दिनेश शर्मा
Friday 11 April 2014 07:56:08 PM
नई दिल्ली। गुजरात के मुख्यमंत्री और भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के लोकसभा चुनाव नामांकन-पत्र के हलफनामे में जशोदा बेन का पत्नी के रूप में उल्लेख करने के बाद जहां वे रातों-रात विश्वपटल पर खबरों में आ गईं हैं, वहीं उनकी सुरक्षा का भी मोदी जैसा खतरा बढ़ गया है। देश के अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में लगीं एजेंसियों को रिपोर्ट मिल रही हैं कि यद्यपि नरेंद्र मोदी का बहुत समय से उनकी पत्नी यशोदा बेन से कोई भी संपर्क नहीं है और दीगर लोग भी उनका कोई खास संज्ञान नहीं ले रहे थे, मगर इस नए घटनाक्रम के बाद नरेंद्र मोदी को किसी भी प्रकार से हिट करने के लिए या किसी भी उद्देश्य के लिए अंडरवर्ल्ड, नक्सली अलगाववादी या देश में सक्रिय मुस्लिम आतंकवादी गुट जशोदा बेन का अपहरण कर सकते हैं या उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं। ज्ञातव्य है कि जशोदा बेन अध्यापन कार्य से अवकाश ग्रहण करने के बाद गुजरात में अपना ईश्वर भक्तिमय सादगी भरा जीवन जी रही हैं और वे उस समय दुनिया की बड़ी खबरों में आ गईं, जब नरेंद्र मोदी ने पहली बार सार्वजनिक रूप से यह माना कि वह विवाहित हैं और जशोदा बेन उनकी पत्नी हैं।
वडोदरा जिला चुनाव प्राधिकरण के कलक्ट्रेट के नोटिस बोर्ड पर चिपकाए गए नरेंद्र मोदी के नामांकन संबंधी हलफनामे में उनकी पत्नी के तौर पर जशोदा बेन के नाम का खुलासा होते ही इस खबर को पूरी दुनिया में पहुंचने में कोई देर नहीं लगी। देश-विदेश के मीडिया में मोदी की स्वीकारोक्ति अभी तक ब्रेक्रिंग खबर बनी हुई है और विभिन्न प्रकार से इसके विश्लेषण सब तरफ छाए हुए हैं। कहा जा रहा है कि फिलहाल नरेंद्र मोदी की इस स्वीकारोक्ति का आशय यह नहीं लगाया जा सकता है कि आखिर बड़े लंबे अंतराल के बाद जशोदा बेन की नरेंद्र मोदी की पत्नी के रूप में घर वापसी हो रही है, किंतु देश के कुछ राजनीतिक दलों और सामाजिक संगठनों ने नैतिक आधार पर यह दबाव बनाना शुरू कर दिया है कि नरेंद्र मोदी अपने घर में जसोदा बेन की वापसी करें। नरेंद्र मोदी अपने निजी जीवन से जुड़े इस सामाजिक लोकापवाद से किस प्रकार निपटेंगे, यह तो वही जान सकते हैं, लेकिन उनके सामने जशोदा बेन की सुरक्षा को लेकर एक नई समस्या जरूर खड़ी हो गई है। देश के अति विशिष्ट लोगों की सुरक्षा में लगीं एजेंसियों का ध्यान भी इस तरफ गया है। सुरक्षा विशेषज्ञों का कहना है कि जब तक नरेंद्र मोदी गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी तक सीमित थे, तब तक बात कुछ और थी और उनकी पत्नी का मुद्दा भी नहीं उठा, लेकिन उनके राष्ट्रीय क्षितिज ही नहीं विश्व के क्षितिज पर आ जाने से उनमें हर एक पक्ष की दिलचस्पी बढ़ गई है और उनके निकटतम पारिवारिक पक्ष की सुरक्षा को अब किसी भी स्तर पर अनदेखा नहीं किया जा सकता।
देशवासियों में अभी तक तो अधिकांश यही जानते रहे हैं कि नरेंद्र मोदी की शादी नहीं हुई है, मगर जो यह जानते हैं कि शादी हुई है, तो उन्हें यह भी पता है कि दोनों का ना तो एक दूसरे से कोई मतलब है और ना ही दोनों के बीच अलहदगी का कोई विवाद नहीं है, जिसे कोई गंभीर मुद्दा बनाया जा सके। नरेंद्र मोदी को भाजपा में प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किए जाने के बाद और ज्यादा चर्चा में आईं जशोदा बेन भी कह चुकी हैं कि दोनों में कोई भी विवाद नहीं है और उन्हें इसकी भी कोई आशा नहीं है कि वे उन्हें कभी बुलाएंगे भी, बल्कि वे तो कहती रही हैं कि उनकी प्रभु से कामना है कि नरेंद्र मोदी देश के शीर्ष पद पर पहुंचें। उन्होंने उन मीडिया वालों को भी कभी अपने पास तक फटकने नहीं दिया, जो दोनों के बीच कुछ और खबर के लिए उनसे मिलना चाहते थे। नरेंद्र मोदी के नामांकन-पत्र में कानूनी रूप से नाम आने के बाद से ही मीडिया का ध्यान जशोदा बेन पर है और हमेशा स्वयं किसी चर्चा से दूर रहने वाली जशोदा बेन भी अभी भी मीडिया से दूर हैं। इसके बावजूद मीडिया और नरेंद्र मोदी में बेहद दिलचस्पी रखने वाले उनके विरोधियों ने इस स्वीकारोक्ति को पूरे जोर से उछाल दिया है, जिससे इसमें उन लोगों की भी दिलचस्पी बढ़ गई है, जो अंडरवर्ल्ड अपराधिक गतिविधियों अथवा अलगाववादी शक्तियों के रूप में जाने और पहचाने जाते हैं और जो राजनीतिक या दूसरे नामचीन लोगों का फिरौती या अपनी मांगों को मनवाने के लिए अपहरण जैसी कार्रवाई करते हैं। नरेंद्र मोदी आज देश के ऐसे शीर्ष राजनेता हैं, जिनके जीवन को सर्वाधिक खतरा माना जाता है। सुरक्षा मामलों के विशेषज्ञों का मानना है कि जबतक नरेंद्र मोदी ने जशोदा बेन को सार्वजनिक रूप से कानूनी तौर पर पत्नी के रूप में स्वीकार नहीं किया था, तबतक उनका एक चर्चाभर का महत्व था, किंतु उनके पत्नी स्वीकार करते ही वह भी अति विशिष्ट श्रेणी में आ गई हैं और नरेंद्र मोदी को देखते हुए उनके लिए भी उतना ही खतरा बढ़ गया है, जिस पर तुरंत ध्यान दिया जाना चाहिए।
नरेंद्र मोदी को किसी भी प्रकार से नुकसान पहुंचाने के लिए, ऐसी खबरें जशोदा बेन में तीव्र दिलचस्पी पैदा कर रही हैं, जिनमें यह सुना जा रहा हो कि जशोदा बेन पिछले समय से नरेंद्र मोदी की बड़ी राजनीतिक सफलता के लिए वो सब कर रही हैं, जो आमतौर पर एक पत्नी करती है। अब जब नरेंद्र मोदी ने चाहे एक कानूनी औपचारिकता पूरी करने के लिए ही जशोदा बेन को अपनी पत्नी माना है, तथापि दूसरों को इस विषम स्थिति में षड़यंत्र रचने का अवसर तो मिलता ही है। गौर करने वाली रिपोर्ट है कि जशोदा बेन इस समय अपनी आध्यात्मिक यात्रा पर हैं और अपने पति नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद पर देखने के लिए व्रत इत्यादि रखे हुए हैं। कहा जाता है कि वह किसी अज्ञात स्थान पर निकल गई हैं। उन्हें भी इस बात का अनुमान हो गया होगा कि इस खुलासे के बाद मीडिया उन तक पहुंचने की कोशिश करेगा और इससे नरेंद्र मोदी के सामने नाहक ही असहज स्थिति पैदा की जाएगी। मीडिया और कुछ संगठनों ने नरेंद्र मोदी की स्वीकारोक्ति के बाद वैसे ही हल्ला सा बोल रखा है। जशोदा बेन एक धार्मिक महिला हैं और काफी शांतिपूर्ण जीवन व्यतीत कर रही हैं। उनके बड़े भाई कमलेश मोदी ने भी कहा बताते हैं कि जशोदा बेन नरेंद्र मोदी के लिए प्रार्थना किया करती हैं और हम सभी उनके लिए प्रार्थना कर रहे हैं कि वह प्रधानमंत्री बनें। ऐसी खबरें आने के बाद सुरक्षा का पक्ष महत्वपूर्ण हो जाता है। कहा जा रहा है कि भले ही आज भी और भविष्य में भी नरेंद्र मोदी का पूर्व की भांति जशोदा बेन से कोई मतलब ना रहे, किंतु देश में तेजी से बदलते हालात को देखते हुए अपने को कालनेमियों से सुरक्षित रखने के लिए नरेंद्र मोदी को अब जशोदा बेन की भी सुरक्षा पर गंभीर रूप से ध्यान देना होगा।