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Friday 4 April 2014 04:37:58 PM
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी ने कहा है कि समाजवादी पार्टी एक बार फिर वादों की पोटली के सहारे काठ की हांडी चढ़ाने की कोशिश में है। भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता विजय बहादुर पाठक ने एक बयान में कहा कि पिछले वादों में भी पेंच थे, इस बार भी वादों में पेंच ही पेंच हैं। नारा किसान की कर्ज़ माफी का पर जब सच सामने आया तो केवल चचा के बैंक के कर्ज माफ हुए। नारा दिया हमारी बेटी उसका कल, पर जब सच सामने आया तो केवल अल्पसंख्यक बेटी ही दिखाई दी। नारा था सबका विकास, पर जब सच सामने आया तो विकास अल्पसंख्यक गांवों में और वह भी झूंठा विकास।
भाजपा के राज्य मुख्यालय पर संवाददाताओं से वार्ता के दौरान विजय बहादुर पाठक ने सपा के घोषणा पत्र पर कटाक्ष करते हुए आगे कहा कि सपा के लोग वादे करते समय पढ़ तो लेते। वादा है आयकर की छूट 1.5 लाख से बढ़ाकर 2.5 लाख करने का, पर सच यह है कि आयकर में 2 लाख की छूट सीमा तो अभी भी है। उन्होंने सवाल किया कि जब झूंठे आरोपों में जेलों में बंद बेकसूर की बात की जा रही है तो फिर केवल मुसलमान की ही बात क्यों? दरअसल एक बार फिर मुस्लिम तुष्टीकरण का राग अलापने की कोशिश की गई है।
उन्होंने कहा कि सपा किसानों की कर्ज़ माफी की तर्ज पर बुनकरों, हथकरघा व पावरलूप का विद्युत बकाया बिल माफ करने की बात कर रही है, मगर किसान की कर्ज़ माफी की घोषणा के बावजूद वह आत्महत्या कर रहा है, अब इस कर्ज़ माफी की घोषणा पर विश्वास करने के बाद बुनकर बकाया बिजली बिल जमा नहीं करेंगे और फिर समाजवादी पार्टी सरकार जिस तरह से नियम व शर्तें लागू रहती है, इसमें भी उनका लागू होना स्वाभाविक है, जिससे बदहाली और आत्महत्या का एक और वर्ग तैयार होगा।
विजय बहादुर पाठक ने कहा कि सपा ने 2012 के घोषणा पत्र में भी कृषि और किसान पर जोर देते हुए उपज का लाभकारी मूल्य देने की बात कही थी, यही बात इस बार भी कही गयी है, अंतर इतना है कि वरियता क्रम में तब वह पहले नंबर पर थी, अब दूसरे नंबर पर है। तब वादा था किसान की उपज का लागत मूल्य निर्धारित करने के लिए एक आयोग के गठन का, जिसे तीन महीने में रिर्पोट देनी थी, तीन महीने छोड़ दीजिए 24 महीने हो गये हैं, अभी आयोग का गठन ही नहीं हुआ। धान, गेहूं, गन्ना से जुड़े किसानों को किसी तरह की दिक्कत का सामना नहीं करना पड़ेगा यह सपा का वाद था, धान खरीद कागजों में हुई, गेहूं खरीद का सच खुद मुख्यमंत्री ने जाकर देखा। उत्तर प्रदेश में गन्ने की स्थिति यह है कि सरकार मिल मालिकों के पक्ष में खड़ी दिखी, उनपर किसानों के करीब 10.5 हजार करोड़ रुपए बकाया हैं, किसान मारा-मारा फिर रहा है और सपा सरकार के सरकारी दावे उपलब्धियों का बखान कर रहे हैं। इसी प्रकार भ्रष्टाचार को रोकने के लिए जांच आयोग बनाकर समयबद्ध जांच कराने की बात थी, पर जब सच सामने आया तो सरकार सेफ पैकेज देती हुई नज़र आई।
भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि विधानसभा चुनाव के समय भी सपा ने लोकलुभावन घोषणापत्र जारी किया था, दो वर्ष में ही उसने दिखा दिया कि उसकी सोच कैसी है। सपा वोट बैंक की राजनीति से ऊपर ही नही उठ सकती, वह ढिंढोरा पीटती है, लेकिन सुशासन नहीं दे सकती, अब तो अल्पसंख्यक समुदाय के लोग भी सपा शासन में अपने को असुरक्षित महसूस करते हैं, घोषणा-पत्र में युवाओं के लिए रोज़गार सृजन का जिक्र नहीं है, एक बार फिर वादों-नारों के सहारे चुनावी सफलता की आस लगाये समाजवादियों को जनता अब समझ चुकी है, वादे सरकार बनाने पर पूरे होंगे पर यहां तो सत्ता की चाभी रखने के लिए चुनाव लड़ा जा रहा है, जब सत्ता की चाभी मिलेगी और सामने सीबीआई होगी तो क्या होगा इन वादो की पोटली का?