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Sunday 9 February 2014 08:54:19 PM
मुंबई। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कल मुंबई में पश्चिमी भारत के वकीलों के संघ की 150वीं वर्षगांठ का शुभारंभ किया। इस अवसर पर राष्ट्रपति ने कहा कि यह सुनिश्चित करना वकीलों का कर्तव्य है कि किसी को न्याय से मना न किया जाए। उन्होंने कहा कि वकीलों को आम आदमी के ऐसे कंधों के रूप में काम करना चाहिए, जो नागरिकों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हैं, इसके अतिरिक्त उन्हें लगातार संविधान की सर्वोच्चता बनाए रखने के भी प्रयास करने चाहिए, यह सिर्फ तभी हासिल किया जा सकता है, जब न्यायपालिका पारदर्शी, निष्पक्ष रहे और तेजी से न्याय प्रदान करे।
राष्ट्रपति ने कहा कि न्याय देने में देरी की समस्या को सिर्फ बार एसोसिएशन के सक्रिय सहयोग से ही ठीक किया जा सकता है, अपनी एसोसिएशन के जरिए उन्हें अपने सदस्यों को प्रेरित करना चाहिए कि सिर्फ ऐसे मामलों में ही मामला स्थगित करने की मांग की जाए जहां वाजिब कारण हों। यह बहुत महत्वपूर्ण है, क्योंकि देरी के कारण मुकदमे लंबित रहते हैं और लागत बढ़ती जाती है। राष्ट्रपति ने कहा कि अपनी भूमिका प्रभावशाली ढंग से निभाने के लिए वकीलों को यह सुनिश्चित करने की जरूरत है कि कानूनी बिरादरी को ज्ञानवान, अच्छी तरह प्रशिक्षित, बेहतरीन सुविधाओं और बुनियादी ढांचे से लैस तथा सबसे अधिक महत्वपूर्ण सामाजिक रूप से प्रतिबद्ध होना चाहिए। उन्हें अपने व्यवसाय में विश्वास और सुरक्षा महसूस करनी चाहिए, यह प्रभावी न्याय प्रदान करने की प्रणाली की स्थापना के लिए पूर्व शर्त है।
राष्ट्रपति ने पश्चिमी भारत के वकीलों के संघ की सराहना करते हुए कहा कि इसका गठन होना भारत के राजनीतिक इतिहास में महत्वपूर्ण पल था, यह कानूनी पेशे से जुड़े लोगों के सचेत होने का प्रतीक था, ताकि वे स्वशासन के आंदोलन में ज्यादा सक्रिय भूमिका निभा सकें। उन्होंने कहा कि इस पेशे के नेतृत्व ने स्वतंत्रता हासिल करने के संघर्ष में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।