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Friday 24 January 2014 11:52:09 PM
नई दिल्ली। राष्ट्रीय बालिका दिवस के अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्री कृष्णा तीरथ ने आज यहां बालिकाओं के लिए बहुक्षेत्रीय पोषण कार्यक्रम (एमएसएनपी) और राष्ट्रीय संसाधन प्लेटफार्म (एनआरपी) का शुभारंभ किया। बारहवीं योजना अवधि में इसके लिए 1213 करोड़ रूपये की धनराशि अनुमोदित की गई है, जिसमें से 75 प्रतिशत अर्थात 944 करोड़ रूपये केंद्र सरकार वहन करेगी। इस वर्ष के बालिका दिवस का मुख्य विषय बालिकाओं की सुरक्षा और विकास रखा गया है।
कृष्णा तीरथ ने बताया कि बहुक्षेत्रीय पोषण कार्यक्रम 19 राज्यों के 200 जिलों में कार्यान्वित किया जायेगा। इनमें से 100 जिलों में इस कार्यक्रम की शुरूआत वर्तमान वित्त वर्ष में ही हो जायेगी। कार्यक्रम के कार्यान्वयन से बालिकाओं के समग्र उत्थान और विकास संबंधी बहुक्षेत्रीय नियोजन, नीतियां और कार्रवाई की रणनीति बनाने में मदद मिलेगी। उन्होंने कहा कि शून्य से छह वर्ष तक के आयु वर्ग में बालिकाओं का अनुपात प्रति हजार 2001 के 927 से घटकर 2011 में 919 पर पहुंच गया है। इससे पता लगता है कि एक ही दशक में लाखों बालिकाएं अपने जन्म से ही वंचित रहीं। दूसरी और देश में बाल विवाह की कुप्रथा अभी भी जारी है। एक सर्वेक्षण के अनुसार 20 से 24 वर्ष के आयु वर्ग में 47 प्रतिशत महिलाएं ऐसी पायी गयी हैं, जिनका विवाह 18 वर्ष की आयु से पहले ही हो गया था।
पोषण संसाधन प्लेटफार्म (एनआरपी) एक कंप्यूटर नेटवर्क आधारित प्लेटफार्म होगा, जहां बालिकाओं से संबंधित विभिन्न तरह की आवश्यक जानकारी उपलब्ध हो सकेगी। यह प्लेटफार्म राष्ट्रीय जन सहयोग एवं बाल विकास संस्थान (एनआईपीसीसीडी) कार्यान्वित करेगा। इस कार्य में खाद्य एवं पोषण बोर्ड तथा राष्ट्रीय सूचना केंद्र (एनआईसी) इस संस्थान की मदद करेंगे। सरकार बालिकाओं के कल्याण के लिए बहुआयामी रणनीति पर कार्य कर रही है, ताकि बालिकाओं के प्रति समाज के दृष्टिकोण में बदलाव लाया जा सके। इस रणनीति में समुचित कानूनी प्रावधान करना, बालिकाओं की उपेक्षा की रोकथाम के उपाय करना और समुचित कार्यक्रम बनाना शामिल है। ‘सबला’ कार्यक्रम के अंतर्गत एनआईपीसीसीडी एक करोड़ महिलाओं को अहिंसावादी दूत के रूप में प्रशिक्षित करेगा।
इस अवसर पर महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के सचिव एके जैन ने कहा कि सरकार बालिकाओं को एक राष्ट्रीय संसाधन के रूप में विकसित करना चाहती है। बालिकाओं के कुपोषण की शुरूआत उनके जन्म से पहले ही हो जाती है और उनके अल्पवयस्क होने तथा बाद में माता बन जाने के बाद भी जारी रहती है। इंदिरा गांधी 24 जनवरी को देश की पहली महिला प्रधानमंत्री बनी थीं। उसी दिन की स्मृति में इस तिथि को राष्ट्रीय बालिका दिवस के रूप में बनाया जाता है।