यापकता, निष्पक्षता, अखंडता, दक्षता और समानता हैं। उन्होंने कहाकि जरूरतमंदों और वंचितों केलिए प्रशासकों की अधिक पहुंच की आवश्यकता पर जोर देते हुए वेंकैया नायडू ने कहाकि सिविल सेवकों को समाज के सभी वर्गों से लेकर अंतिम व्यक्ति तक नागरिकों को भारत की विकास गाथा लिखने में सक्रिय भागीदार के रूपमें सहयोजित करना चाहिए। लोकसेवा के अंतिम छोर तक वितरण के महत्व और प्रशासकों की महत्वपूर्ण भूमिका पर प्रकाश डालते हुए उपराष्ट्रपति ने प्रशासकों के नेतृत्व और प्रशासनिक दक्षताओं को बढ़ाने केलिए तकनीकी और प्रबंधकीय कौशल को सम्मानित करने को लेकर आईआईपीए की प्रशंसा की।
वेंकैया नायडू ने कहाकि सिविल सेवकों को अपने कौशल को उन्नत करने, भारत के भीतर और बाहर की सर्वोत्तम कार्यप्रणालियों को अपनाने एवं बढ़ाने केलिए उदार होना चाहिए। उन्होंने कहाकि तभी वे जमीन स्तर पर कार्यक्रमों और नीतियों के प्रभावी कार्यांवयन केलिए अभिनव एवं लीक से हटकर रणनीतियां बना सकते हैं और शासन प्रशासन की जटिल चुनौतियों का समाधान कर सकते हैं। भारत केलिए आईएमएफ के विकास के अनुमानों का हवाला देते हुए वेंकैया नायडू ने कहाकि वैश्विक महामारी के प्रभाव केबाद भारतीय अर्थव्यवस्था में सुधार, एक आत्मनिर्भर भारत के समावेशी विकास के वादे को पूरा करता है। उपराष्ट्रपति ने कहाकि भारत आज एक परिवर्तनकारी युग के शिखर पर खड़ा है, जिसमें प्रत्येक नागरिक सामाजिक और आर्थिक परिवर्तन का एक सशक्त उत्प्रेरक बनना चाहता है। सरकार के विभिन्न सामाजिक सुरक्षा कार्यक्रमों का उल्लेख करते हुए उन्होंने लोक प्रशासन के न्याय, नैतिकता और निष्पक्षता के सिद्धांतों पर आधारित अधिक नागरिक केंद्रित होने की कामना की।
वेंकैया नायडू ने भारत को गरीबी, अशिक्षा, भेदभाव, जातिवाद या क्षेत्रवाद से मुक्त बनाने का आह्वान किया। उन्होंने कहाकि प्रत्येक व्यक्ति को भारतीय होने पर गर्व महसूस करना चाहिए। डॉ राजेंद्र प्रसाद को एक प्रतिष्ठित नेता बताते हुए वेंकैया नायडू ने कहाकि उन्होंने एक समृद्ध, एकीकृत और मजबूत भारत देखने केलिए अपना जीवन समर्पित कर दिया। उन्होंने कहाकि बाबू राजेंद्र प्रसाद की एक छात्र कार्यकर्ता से स्वतंत्र भारत के पहले राष्ट्रपति तककी उल्लेखनीय यात्रा, देश और समाज केप्रति उनकी अदम्य क्षमता, संकल्प और प्रतिबद्धता की एक महान गाथा है। उन्होंने कहाकि बाबू राजेंद्र प्रसाद ने जाति और पंथ की बेड़ियों से मुक्त एक सामंजस्यपूर्ण और समतावादी भारत का सपना देखा था। वेंकैया नायडू ने उन्हें हमारी मातृभूमि का एक महान सपूत बताया, जिनका जीवन परोपकार, सत्य, सेवा और सादगी के गुणों से परिभाषित होता है। उन्होंने कहाकि आईआईपीए प्रशासकों केलिए प्रशिक्षण, अनुसंधान और परामर्श गतिविधियों के व्यापक परिदृश्य के माध्यम से कुशल, प्रभावी और नैतिक शासन केलिए एक वातावरण बनाने की मांग कर रहा है, इस प्रकार डॉ राजेंद्र प्रसाद की परिकल्पना को पूरा कर रहा है।
उपराष्ट्रपति आईआईपीए के पदेन अध्यक्ष हैं। इस अवसर पर पीएमओ, कार्मिक, लोक शिकायत एवं पेंशन राज्यमंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आईआईपीए अपने अस्तित्व के पिछले 67 वर्ष में एक सेवानिवृत्त अधिकारी क्लब के रूपमें लंबा सफर तय कर चुका है और अब यह क्षमता निर्माण के क्षेत्र में एक जीवंत और गतिशील संस्थान के रूपमें परिणत हो गया है। उन्होंने कहाकि आईआईपीए ठीक ढंग से काम कर रहा है और डिजिटल पाठ्यक्रम व प्रशिक्षण कार्यक्रम के अपने मिशन में तेजी से आगे बढ़ रहा है। उन्होंने बताया कि 2021-22 में आईआईपीए ने 69 डिजिटल प्रशिक्षण कार्यक्रम, 27 ऑफलाइन प्रशिक्षण कार्यक्रम और 30 से अधिक शोध अध्ययनों का संचालन किया। डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आईआईपीए डीएआरपीजी और डीओपीटी का विजन /2047 दस्तावेज तैयार करने और इन मंत्रालयों को बहुमूल्य जानकारी प्रदान करने में एक ज्ञान भागीदार है। उन्होंने कहाकि आईआईपीए क्षमता निर्माण आयोग केसाथ मिलकर काम कर रहा है और आईजीओटी प्लेटफॉर्म केलिए पहले ही डिजिटल मॉड्यूल तैयार कर चुका है।
डॉ जितेंद्र सिंह ने कहाकि आईआईपीए ने सिविल सेवा परीक्षा की तैयारी केलिए सिविल सेवा उम्मीदवारों की मदद करने की एक उल्लेखनीय पहल की है और प्रगति की पाठशाला कार्यक्रम केतहत उन्हें उचित मार्गदर्शन प्रदान करने की दिशा में काम कर रहा है। डॉ जितेंद्र सिंह ने अपनी समापन टिप्पणी में कहाकि आईआईपीए के 68वें स्थापना दिवस पर यह स्मृति व्याख्यान वास्तव में आईआईपीए परिवार द्वारा एक बहुत अच्छी पहल है और संस्थान के सबसे महत्वपूर्ण संस्थापक डॉ राजेंद्र प्रसाद को एक यथोचित श्रद्धांजलि है। इस अवसर पर उपराष्ट्रपति ने आईआईपीए की सरदार पटेल-बिल्डर ऑफ एस्पिरेशनल इंडिया पुस्तक का भी विमोचन किया। कार्यक्रम में छत्तीसगढ़ के पूर्व राज्यपाल और आईआईपीए के सदस्य शेखर दत्त, सदस्य सचिव आईआईपीए एसएन त्रिपाठी, अमिताभ रंजन रजिस्ट्रार संकाय सदस्य और पाठ्यक्रम प्रतिभागी उपस्थित थे।