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Friday 14 March 2014 09:51:22 PM
लखनऊ। दलित समाज की प्रगतिशील राजनीति के प्रमुख नेता एवं इंडियन जस्टिस पार्टी के संस्थापक अध्यक्ष डॉ उदित राज भाजपा में विलय के बाद आज जब लखनऊ में दलित सम्मेलन में आए तो उनका प्रभामंडल और राजनीतिक परिदृश्य बिल्कुल बदला हुआ था। दलित सम्मेलन में विभिन्न जिलों से आए उनके कार्यकर्ता आत्मविश्वास से भरे और बेहद उत्साहित थे। भाजपा उनका नया राजनीतिक घर था, तथापि उन्हें नए घर में जोरदार स्वागत देखने को मिला। इस दलित सम्मेलन ने उनके फैसले को विश्वास और सफलता के पंख लगाए तो सम्मेलन में मौजूद भाजपा के वरिष्ठ नेताओं ने भी दलित समाज में डॉ उदित राज की पकड़ और उनके महत्व का पूरा सम्मान किया। डॉ उदित राज का लखनऊ में रवींद्रालय में यह प्रथम स्वागत कार्यक्रम था, जिसमें बड़ी संख्या में दलित समाज पहुंचा और उसने भाजपा के मिशन २०१४ को सफल बनाने का संकल्प लिया। कार्यक्रम की शुरूआत भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र, हृदयनारायण दीक्षित और भाजपा के नए नेता डॉ उदित राज के दीप प्रज्जवलन और बाबा साहब भीमराव अंबेडकर एवं पंडित दीनदयान उपाध्याय के चित्रों पर माल्यार्पण से हुई।
भाजपा के वरिष्ठ नेता कलराज मिश्र ने जब कहा कि डॉ उदित राज दलितों के नेता हैं, वह भाजपा की विचारधारा को आगे बढ़ाने का काम करेंगे, डॉ उदित राज के सभी समर्थकों को भाजपा में उचित पद से विभूषित किया जायेगा तो स्वागत सम्मेलन तालियों से गूंज उठा। दरअसल उदित राज का भाजपा के साथ आना ऐसे समय पर हुआ है, जब भाजपा देश के आम चुनाव में खड़ी है और उसने नरेंद्र मोदी को देश के प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बनाया है। भाजपा को आज सर्व समाज चाहिए, मायावती को घेरने वाले समर्पित दलित भी चाहिएं। उत्तर प्रदेश प्रधानमंत्री पद की राजनीति का केंद्र है, जहां के राजनीतिक समीकरण कुछ वर्षों से तो बसपा और सपा के इर्द-गिर्द सिमटकर ही रह गए थे। नरेंद्र मोदी ने इन बंधनकारी समीकरणों को तोड़ा है, जिससे सपा और बसपा की छटपटाहट सबके सामने दिख रही है। दलित वोट उत्तर प्रदेश में अभी तक बसपा अध्यक्ष मायावती की सत्ता का कारक है, पिछड़े वर्ग और मुसलमानों का झुकाव भी कई तरफ रहा है। इसका सबसे ज्यादा लाभ बसपा को मिलता आया है। सामान्य सीटों पर दलितों का वोट किसी भी दल और उम्मीदवार को लाभ पहुंचा सकता है, इसीलिए मायावती से सवर्णकार्ड खेलना शुरू किया, जिसका सर्वाधिक लाभ बसपा को मिला और सर्वाधिक नुकसान भाजपा को हुआ। ऐसे में डॉ उदित राज का भाजपा में महत्च भी स्वाभाविक है। खासतौर से उत्तर प्रदेश के संदर्भ में डॉ उदित राज और भाजपा दोनों को इसका लाभ मिलता है।
डॉ उदित राज के भाजपा में आने के फैसले का सम्मेलन में अनौपचारिक विश्लेषण भी हुआ। हर कोई जानता है कि बसपा में दलितों के लिए लोकतंत्र नहीं है, जिससे वहां आजतक कोई दलित, नेता नहीं बन सका। मायावती लीडरशिप विकसित ही नहीं करतीं, जबकि डॉ उदित राज दलित लीडरशिप को समाज की प्रगति के लिए जरूरी समझते हैं, इसीलिए उनके साथ युवा जुड़ा है। उनका देश के बड़े राष्ट्रीय भाजपा में आना मायावती के लिए कोई सहज स्थिति नहीं मानी जा सकती है। हां, यहां उनकी राजनीतिक सफलता काफी हद तक उनके धैर्य पर निर्भर करेगी। उदित राज दलित समाज में अपना खासा प्रभाव रखते हैं, यह बात मायावती भी जानती हैं। यह तब है, जब उनके पास मायावती की तरह अकूत धन नहीं है। उदित राज के भाजपा में आने से उन दलितों को एक मंच और विश्वास मिल गया है, जो किन्ही कारणों से बसपा में उपेक्षित थे या मायावती की उपेक्षा के शिकार थे, मगर उनके सामने कोई विकल्प नहीं था। उदित राज अभी तक जिन दलों के साथ रहे हैं, उनको तो उनके प्रभाव का लाभ मिला है, लेकिन उदित राज को उनका राजनीतिक लाभ नहीं मिला। इसका कारण जो भी हो। उदित राज आज जो कुछ भी हैं, अपने दमपर हैं और दलितों में बसपा की लहर के बावजूद अपना राजनीतिक वजूद कायम किए हैं। भाजपा के दिमाग में भी यही बात है, जिसने उदित राज को अपने यहां तक पहुंचाया और आज उन्होंने नई ऊर्जा के साथ भाजपा के साथ अपनी राजनीतिक पारी की शुरूआत की है।
बहरहाल डॉ उदित राज ने स्वागत सम्मेलन में कहा कि कांग्रेस की सरकार 10 साल तक रही, आरक्षण कानून बनाने के लिए 2004 में संसद में विधेयक पेश किया गया, लेकिन वह पास नहीं हो सका, पदोन्नति में आरक्षण देने का विधेयक भी संसद में पास नहीं किया जा सका। उन्होंने कहा कि पांच आरक्षण विरोधी आदेश निरस्त कराने के लिए 1997 में अनुसूचित जाति जनजाति के संगठनों के अखिल भारतीय परिसंघ का उनके नेतृत्व में गठन हुआ था और जब अटल बिहारी बाजपेयी के नेतृत्व में केंद्र में सरकार बनी तो उसी में तीन संवैधानिक संशोधन करके छिने हुए आरक्षण को बहाल किया गया था, इन्ही परिस्थितियों में मैं भाजपा में शामिल हुआ हूँ, ताकि वंचित वर्गों को भागीदारी दिलायी जा सके। उन्होंने कहा कि भाजपा ही एक ऐसा दल है, जो न केवल राजनैतिक सत्ता की चिंता करता है, बल्कि समाज में एकात्म के लिए भी प्रयास करता है, पार्टी का पूरा प्रयास है कि दलितों एवं वंचितों को विभिन्न क्षेत्रों में भागीदारी देकर स्वर्ण और दलित के बीच की दूरी को कम किया जाए। भाजपा के विधान परिषद सदस्य हृदयनारायण दीक्षित भी इस अवसर पर मौजूद थे। उन्होंने कहा कि पंडित दीन दयाल उपाध्याय चाहते थे कि दलित पिछड़ों को न्याय एवं बराबरी का दर्जा मिले, जाति व्यवस्था को ठीक करने के लिए उन्होंने पूरे देश का दौरा भी किया था।
पूर्व विधायक कालीचरण सोनकर ने कहा कि भारतीय जनता पार्टी ही दलितों को आगे बढ़ाने में सहायक सिद्ध होगी। उन्होंने कहा कि लोकसभा चुनाव में भाजपा को अधिक से अधिक सीटें दिलाने हेतु वे पूरे उत्तर प्रदेश का दौरा करेंगे। कार्यक्रम आयोजक कमल चक, संजय राज ने डॉ उदित राज को भाजपा की राष्ट्रीय कार्यकारिणी में विशेष आमंत्रित सदस्य बनाये जाने पर हार्दिक बधाई देते हुए संकल्प दिलाया कि सभी कार्यकर्ता और पदाधिकारी अपने जिलों में भाजपा को भारी बहुमत से जिताने का काम करेंगे। स्वागत करने वालों में मुख्य रूप से अगूरी धारिया, सुरेंद्र सोनकर, विक्की सोनकर, कुमार गौरव त्रिपाठी आदि लोग शामिल थे। कार्यक्रम में मुख्य रूप से डॉ महेंद्र सिंह एमएलसी, भवनाथ पासवान, शिव प्रसाद सोनकर, राजेंद्र कुमार चक, अमित कुमार केसरवानी, जीडी सोनकर, माया देवी, अमर सिंह खटिक, बब्लू सोनकर, पप्पू खटिक, पंचम लाल, श्रीराम सोनकर, अनिल सोनकर, गुड्डू सोनकर आदि मौजूद थे।