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Thursday 27 March 2014 06:41:47 PM
नई दिल्ली। भारतीय आर्थिक सेवा के 35वें बैच (2013) के 29 प्रशिक्षु अधिकारियों ने राष्ट्रपति भवन नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी से मुलाकात की। राष्ट्रपति ने इस मौके पर कहा कि भारतीय आर्थिक सेवा के अधिकारी नीति-निर्माताओं और योजनाकारों को परामर्श देने में मुख्य भूमिका निभाते हैं, आज जैसी जटिल दुनिया में नीति-निर्माण के क्षेत्र में ठोस आर्थिक परामर्श की जरूरत बढ़ती जा रही है। ध्यान रहे कि प्रणब मुखर्जी देश के वित्तमंत्री भी रहे हैं और आर्थिक मामलों में उनकी गहरी रूचि रही है।
उन्होंने कहा कि 1947-48 के बजट में हमारा राजस्व 171 करोड़ रुपये था और खर्च 197 करोड़ रुपये। इसके मुकाबले वर्ष 2013-14 में हमारा राजस्व 10.3 लाख करोड़ रुपये और खर्च 15.9 लाख करोड़ रुपये रहा। अर्थव्यवस्था के लगातार गतिशील बने रहने और वैश्विक अर्थव्यवस्था के साथ इसके गहराई से जुड़े होने के कारण इसमें अनेक ढांचागत परिवर्तन आए हैं। इस चुनौती का मुकाबला मजबूत नीतियां और कार्यक्रम बनाकर ही किया जा सकता है। उन्होंने राजस्व सेवा प्रशिक्षुओं के सामने ऐसे बहुत से उदाहरण पेश किए जो राजस्व प्रशासन में काफी मददगार हैं।
राष्ट्रपति ने प्रशिक्षु अधिकारियों से उम्मीद जाहिर की कि वे देश का भविष्य तय करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगे। उन्होंने कहा कि उन्हें भारतीय अर्थव्यवस्था के लचीलेपन पर पूरा भरोसा है, देश के किसानों, औद्योगिक मजदूरों और नीति-निर्माताओं के सहयोग की वजह से भारतीय अर्थव्यवस्था ने अनेक संकटों का सफलतापूर्वक सामना किया है। प्रशिक्षुओं ने उनसे राजस्व प्रशासन की टिप्स भी हांसिल कीं। भारतीय आर्थिक सेवा के प्रशिक्षु अधिकारी नई दिल्ली के इंस्टीट्यूट ऑफ इकोनॉमिक ग्रोथ में प्रशिक्षण ले रहे हैं।