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Wednesday 12 March 2014 10:17:53 PM
नई दिल्ली। पंद्रहवीं लोकसभा में रिकॉर्ड संख्या में स्नातकोत्तर सांसद थे, जबकि 14वीं लोकसभा में 157 सांसद स्नातकोत्तर थे। पंद्रहवीं लोकसभा में यह संख्या 256 सांसदों तक पहुंच गई। पंद्रहवीं लोकसभा में लगभग 78 प्रतिशत सांसद स्नातक, स्नातकोत्तर या डॉक्टरेट डिग्री धारक थे। पहली लोकसभा में जहां 112 सांसद मैट्रिक पास नहीं थे, वहीं 15वीं लोकसभा में यह संख्या घटकर 20 रह गई।
भारत के संविधान में चुनाव लड़ने के लिए किसी शैक्षणिक योग्यता का निर्धारण नहीं किया गया है, लेकिन रूझान बताते हैं कि पढ़े-लिखे उम्मीदवार अधिक संख्या में विजयी हो रहे हैं। पहली लोकसभा में स्नातक और अधिक शैक्षिक योग्यता वाले सांसद 56 प्रतिशत थे। पंद्रहवीं लोकसभा में यह संख्या बढ़कर 78 प्रतिशत हो गयी। पहली लोकसभा में बिना मैट्रिक पास सांसदों की संख्या 23 प्रतिशत से घटकर 15वीं लोकसभा में तीन प्रतिशत रह गयी है।
सदन में कई ऐसे सांसद भी हैं, जिन्होंने कभी औपचारिक शिक्षा ग्रहण नहीं की, लेकिन 15वीं लोकसभा में एक भी अशिक्षित सांसद नहीं था। चौबीस सांसदों के पास तो डॉक्टरेट डिग्री थी। पंद्रहवीं लोकसभा में स्नातक सांसद की संख्या में कमी आई और स्नातकोत्तर तथा उच्च डिग्री धारकों की संख्या में बढ़ोतरी हुई।