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Tuesday 25 February 2014 02:12:38 PM
नई दिल्ली। स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय के सचिव लव वर्मा तथा ब्रिटेन के स्वास्थ्य विभाग के स्थायी सचिव उना ओ ब्रिटेन की कल द्विपक्षीय बैठक हुई। इसमें स्वास्थ्य क्षेत्र में सहयोग संबंधी भारत तथा ब्रिटेन के बीच 2013 में हुए समझौता ज्ञापन की प्रतियों का आदान-प्रदान किया गया। बैठक का उद्देश्य इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत क्रियाकलापों का विस्तार करना तथा विशिष्ट क्षेत्रों में सहयोग को बढ़ाने के लिए राष्ट्रीय व राज्य स्तरों पर और संस्थागत भागीदारियों की पहचान करने, इस समझौता ज्ञापन के अंतर्गत कार्रवाई और योजनाएं लागू करने का प्रबंध देखने के लिए शासन संबंधी समझौते तथा एक साझा कार्यकारी दल के लिए नामांकन का सुझाव देने तथा अन्य पारस्परिक हितों के क्षेत्रों गतिविधियों के बारे में विचार-विमर्श करना शामिल था। दोनों देशों के स्वास्थ्य सचिवों की उपस्थिति में डॉ रवि कुमार (जेआईपीएमईआर, पांडिचेरी) तथा प्रोफेसर सेशाद्री वासन (पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड) के बीच हस्ताक्षर किए गए। समझौता ज्ञापन की प्रतियों का रस्मी आदान-प्रदान हुआ।
समझौता ज्ञापन में अगले पांच सालों में परिभाषित व समयबद्ध गतिविधियों के साथ एक संयुक्त कार्ययोजना को विकसित करना शामिल है। इसका उद्देश्य भारत व ब्रिटेन के बीच सहयोग को बेहतर बनाना और एक दूसरे के अनुभवों से सीखना है। डीएफआईडी (ब्रिटेन)-भारत सरकार भागीदारी की प्राथमिकता ‘माँ और बच्चे’ के स्वास्थ्य में बेहतरी लाना और संक्रामक रोगों के दबाव को कम करना है। समझौता ज्ञापन में चुने गए क्षेत्रों में जिन बातों को शामिल किया गया है वे हैं-भारत एवं ब्रिटेन के बीच स्वास्थ्य देखभाल नीति पर आदान-प्रदान को प्रोत्साहित करना, स्वास्थ्य के लिए मानव संसाधन,नियामक विषय, स्वास्थ्य प्रौद्योगिकी विकास, प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल, सार्वजनिक स्वास्थ्य संरचना तथा क्षमता को मजबूत बनाना, संक्रामक रोगों, संक्रमण से व्यूत्पन्न संक्रामक रोगों तथा दवा प्रतिरोध विषय पर सहयोग सहित स्वास्थ्य सुरक्षा और अन्य विकासशील देशों में स्वास्थ्य देखभाल सेवाओं तथा क्षमता को बेहतर बनाने के लिए भारत-ब्रिटेन की मिल-जुल काम करने की भावना।
इस अवसर पर डॉ जगदीश प्रसाद (डीजीएचएस), आरके जैन (सहायक सचिव एवं महानिदेशक), सीके मिश्रा (सहायक सचिव-स्वास्थ्य), एसके राव (संयुक्त सचिव), एंड्रयू सोपर (कांउसलर प्रॉसपैरिटी, ब्रिटिश उच्चायोग), डॉ हिमांगी भारद्वाज (वरिष्ठ सलाहकार-ब्रिटिश उच्चायोग), नेल ड्रूस (अंतर्राष्ट्रीय विकास विभाग) तथा भारत और ब्रिटेन के विभागों के अधिकारी उपस्थित थे।