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संसद भारतीय लोकतंत्र की गंगोत्री है-राष्‍ट्रपति

संसद भवन के केंद्रीय हॉल में छाया चित्रों का अनावरण

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Monday 10 February 2014 11:56:48 PM

parliament house union hall

नई दिल्‍ली। राष्‍ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने आज संसद भवन के केंद्रीय हॉल में केंद्रीय विधान सभा के अध्‍यक्ष के फोटो तथा लोकसभा के पूर्व अध्‍यक्ष के छाया चित्रों का अनावरण किया। इस अवसर पर राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय संसद हमारे लोकंतत्र की गंगोत्री है, यह भारत के करोड़ों लोगों की इच्‍छा और आकांक्षाओं का प्रतिनिधित्‍व करती है तथा सरकार और लोगों को जोड़ती है, यदि गंगोत्री प्रदूषित हो‍ती है तो गंगा और उसकी सहायक नदियां दूषित हुए बिना रह सकती हैं, अत: सभी सांसद लोकतंत्र के उच्‍चतम मानदंडों तथा संसदीय कार्य प्रणाली को बनाये रखें। राष्‍ट्रपति ने कहा कि संसद का प्रमुख कार्य कानून बनाना तथा लोगों को सभी मंचों सामाजिक, आर्थिक तथा राजनैतिक तौर पर सशक्‍त करना है, कानून की वैधता चाहे वह केंद्रीय हो या राज्‍य का इसकी जांच जैसा कि संसद में परिभाषित किया गया है, न्‍यायपालिका करती है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि हमारी संसद ने सभी वि‍कसित प्रक्रियाओं और प्रणालियों को आत्‍मसात किया है, हमारी संसदीय कार्य प्रणाली तथा अन्‍य लोकतांत्रिक संस्थाओं को मजबूत बनाने के लिए यह महत्‍वपूर्ण है कि सरकार, राजनीतिक दल, उनके नेता तथा सांसद, सभी भागीदार आत्‍मविश्‍लेषण करें तथा उत्‍कृष्‍ट संसदीय परंपराओं तथा नियमों का पालन करें। केंद्रीय विधायी सभा के अध्‍यक्षों के फोटो एवं लोकसभा के पूर्व अध्‍यक्षों की तस्‍वीरों का अनावरण करते हुए उन्‍होंने कहा कि हमारे निर्वाचित शीर्ष निकायों के पीठासीन अधिकारियों के रूप में इन मशहूर शख्सियतों ने अपने नवप्रवर्तनशील विचारों, निर्देशों और प्रयासों से संसदीय लोकतंत्र की इमारत को मजबूत करने में महत्‍वपूर्ण योगदान दिया है, इन सभी पुरोधाओं के फोटों एवं तस्‍वीरें आज इस लोकतंत्र के मंदिर में स्‍थापित की गई हैं। उन्‍होंने कहा कि संसद हमारी एक अरब से अधिक की आबादी की आकांक्षाओं और इच्‍छाओं का प्रतिनिधित्‍व करती है और जनता तथा सरकार के बीच संपर्क सेतु है, सभी सांसदों का कर्तव्‍य बनता है कि वे लोकतंत्र और संसदीय कार्य प्रणाली के उच्‍च आदर्शों को बनाए रखें, सरकार के किसी भी हिस्‍से की तरह संसद संप्रभु नहीं है और इसकी उत्‍पत्ति तथा इसके अधिकार संसद से प्रदत्‍त हैं और यह अपनी कार्यात्‍मक जिम्‍मेदारी तथा जिम्‍मेदारियों का निर्वहन संविधान के दायरे में ही प्राप्‍त करती है।
राष्‍ट्रपति ने कहा कि भारतीय संसद ने बेहतर व्‍यवस्‍था और कार्यप्रणाली विकसित की है, संसद अपना कामकाज व्‍यवधान के बजाए बहस, असहमति और अंतिम निर्णय के जरिए करती है, संसदीय कार्यप्रणाली और अन्‍य लोकतांत्रिक संस्‍थाओं को मजबूती देने के लिए यह जरूरी हो जाता है कि सभी हिस्‍सेदार-सरकार, राजनीतिक पार्टियों, उनके नेताओं और सांसदों को आत्‍मावलोकन करने की जरूरत है तथा संसदीय परंपराओं एवं नियमों का अनुसरण भी करना है। इस ऐतिहासिक संसद भवन की दीवारों पर प्राचीन भारत के चित्र हैं, इसके अलावा यहां हमारे राष्‍ट्रीय नेताओं तथा प्रख्‍यात सांसदों की प्रतिमाएं एवं उनके फोटो भी हैं। इस समय संसद भवन के लोकसभा कक्ष की आंतरिक लॉबी में आजादी से पूर्व केंद्रीय विधायी सभा के पीठासीन अधिकारियों के फोटो लगाए गए हैं। इस बेहतर परंपरा को जारी रखते हुए यह निर्णय लिया गया कि केंद्रीय विधायी सभा के अध्‍यक्षों एवं लोकसभा के पूर्व अध्‍यक्षों की एक गैलरी हो और लोकसभा कक्ष की बाहरी लॉबी में इनकी तस्‍वीरें तथा फोटो लगाई जाएं, मैं लोकसभा अध्‍यक्ष मीरा कुमार को इस प्रयास के लिए धन्‍यवाद देता हूं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि पिछले छह दशकों और आजादी के समय से ही देश के लोग सार्वभौमिक मताधिकार के जरिए 15 लोकसभाओं के गठन के साक्षी रह चुके हैं, देश के निर्वाचित शीर्ष निकाय के रूप में प्रत्‍येक लोकसभा ने देश को प्रगति की राह की ओर सफलतापूर्वक निर्देशित किया है, यह समय आजादी से पूर्व केंद्रीय विधायी सभा के गणमान्‍य अध्‍यक्षों सर फ्रेडरिक व्‍हाइट, विट्ठल भाई पटेल, सर मोहम्‍मद याकूब, सर इब्राहीम रहीमतुल्‍ला, सर आरके षणमुखम चेट्टी और सर अब्‍दुर्रहीम को याद करने का भी है, जिन्‍होंने भारत की संसदीय प्रणाली की मजबूत आधारशिला रखी। उन्‍होंने कहा कि केंद्रीय विधायी सभा के पहले निर्वाचित अध्‍यक्ष सरदार वल्‍लभ भाई पटेल के अनवरत प्रयासों और इसके सदस्‍यों जैसे मोती लाल नेहरू एवं अन्‍य के योगदानों से केंद्रीय विधायी सभा के अध्‍यक्ष के तहत एक स्‍वायत्‍त सचिवालय की स्‍थापना हमारी संसदीय प्रणाली के इतिहास में एक निर्णायक मोड़ थी। सदन के संवैधानिक एवं कार्यात्‍मक प्रमुख के रूप में स्‍पीकर की महत्‍वपूर्ण जिम्‍मेदारी सदन की गरिमा, उसकी शक्तियों, उसकी निष्‍पक्षता एवं स्‍वतंत्रता को बनाए रखने की है, संविधान के जरिए स्‍पीकर को पर्याप्‍त शक्तियां दी गई हैं।  

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