माजिद मुश्ताक पंडित
Sunday 30 March 2014 01:13:50 PM
जम्मू। मध्यकालीन विशाल मुबारक मंडी महल परिसर जम्मू शहर के प्राचीनतम इलाके में है। इस महल में बेहतरीन शिल्पकारी की मिसाल के तौर पर कईं सुंदर और उत्कृष्ट इमारतें हैं। महल का वास्तु अत्यलंकृत यूरोपीय, मुगल और राजस्थानी शैली से लिया गया है, जो विभिन्न संस्कृतियों के अनूठे संगम को पेश करता है। ऐसा विश्वास किया जाता है कि प्राचीनतम ढांचे का निर्माण वर्ष 1800 की शुरूआत में हुआ था। यह महल डोगरा राजवंश के शासकों का शाही निवास था। तवी नदी के तट पर इस महल से नदी का प्रभावशाली नजारा दिखता है।
महल प्रांगण के चारों ओर यह परिसर कई निर्माण समूहों का एक समिश्रण है। डोगरा शासकों के वारिसों ने इन इमारतों की संख्या में बढ़ोत्तरी की है। माना जाता है कि यह महल 1925 तक डोगरा शासकों का मुख्य केंद्र हुआ करता था। महल के गलियारों में शाही कार्यक्रम और समारोहों का आयोजन किया जाता रहा होगा। समय बीतने के साथ परिसर पूरी तरह शाही सचिवालय बन गया था। हाल ही के समय तक इस परिसर का उपयोग सरकारी कार्यालयों के रूप में होता रहा था, जिसमें उच्च न्यायालय, लोकसेवा आयोग सहित दूसरे विभाग भी शामिल थे। अब कार्यालयों को दूसरी जगह स्थापित किया गया है और अधिकारियों ने यहां मरम्मत का काम शुरू करा दिया है।
महल का एक भाग पिंक हॉल के रूप में भी जाना जाता है, जो डोगरा कला संग्रहालय है। यहां पर अमूल्य कलाकृतियां और लेख प्रदर्शित किये गये हैं, जिसमें सम्राट शाहजहां की सुनहरी प्रतिमा भी शामिल है। पूरे परिसर की जीर्ण अवस्था के बावजूद परिसर की भव्यता और विशालता आगंतुकों को लुभाती है। इन ऐतिहासिक इमारतों के लेखागार और सांस्कृतिक विरासत के संरक्षण के लिए निरंतर बढ़ती मांग और इसके लिए उठती आवाजों के बाद मुबारक मंडी धरोहर परिसर के संरक्षण के लिए विशेष प्रयास किये जा रहे हैं। इस परिसर के पुराने वैभव की पुनर्बहाली और इसके मौलिक वास्तु स्वरूप को स्थापित करने के लिए इसके संरक्षण और मरम्मत का काम शुरू हो चुका है। जम्मू शहर की घनी आबादी में स्थित होने के कारण इस नाजुक परिसर के सामने कई समस्याएं आईं। इसके अतिरिक्त प्रदूषण भी इस धरोहर ढांचे को हानि पहुंचा रहा है।
राज्य पर्यटन और संस्कृति मंत्रालय के अनुसार 13वें वित्त आयोग ने इस धरोहर परिसर के जीर्णोद्धार के लिए धन देने की सिफारिश की थी। इसके बाद चार इमारतों की पहचान की गई और राज्य स्तर की निगरानी समिति से मंजूरी मिलने के बाद परियोजना सरकार को सौंप दी गईं। यदि इस योजना को उचित ढंग से अमल में लाया गया तो आने वाले समय में इस परिसर की गणना श्रेष्ठ इमारतों में होगी।इसके कुछ हिस्सों का न केवल जीर्णोद्धार किया जायेगा, बल्कि इसका कई तरह से इस्तेमाल हो सकेगा जिससे इसके रख-रखाव के लिए आमदनी जुटाने के अवसर मिलेंगे। पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए धरोहर होटलों की स्थापना के बारे में विचार-विमर्श किया जा रहा है। इस बारे में अंतिम फैसला बाकी है। परिसर को जीवंत करने के प्रयास में राज्य सरकार ने मुबारक मंडी से बाग़-ए-बहु के बीच 40 करोड़ रूपये की रोपवे परियोजना शुरू की है। मुबारक मंडी रोपवे के पूरा होने पर मंदिरों की नगरी में और पर्यटक आकर्षित होंगे।