धन्य सानल
Thursday 10 April 2014 02:54:23 PM
तिरूवनंतपुरम। एक तुच्छ दिखने वाले जीवाणु का मामूली रूप से काटा जाना किसी की जिंदगी को भीषण खतरे में डाल सकता है। क्या आप इस बात पर विश्वास करेंगे कि हर वर्ष रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों के कारण दस लाख से अधिक लोगों की मौत हो जाती है। हां, यह सही है, मच्छर जैसे जीवों के काटने से होने वाली मौतों की संख्या चिंताजनक ढंग से बढ़ रही है। अत्यधिक तापमान और अधिक नमी की ऊष्णकटिबंधीय स्थितियों में मनुष्य को गंभीर शारीरिक और मानसिक परेशानियों का सामना करना पड़ता है। उसे बहुत अधिक पसीना आता है, जिससे उसकी ताकत और ऊर्जा का क्षय होता है, लू तथा अन्य बीमारियों के खतरे बढ़ जाते हैं। ऊष्णकटिबंधीय स्थितियां रोगाणुओं और बैक्टिरिया के अस्तित्व के लिए अत्यंत अनुकूल समझी जाती हैं और वे कीटों और सूक्ष्म जीवों के प्रसार को बढ़ावा देती हैं।
इस बार विश्व स्वास्थ्य दिवस के अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ऐसी बीमारियों के समूह की ओर ध्यान आकर्षित किया है, जो कीटाणुओं और अन्य रोगाणुवाहक जीवों से फैलती हैं। ये बीमारियां स्वास्थ्य सेवाओं और अर्थव्यवस्था पर भारी बोझ डालती हैं। ऐसे में यह विचारणीय है कि इस बोझ को कम करने के लिए क्या किया जाए। इन रोगों के संक्रमण के बाद बच जाने वाले कई लोग स्थायी रूप से कमजोर, विरूपित, विकलांग या दृष्टिबाधित हो जाते हैं। इस वर्ष विश्व स्वास्थ्य दिवस का नारा 'सूक्ष्म डंक बड़ा खतरा' वेक्टरजन्य बीमारियों के चिंताजनक ढंग से बढ़ने की ओर ध्यान आकृष्ट करता है। यह नारा सरकारों, स्थानीय अधिकारियों, सामुदायिक संगठनों और व्यक्तियों को एकजुट होकर वेक्टरजन्य बीमारियों की रोकथाम करने का आग्रह करता है, इसलिए इस वर्ष के विश्व स्वास्थ्य दिवस का संदेश है-'मच्छर, मक्खियां, कीटाणु और खटमल जैसे रोगाणुवाहक जीव घर में और सफर में आपके और आपके परिवार के लिए स्वास्थ्य का बड़ा संकट बन सकते हैं।'
महामारी विज्ञान के अनुसार वेक्टर ऐसे जीव समूह हैं, जो रोगाणुओं और परजीवियों को किसी संक्रमित व्यक्ति (अथवा पशु) से अन्य व्यक्ति तक पहुंचाते हैं। वेक्टरजन्य रोग ऐसी बीमारियां हैं, जो इन रोगाणुओंऔर परजीवियों से मनुष्यों में फैलती हैं और विश्व में सभी संक्रामक बीमारियों में से लगभग 17 प्रतिशत इन्हीं बीमारियों के कारण हैं। हालांकि ये बीमारियां ऊष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में सर्वाधिक होती हैं, जहां 40 प्रतिशत आबादी इनसे प्रभावित होती है, लेकिन वैश्विकरण, जलवायु परिवर्तन और शहरीकरण के असर से ये बीमारियां उन देशों में भी फैलने लगी हैं, जहां कभी पहले उनका अस्तित्व नहीं था।
रोकथाम और नियंत्रण:-अब समय आ गया है कि रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों को कम करने के लिए वेक्टर नियंत्रण की पूरी क्षमता का उपयोग किया जाए। वर्ष 1940 के दशक में सिंथेटिक कीटनाशकों का निर्माण बहुत बड़ी उपलब्धि थी और 1940 तथा 50 के दशकों में बड़े पैमाने पर इन कीटनाशक दवाओं के इस्तेमाल से कई रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों पर काबू पाया गया, लेकिन पिछले दो दशकों में रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियां फिर से उभरी हैं या दुनिया के कई नये हिस्सों में फैल गई हैं। रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों के इस खतरनाक प्रसार के साथ कीटनाशक दवाओं की रोधात्मक शक्ति के बारे में भी गंभीर चिंता पैदा हो गई है। इसके साथ ही दुनिया में कीट-विज्ञानियों और रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों के विशेषज्ञों की भी कमी हो गई है, जो इन बीमारियों के नियंत्रण के लिए एकीकृत प्रबंधन का प्रभावी तरीका अपनाते हैं। इसमें घरों में स्प्रे करने से लेकर कीट-भक्षी जीवों के इस्तेमाल जैसे उपायों का बेहतर तरीके से उपयोग शामिल है। यह समन्वित प्रबंधन बहुत उपयोगी है, क्योंकि भौगोलिक प्रभाव के कारण कई रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियां एक साथ ही पनपती हैं।
रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों की रोकथाम और नियंत्रण के मुख्य उपाय:-मच्छरदानियों का प्रयोग, घरों के अंदर स्प्रे, घरों के बाहर स्प्रे, पानी में रसायन डालना, मच्छर भगाने वाले कॉयल्स और वेपोराइजिंग मैट्स का इस्तेमाल, रोगाणुवाहक (वेक्टर) जीवों के बढ़ने पर रोक लगाना,परजीवियों, कीटभक्षियों या अन्य जीवों के इस्तेमाल के जरिए रोगाणुवाहक (वेक्टर) जीवों के बढ़ने पर नियंत्रण,रोगाणुवाहक (वेक्टर) जीवों की उत्पत्ति पर नियंत्रण के उपाय, कूड़ा कचरा प्रबंधन,घरों के डिजाइन में सुधार, रोगाणुवाहक (वेक्टर) जीवों से व्यक्तिगत बचाव के उपाय, यात्रा के दौरान औषधियों का प्रयोग,प्रोफिलैक्सिस और रोकथाम उपचार विधियां (थैरेपी), लिम्फेटिक फिलेरियासिस, सोटिसटोसोमियासिस, ओंकोसेरसियासिस के लिए बड़े पैमाने पर उपचार,जापानी दिमागी बुखार (एंसेफलाइटिस), टिक-बोर्न एंसेफलाइटिस और येलो फीवर,चगास रोग और कांगो-क्रीमियाई हीमोनहेज फीवर में शरीर में रक्त और तरल पदार्थ की सुरक्षा,चगास रोग और टिक-बोर्न एंसेफलाइटिस के मामले में खाद्य सुरक्षा।
रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों के नियंत्रण में मुख्य चुनौतियां:-कीटनाशक दवाओं की प्रतिरोधक शक्ति में कमी,वेक्टर बीमारियों के नियंत्रण के लिए विशेषज्ञों की कमी,रोगाणुवाहक (वेक्टर) जीवों और अन्य बीमारियों की निगरानी की व्यवस्था, स्वच्छता और सुरक्षित पेय जल की उपलब्धता, कीटनाशक दवाओं की सुरक्षा और विष का उपयोग, जलवायु और पर्यावरण परिवर्तन, समाज के सबसे गरीब वर्ग और सबसे कम विकसित देश रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों से अधिक प्रभावित होते हैं। बीमारी और अक्षमता के कारण लोग काम नहीं कर पाते हैं और अपने तथा अपने परिवार के लिए रोज़ी-रोटी नहीं जुटा पाते हैं, जिससे और कठिनाई बढ़ती है तथा आर्थिक उन्नति में अड़चन आती है।
विश्व स्वास्थ्य दिवस हर वर्ष 7 अप्रैल को विश्व स्वास्थ्य संगठन की वर्षगांठ पर मनाया जाता है, जिसकी स्थापना 1948 में हुई थी। हर वर्ष एक विषय को चुना जाता है, जो जन स्वास्थ्य की दृष्टि से प्राथमिकता वाला क्षेत्र होता है। इस दिन हर समुदाय के लोगों को अवसर मिलता है कि वे उन गतिविधियों में भाग लें, जिनसे स्वास्थ्य की बेहतरी होती है। हाल के वर्षों में स्वास्थ्य मंत्रालय की ओर से तथा गैर सरकारी संगठनों, निजी क्षेत्र और वैज्ञानिक समुदाय के सहयोग से क्षेत्रीय और वैश्विक स्तर पर स्वास्थ्य सेवाओं में सुधार के लिए दर्शायी गई प्रतिबद्धता के परिणाम स्वरूप रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों से प्रभावित लोगों की संख्या में और इन बीमारियों से होने वाली मौतों में कमी आई है।
रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियां क्योंकि अपने परंपरागत प्रभाव क्षेत्रों से दूर-दूर तक फैलने लगे हैं, इसलिए जहां ये बीमारियां फिलहाल पनप रही हैं, उन देशों के अलावा अन्य देशों में भी इनकी रोकथाम के लिए आवश्यक कदम उठाए जाने की जरूरत है, इसलिए विश्व स्वास्थ्य संगठन ने विभिन्न समुदायों को रोगाणुवाहक (वेक्टर) जीवों और रोगाणुवाहक जीव (वेक्टर) जन्य बीमारियों के बारे में जानकारी देने तथा इनसे पैदा होने वाले खतरों के प्रति जागरूकता बढ़ाने और परिवारों तथा समुदायों को इस बात के लिए प्रोत्साहित करने का बीड़ा उठाया है कि वे हमेशा चलने वाली इन बीमारियों से अपने आपको बचाने के उपाय करें। इस जागरुकता का प्रसार कर लोगों का जीवन बचाने में अपनी भूमिका का जरूर निर्वहन करें।