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Wednesday 15 January 2014 02:32:34 AM
नई दिल्ली। युगदृष्टा स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती पर केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत वर्ष भर स्मृति कार्यक्रम हुए और उनकी राष्ट्र और मानवता की सेवाओं के लिए उनके आदर्शों और व्यक्तित्व का अनवरत सादर गुणगान हुआ। प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की अध्यक्षता में राष्ट्रीय समिति ने 2010 में स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में समारोह आयोजित करने के लिए राष्ट्रीय कार्यान्वयन समिति गठित की थी, जिसके अध्यक्ष तत्कालीन वित्तमंत्री प्रणब मुखर्जी बनाए गए थे। वित्तमंत्री के राष्ट्रपति बनने के बाद इस समिति का अध्यक्ष पद रक्षामंत्री एके एंटनी को सौंप दिया गया। संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच के अनुसार इस समिति ने स्वामी विवेकानंद की शिक्षाओं और विरासत के प्रचार के लिए 253 करोड़ रूपये की अनुमानित लागत वाले 54 प्रस्तावों को स्वीकृति दी।
केंद्रीय संस्कृति मंत्री चंद्रेश कुमारी कटोच ने बताया कि एनआईसी द्वारा आयोजित प्रमुख कार्यक्रम इस प्रकार रहे। शिकागो कला संस्थान के साथ एक समझौता किया गया और वर्ष 1893 में आयोजित विश्व धर्म संसद में स्वामी विवेकानंद ने जहां अपना प्रसिद्ध भाषण दिया था, उनकी स्मृति में एक प्रतिमा लगाई गई। दूसरा कार्यक्रम चार वर्ष का विवेकानंद स्मारक संग्रहालय था। इस कार्यक्रम के अंतर्गत शिकागो कला संस्थान संग्रहालय, विज्ञान से जुड़ी ताजा सूचनाओं के प्रचार के लिए एक प्रमुख केंद्र के रूप में कार्य कर रहा है। संस्थान भारतीय संग्रहालय के अधिकारियों के लिए एक साल में 20 सप्ताह की इंटर्नशिप आयोजित करेगा और भारत में कार्यशालाओं/ सेमिनारों के आयोजन के लिए विशेषज्ञों की नियुक्ति करेगा। संस्कृति मंत्रालय ने शिकागो विश्वविद्यालय के साथ एक समझौता किया है, जिसके तहत शिकागो विश्वविद्यालय अपने यहां भारतीय शिक्षा के लिए ‘भारतीय संस्कृति मंत्रालय की विवेकानंद पीठ’ स्थापित करेगा। मंत्रालय इसके लिए 15 लाख अमरीकी डॉलर की सहायता देगा। इस योजना के अंतर्गत छात्रवृति के लिए चयन प्रक्रिया की घोषणा जल्द की जाएगी।
एक अन्य महत्वपूर्ण कार्यक्रम जिसके तहत विवेकानंद शिक्षा कार्यक्रम के अंतर्गत रामकृष्ण मिशन बैलूर को 100 करोड़ की सहायता दी गई। इस कार्यक्रम में पुस्तकों का प्रकाशन और वितरण, इलैक्ट्रानिक मीडिया के माध्यम से प्रचार, युवा कार्यक्रम के तहत सेमिनार, सम्मेलन और युवा कैंप और विशेष सेवा गतिविधियों का आयोजन किया जाना है। संस्कृति मंत्रालय रामकृष्ण मिशन और इसकी विभिन्न संस्थाओं-वेदांता सोसायटी तथा भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों के साथ मिलकर कार्य कर रहा है। भारतीय रेल ने ‘विवेका एक्सप्रेस’ के नाम से एक विदेश प्रदर्शनी ट्रेन चलाई। भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विवेकानंद से संबंधित तीन अलग-अलग स्मारकों का पुनरूद्धार कर रहा है। ये हैं-फतेहपुरी मस्जिद नई दिल्ली, राचौर सैमीनरी, रोमन आर्कडियोसस गोवा, कूडलमानिक्यम मंदिर इंरिनजलकुडा केरल। दो अन्य स्मारकों पटना साहिब गुरूद्वारा और तवांग मठ के नवीनीकरण काम बाद में शुरू किया जाएगा।
स्वामी विवेकानंद की 150वीं जयंती को राष्ट्रीय जागरूकता वर्ष के रूप में भी मनाया गया, जिसके अंतर्गत कार्यक्रमों में स्मृति में डॉक टिकट जारी करना, पांच और 150 रूपये के दो स्मृति सिक्के जारी करना, कार्यालय की स्टेशनरी पर लोगो (प्रतीक चिन्ह) का मुद्रण, विवेकानंद रॉक मैमोरिएल और विवेकानंद केंद्र पर युवा सम्मेलनों का आयोजन शामिल है, स्मृति गतिविधियों पर एक फिल्म भी बनाई गई और दूरदर्शन पर स्वामी विवेकानंद की फिल्म का प्रसारण हुआ। संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत जैड सी सी लखनऊ, चंडीगढ़, गुवाहाटी, कन्याकुमारी, नागपुर, जोधपुर और कोलकाता में कार्यक्रमों का आयोजन कर रहे हैं। यूनेस्को के कार्यकारी बोर्ड में भारतीय प्रतिनिधि डॉ कर्ण सिंह ने सात अक्टूबर 2013 को ‘स्वामी विवेकानंद के सार्वभौमिक संदेश’ पर एक विशेष भाषण दिया। यूनेस्को की महानिदेशक इरीना बोकोवा, भारतीय राजदूत अरूण के सिंह और भारत के स्थायी प्रतिनिधि वी एस ओबरॉय फ्रांस के अन्य बुद्धिजीवियों के साथ मौजूद थे।
स्मृति संबंधी गतिविधियों के अलावा संस्कृति मंत्रालय गैर सरकारी संगठनों, सार्वजनिक और निजी क्षेत्र के विभिन्न संस्थानों, राज्य सरकारों और विदेश में स्थित भारतीय मिशन को भी कार्यक्रमों गतिविधियों के लिए सहायता देता है। मंत्रालय बेहतर कामकाज, सम्मेलन और सेमिनार आदि के लिए भी वित्तीय सहायता उपलब्ध कराता है। इस कार्यक्रम का उद्देश्य प्रमुख रूप से स्वामी विवेकानंद के जीवन और आदर्शों के विषय में जागरूकता फैलाना और शिक्षा देना है।