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Thursday 9 January 2014 09:18:26 PM
नई दिल्ली। हथकरघा आरक्षण कानून के तहत हथकरघा की परिभाषा में कोई परिवर्तन नहीं किया गया है। हथकरघा की परिभाषा में परिवर्तन की आशंका से बुनकरों तथा हथकरघा गतिविधियों में अनुमान और असुरक्षा की भावना पैदा हुई है और हथकरघा गतिविधियों के विषय में यह धारणा विकसित हुई है कि सरकार ने हथकरघा की जगह स्वचालित मशीनें लगाने की अनुमति दी है और सरकार का इरादा हथकरघा की परिभाषा में मशीन से तैयार कपड़ों को शामिल करना है।
इस संबंध में यह स्पष्ट किया गया है कि कपड़ा मंत्रालय का हथकरघा की परिभाषा में बदलाव का कोई विचार नहीं है। हथकरघा आरक्षण कानून 1985 में हथकरघा की परिभाषा ''बिजली करघा को छोड़ कोई भी करघा'' है। हथकरघा बुनाई भारतीय सांस्कृतिक विरासत का संपन्न और जीवंत पक्ष है। वर्ष 2009-10 के हथकरघा गणना के अनुसार हथकरघा क्षेत्र 43.3 लाख बुनकरों तथा संबद्ध श्रमिकों को रोज़गार देता है। वर्ष 1995-96 में यह संख्या 65 लाख थी। हथकरघा बुनकरों की संख्या में कमी सरकार की चिंता का विषय है। यह क्षेत्र तकनीकी उन्नयन की कमी, लागत सामग्री की अनुचित उपलब्धता, पर्याप्त तथा समय पर ऋण की अनउपलब्धता तथा समकालीन डिजाइनों की कमी जैसी चुनौतियां झेल रहा है।
यह प्रवृत्ति भी देखने में आई है कि इस पेशे की युवा पीढ़ी बुनाई पेशे को जारी नहीं रखना चाहती और यह पीढ़ी अधिक मेहनत में कम आय के कारण इस क्षेत्र के प्रति आकर्षित नहीं हो रही है। सरकार इस गिरावट को रोकने के लिए विभिन्न तौर तरीकों पर विचार कर रही है। हथकरघा क्षेत्र को बनाए रखने के लिए सरकार विभिन्न विकास तथा कल्याण योजनाएं लागू कर रही है। उत्पादकता में सुधार तथा करघा पर मानवीय श्रम में कमी लाने के लिए 10 अगस्त, 2012 को हथकरघा आरक्षण कानून पर बनी सलाहकार समिति की बैठक हुई थी। समिति ने हथकरघा की परिभाषा में परिवर्तन की सिफारिश की थी। श्रम पर संसद की स्थाई समिति ने अपनी विभिन्न बैठकों में हथकरघा की परिभाषा में संशोधन का समर्थन किया, लेकिन सरकार ने इस परिभाषा में संशोधन पर फिर से विचार किया है।
हथकरघा विशेषज्ञों तथा सिविल सोसायटी के लोगों ने परिभाषा में परिवर्तन का यह कहते हुए विरोध किया है कि हथकरघा की परिभाषा में बदलाव करने से हथकरघा तथा बिजली करघा के बीच अंतर समाप्त हो जाएगा और इससे हथकरघा बुनकरों को मिलने वाले लाभ बिजली करघा क्षेत्र ले लेगा। हथकरघा की परिभाषा में परिवर्तन से जुड़े विभिन्न पहलुओं का अध्ययन सलाहकार समिति की उप समिति ने विस्तार से किया। समिति में विभिन्न राज्यों, कपड़ा समिति, बिजली करघा के कपड़ा आयुक्त तथा हथकरघा विकास आयुक्त शामिल थे। समिति ने अपनी रिपोर्ट सौंप दी है।