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Wednesday 29 January 2014 10:36:44 PM
नई दिल्ली। संग्रहालय की प्रतिष्ठा के लिए विवेकानंद संग्रहालय कार्यक्रम, संस्कृति मंत्रालय और आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो के बीच 28 जनवरी 2012 को हुए समझौते का नतीजा है। यह फैसला किया गया कि भारतीय संग्रहालयों और उनके मानव संसाधनों में सुधार और उनके उन्नयन के लिए एक महत्वपूर्ण कार्यक्रम शुरू करके स्वामी विवेकानंद की विरासत की जीती जागती वसीयत बनाई जाए। यह फैसला भी किया गया कि कार्यक्रम के अंतर्गत आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो संगोष्ठियों और कार्यशालाओं के लिए भारतीय संग्रहालयों के साथ सर्वश्रेष्ठ परंपराओं का आदान-प्रदान करेगा।
अमेरिका और भारत के बीच पेशेवर आदान-प्रदान एवं विकास के लिए भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की देखभाल, संरक्षण और उसके प्रदर्शन के क्षेत्र में तैयार किया संयुक्त रूप से विकसित कार्यक्रम है। जनवरी 2012 में इसके अस्तित्व में आने के बाद से दोनों देशों के संग्रहालयों के अनुभवी लोगों की बैठकें दिल्ली और शिकागो में हुई हैं। इसके परिणामस्वरूप एकल सॉफ्टवेयर प्रणाली विकसित हुई है और भारतीय राष्ट्रीय संग्रहों की नामावली के लिए वर्गीकरण किया गया है। इस महत्वपूर्ण कदम से भारत ऐसा देश बन गया है, जिसने अपने सभी राष्ट्रीय संग्रहालयों में एक समान, खोजे जाने योग्य डाटा बेस कार्यक्रम को अंगीकार किया है, जिससे स्कॉलर तथा जनसामान्य की इन संग्रहों तक अधिकतम पहुंच स्थापित हो सकेगी। प्रेजीडेंट डगलस ड्रक एवं दूलोइस डब्ल्यू मार्टिन डायरेक्टर ऑफ दी आर्ट इंस्टीट्यूट अपने कलाकारों एवं संग्रहकर्ताओं से मिलने दूसरी बार भारत आए हुए हैं, उन्होंने आज राष्ट्रीय संग्रहालय में अपना व्याख्यान दिया और संग्रहालय की प्रतिष्ठा के लिए कार्यक्रम कला संस्थान में काम कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों से मुलाकात की।
प्रेजीडेंट डगलस ड्रक तथा दूलोइस डब्ल्यू मार्जिन डायरेक्टर ऑफ आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो ने कहा कि मुझे संग्रहालय की प्रतिष्ठा के लिए विवेकानंद स्मारक कार्यक्रम की ऐसी अद्भूत प्रगति का उल्लेख करते हुए संस्कृति सचिव रवींद्र सिंह के साथ अपनी बात रखने पर अत्यंत प्रसन्नता है, भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय के सहयोग से विस्तृत व्यावसायिक कार्यक्रम के ऐसे सहयोगी अमेरिकी संग्रहालय होने पर हमें गर्व है, जहां हम आज प्रगति का उत्सव मनाने के लिए यहां उपस्थित हैं, यहां हमारी संचालन साझेदारी अंतर्राष्ट्रीय सहयोग एवं व्यावसायिक आदान-प्रदान का एक आदर्श उपस्थित कर पायेगी। वर्ष 1893 में भारत के साथ कला संस्थान का संबंध स्थापित हुआ था, 111 साउथ मिशिगन एवेन्यू के शहर के निचले स्थान पर एक भवन में विश्व धर्म संसद का आयोजन किया गया था और यही भवन अब आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो की कर्मभूमि है। स्वामी विवेकानंद के शानदार संबोधन से इस कांग्रेस में रोमांच का प्रसार हो गया था।
स्वामी विवेकानंद के प्रारंभिक शब्द-“अमेरिका के मेरे भाइयो और बहनो” ने धार्मिक सहिष्णुता एवं सोच की जोशपूर्ण दलील प्रस्तुत कर दी थी और रक्तपात एवं युद्ध में धर्म की भूमिका को रेखांकित किया था। कट्टरता एवं धर्मांधता का निषेध किया। मैं विनम्रतापूर्वक आशा करता हूं कि सम्मेलन के सम्मान में आज प्रातः घंटे की ध्वनि सभी रूपों में कट्टरतावाद के अंत अथवा लेखनी की शक्ति का परिचायक होगी तथा एक ही लक्ष्य को प्राप्त करने में लोगों के बीच सभी प्रकार के द्वंद्व का अंत कर पायेगी। भारतीय मनीषी के इस उल्लेखनीय भाषण ने पश्चिमी स्रोताओं को झकझोर डाला और इससे पूर्वी एवं पश्चिमी धर्मों के बीच बंद द्वार खुले। मिशिगन एवेन्यू का वह क्षेत्र जहां आर्ट इंस्टीट्यूट स्थित है, का नाम 1995 में माननीय स्वामी विवेकानंद मार्ग के नाम से विभूषित किया गया और इस संग्रहालय में अब स्वामी विवेकानंद के संबोधन का शिलालेख लगा दिया गया है। इस सुदीर्घ संबंध के सम्मान में भारत सरकार ने अमेरिकन आर्ट संग्रहालय को पहली बार प्रदान की गई आर्थिक सहायता से संग्रहालय श्रेष्ठता के लिए विवेकानंद स्मारक कार्यक्रम की स्थापना की।
अद्वितीय कार्यक्रम के अंतर्गत राष्ट्रीय संग्रहालय संस्थान नई दिल्ली में दो सेमीनारों का अद्वितीय आयोजन किया गया, जिनमें संग्रहालय प्रबंधन के विभिन्न आयामों को रखा गया। अब द्वितीय वर्ष में 10 प्रमुख भारतीय संग्रहालयों से 13 व्यावसायिकों को इस कार्यक्रम में शामिल किया गया है, जो आर्ट इंस्टीट्यूट स्टाफ सदस्यों के साथ भारत और अमेरिका दोनों देशों में सीधे काम करेंगे, जिन्हें देख-रेख एवं अनुरक्षण के साथ-साथ सूचना प्रौद्योगिकी की निपुणता हासिल है। आर्ट इंस्टीट्यूट की सहायता से भारत सरकार सीधे वित्त पोषित सभी संग्रहालयों, जिनमें राष्ट्रीय संग्रहालय नई दिल्ली, राष्ट्रीय संग्रहालय कोलकाता, सलारजंग म्यूजियम हैदराबाद, विक्टोरिया मैमोरियल हाल कोलकता, इलाहाबाद संग्रहालय, नेशनल गेलरी ऑफ मॉडर्न आर्ट, नई दिल्ली, मुंबई, बेंगलूरू, भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा प्रबंधन में 40 स्थानों पर स्मारकों में अपने संग्रह के लिए एकल डाटा बेस सूचना प्रणाली की सूची का उपयोग करने पर सहमति जताई है, जिससे भारत राष्ट्रव्यापी ऐसी प्रणाली को अंगीकार करने वाला पहला देश बन जाएगा।
भारत सरकार के संस्कृति मंत्रालय की विकसित की गई विस्तृत बेवसाइट के डाटा बेस तक जनसामान्य की पहुंच होगी। इस प्रगतिशील उपाय से वर्तमान में पहुंच से परे भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर लोगों को उपलब्ध होगी और इससे पहली बार गंवेषनापूर्ण केंद्रीयकृत डाटा बेस पर सूचना का स्थानांतरण संभव होगा। इसके साथ ही, भारतीय संग्रहालयों में रखरखाव एवं अनुरक्षण में प्रशिक्षण की यह सुविधा व्यवसायियों को प्राप्त होगी, जिससे वे अपने-अपने संस्थानों के भीतर कंप्यूटरीकृत प्रबंधन परियोजनाओं के कार्यान्वयन को मूर्त रूप दे सकेंगे, जिनमें कोलकाता में भारतीय संग्रहालय, भारत के प्राचीनतम संग्रहालय, सालारजंग म्यूजियम, विक्टोरिया मैमोरियलय हाल कोलकाता, इलाहाबाद संग्रहालय, सारनाथ, नागार्जुन कौंडा, विक्रम शिला, पुराना गोवा, फोर्ट सेंट जार्ज स्थित महत्वपूर्ण पुरातात्विक स्थलों सहित भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के अनेक संग्रहालय स्थल शामिल हैं। इस परियोजना के प्रथम चरण में सेंटर फॉर दा डेवलपमेंट ऑफ एडवांस कंप्यूटिंग (सीडैक) में विकसित जतन डिजिटल मेनेजमेंट साफ्टवेयर को नौ म्यूजियमों में प्रयोग में लाया गया है।
दा आर्ट इंस्टीट्यूट ऑफ शिकागो की वचनबद्धता इस तथ्य से प्रदर्शित होती है कि उसने आगामी प्रदर्शनी की तालिका तैयार की है, जिसमें जितिश कलाट (2010-11) तथा रबींद्रनाथ टैगोर (2012) की कृतियों को अमेरिकी स्रोताओं के बीच रखने के अपने पिछले वायदे को निभाया है तथा भारत सरकार द्वारा प्रत्यक्ष तौर से लिए गए पहले आर्ट इंस्टीट्यूट की प्रस्तुति को प्रदर्शनी के तौर पर रखा जाएगा। वर्ष 2013 में संग्रहालय ने जिरीनाः कागज सदृश त्वचा के साथ-साथ अमर कंवर की दृश्य प्रचार की सामग्री, प्रकाश की प्रस्तुतियां नामक कार्यक्रमों को 20 अप्रैल 2014 तक संचालित किया जाएगा। मार्च के महीने में आर्ट इंस्टीट्यूट दो समकालीन चित्रकारों अर्थात दयानीता सिंह तथा नीलिमा शेख की कृतियों का प्रदर्शन किया जाएगा। यह संस्थापना दयानीता सिंह को उनकी पूर्ववर्ती श्रृखला “माइ सेल्फ मोना अहमद” को हाल की संबद्ध कृति “म्यूजियम ऑफ चांस” के साथ लाने के प्रति समर्पित है और इसे 1 मार्च से तथा 1 जून 2014 से प्रदर्शित किया जाएगा।
किसी अमेरिकी संग्रहालय में संग्रहीत कलाकार की प्रथम कृतियों को प्रदर्शित करने में आपके स्वप्नों में कश्मीर में गुजारी गई शेख की प्रत्येक रात शीर्षक अंतर्गत मदों में आर्ट इंस्टीट्यूट की प्रस्तुति के लिए विशेष तौर पर सृजित किये गए दो अतिरिक्त कार्यों को कलाकार ने नौ बैनरों में शामिल किया है। यह प्रदर्शनी 8 मार्च से 18 मई 2014 तक आर्ट इंस्टीट्यूट में देखी जा सकेगी। समकालीन भारतीय कलाकारों के साथ-साथ भारतीय कला के अन्य पहलुओं पर हुए कार्य की अगली प्रदर्शनियों की भी योजना बनायी जा रही है।