स्वतंत्र आवाज़
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नरेंद्र मोदी की भाजपा को 272 का पूर्ण बहुमत!

एनडीए का संख्या बल तीन सौ के भी पार चले जाने का अनुमान

अब उम्मीदों पर खरा उतरना नरेंद्र मोदी के लिए होगी नई चुनौती

Thursday 15 May 2014 07:51:49 PM

दिनेश शर्मा

दिनेश शर्मा

narendra bhai modi

नई दिल्ली। गुजरात के वाडनगर में कभी रेल और संघ की शाखा में सुबह की चाय पिलाने वाले नरेंद्र भाई मोदी का प्रचंड राजयोग गुजरात के मुख्यमंत्री की कुर्सी से होते हुए अकेले अपने दम पर कल सोलह मई को लोकसभा में दो सौ बहत्तर के पूर्ण बहुमत के साथ कमल की चमक बिखेरेगा। भारत के प्रधानमंत्री की कुर्सी पर कमल खिलाने क‌े लिए नरेंद्र भाई मोदी को देश के संपूर्ण विपक्ष और यहां तक कि भाजपा के भीतर भी प्रचंड लड़ाई लड़नी पड़ी है। अपने सामाजिक और राजनीतिक जीवन में अनवरत संघर्ष और असहनीय हमलों पर विजय पाते हुए लक्ष्य का सफलतापूर्वक संघान कैसे किया जाता है-नरेंद्र मोदी इसके जीते जागते पाठ्यक्रम हैं। राजनीतिक शास्‍त्र और लोक प्रशासन के विद्यार्थियों के लिए यह अवसर है, जब वे नरेंद्र मोदी से सीख सकते हैं कि उलटी धारा में कैसे तैरा जाता है और किस प्रकार मगरमच्छों और कालनेमियों को मात दी जाती है, कैसे शेरों की लड़ाई में विजयी हुआ जाता है। स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम का लोकसभा चुनाव 2014 में अनुमान है कि देश में नरेंद्र मोदी यानी भाजपा 272 के बहुमत के जरूरी अंक तक पहुंच गई है और एनडीए तीन सौ के आंकड़े को पार कर रहा है।
नरेंद्र मोदी और भाजपा की देशभर में और खासतौर से उत्तर भारत में प्रचंड लहर चली है। भाजपा ने इस बार यहां जिसको भी लोकसभा चुनाव में उतारा है, वह चुनाव जीत रहा है। भाजपा का कोई अभागा ही होगा, जिसे इसबार जीत हांसिल नहीं हो। देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश में भाजपा दस साल पहले ही दम तोड़ चुकी थी। उत्तर प्रदेश भाजपा मुख्यालय पर काग उड़ा करते थे। नरेंद्र मोदी की पीठपर बैठकर भाजपा कल उत्तर प्रदेश से लोकसभा में अपनी जीत की सर्वाधिक संख्या का रेकार्ड तोड़ने जा रही है। देश के ग़ैरभाजपाई शासन वाले राज्यों में वहां के सत्तारुढ़ राजनीतिक दल लोकसभा चुनाव में नरेंद्र मोदी की लहर से दरक गए हैं। मानना होगा कि इस चुनाव में नरेंद्र मोदी ने अपने धुर विरोधियों के वोट भी हांसिल कर लिए हैं। पूरी दुनिया में भारत में इस लोकसभा चुनाव में शुरू से ही नरेंद्र मोदी की प्रचंड लहर के कसीदे पढ़े जा रहे हैं। वह अमरीका भी नरेंद्र मोदी के सामने नतमस्तक है, जिसने नरेंद्र मोदी को भारत के गुजरात राज्य का मुख्यमंत्री होते हुए भी कभी अपने देश का वीज़ा नहीं दिया। यद्यपि इसके पीछे अमरीका नहीं, बल्कि नरेंद्र मोदी के खिलाफ सोनिया गांधी और सरदार मनमोहन सिंह की सरकार एवं उसकी 'धर्मनिर्पेक्ष लॉबी' का दुष्प्रचार अभियान ज्यादा जिम्मेदार माना जाता है। अमरीकी प्रशासन आज दबी ज़ुबान में इसे अपनी भयंकर भूल मान रहा है। यह भी एक सनद बन चुकी है कि नरेंद्र मोदी देश में एक समुदाय विशेष के प्रचंड विरोध के बावजूद निःसंदेह प्रधानमंत्री बनने जा रहे हैं।
स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम ने इससे पिछले लोकसभा चुनाव में ही विश्लेषित कर दिया था कि गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भारत के प्रधानमंत्री पद के दावेदार बन चुके हैं, भाजपा नेतृत्व इस सच्चाई को स्वीकार करे या न करे। इसका मज़बूत कारण है। भाजपा के ही नेताओं और विपक्ष के विरोध अभियान के बावजूद जब दूसरी बार नरेंद्र मोदी ने गुजरात विधानसभा का चुनाव जीता था, तभी उन्होंने यह सिद्ध कर दिया था कि भारत के प्रधानमंत्री पद का अगला प्रचंड दावेदार सामने आ चुका है, किंतु भाजपा नेतृत्व ने तब इस दावेदार की अनदेखी की। इस बार भी भाजपा ऐसा ही करने जा रही थी कि गुजरात दंगों के बहाने नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री पद के दावे को फिर किनारे लगा दिया जाए, किंतु भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और भाजपा के कुछ मनीषियों ने नरेंद्र मोदी के महत्व को गंभीरता से समझा और अनेक अवरोधों के बावजूद भाजपा में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार घोषित होते ही सारा देश नरेंद्र मोदी और भाजपा के साथ चल दिया, जिसका परिणाम लोकसभा में भाजपा की 272 सीटों के पूर्ण बहुमत के रूपमें कल सामने होगा। स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम का यह विश्लेषण देश के जनसामान्य के मूड और औसत से कहीं ज्यादा हुए मतदान पर आधारित है, जिसे अभीतक अधिकांश दिग्गज राजनीतिज्ञ और मीडिया विश्लेषक भी नहीं पकड़ पाए हैं। नरेंद्र मोदी ने सभी राजनीतिक दलों के वोटों में तगड़ी सेंधमारी की है, जिससे सोनिया गांधी, मायावती, ममता बनर्जी, मुलायम सिंह यादव, लालू प्रसाद यादव, अखिलेश यादव, राहुल गांधी, वामपंथी और अनेक राजनीतिक दल ग़ुस्से में बौखलाए और तिलमिलाए हैं।
अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भी भारत के लोकसभा चुनाव 2014 के संभावित नतीजों को नरेंद्र मोदी के पक्ष में जाते मानकर कहा है कि वह भारत की नई सरकार के साथ मिलजुलकर काम करने के लिए उत्सुक हैं। भारत में लोकसभा चुनाव परिणाम आने में कुछ ही घंटे शेष हैं। बराक ओबामा सहित लगभग सभी को भान हो चुका है कि भारत में कांग्रेस गठबंधन की दस साल पुरानी सरकार अब जा रही है और भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्ववाले राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की सरकार आ रही है, जिसका नेतृत्व गुजरात के मुख्यमंत्री और भाजपा में प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार नरेंद्रभाई दामोदरदास मोदी के लिए निश्चित है। ये वही नरेंद्र मोदी हैं, जिनको अमरीकी वीज़ा देने की इसलिए मनाही है कि अमरीका उन्हें गुजरात दंगों का दोषी मानता आ रहा है। यह अलग बात है कि अमरीका आज भी भारत की अनेक ऐतिहासिक और मानवता से समृद्धशाली सच्चाईयों एवं घटनाओं से पूरी तरह अनभिज्ञ है और भारत एवं भारत के लोगों के बारे में दूसरों की चुगलखोरी और सुनी-सुनाई बातों पर ज्यादा यकीन करता है। वह भारत के संबंध में उनकी सूचनाओं पर निर्भर रहता है जो अमरीकी प्रशासन के नेताओं के मुंहलगे लोग हैं, जो अपनी सुविधानुसार अमरीकी नीतियों के नियंताओं को भारत के खिलाफ झूंठ-सच पढ़ाकर उन्हें गुमराह किए रहते हैं। नरेंद्र मोदी के बारे में भी गुजरात दंगों पर अमरीका ने ऐसे ही लोगों की इकतरफा बात सुनकर एक ग़लत धारणा बना रखी है, जिसपर वह चल रहा है। अमरीका को अब भारत की नई सरकार के नए अनुभवों और नई नीतियों का सामना करना होगा। भारत की नई सरकार जिन हाथों में ‌होगी, कदाचित उन्हें गुमराह करना या उकसाना संभव नहीं हो सकेगा।
नरेंद्र भाई मोदी और सोनिया गांधी में बहुत अंतर है। नरेंद्र मोदी भारत के धरातलीय नेता कहे जाते ‌हैं और अब वक्त आ रहा है कि भारत की धरातलीय सच्चाईयों से अमरीका रू-ब-रू होगा। अब उसे एहसास होगा कि दूसरों के झूंठ और उकसावे में आकर नरेंद्र मोदी को अमरीकी वीज़ा नहीं देने की उसने कितनी बड़ी भूल की थी। बहरहाल अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा के लिए भारत की नई सरकार के साथ काम करना तभी सहज हो सकेगा, जब वे भारत की वास्तविक समस्या और जरूरतों को समझकर चलेंगे। कांग्रेस की अध्यक्ष सोनिया गांधी को भी अभीतक भारत के बारे में सही और पूर्ण जानकारी नहीं हो पाई है, वह भी अपने झूंठे चालाक और चाटुकार कांग्रेसियों की चुगलखोरी पर निर्भर रहती हैं, जिनका परिणाम सामने आने वाला है। दिग्‍विजय सिंह, कपिल सिब्बल, मीम अफजल, सलमान खुर्शीद, शकील अहमद, ग़ुलाम नबी आज़ाद जैसे नेताओं ने सोनिया गांधी राहुल गांधी को जो राजनीतिक दर्शन दिया हुआ है, वह राहुल गांधी के लिए तो महाविनाशक ही सिद्ध हुआ है। भारत की नई सरकार से देश की जनता को बहुत आशा होगी और उम्मीद भी है कि वह सफल होगी, जिसके परिणामस्वरूप देश की सरकार में कांग्रेस की वापसी केवल एक सपना होगी। नरेंद्र मोदी एक प्रखर संगठक, रणनीतिकार और प्रचंड शासनकर्ता हैं, उन्हें यहसब संघ और भ्रमणशीलता से मिला है, जिससे उनको पराजित करना आसान काम नहीं है। लोकसभा चुनाव में प्रधानमंत्री पद की उम्मीदवारी से लेकर चुनाव में उनकी लहर ही लहर दुनिया देख चुकी है। अमरीका तो इसको अत्यंत करीब से देख रहा है कि भारत में किस प्रकार नरेंद्र मोदी युग की शुरूआत हो रही है।
याद कीजिएगा कि अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा को पूर्व अमरीकी राष्ट्रपति जूनियर जॉर्ज बुश ने राय दी थी कि वे नरेंद्र मोदी पर अमरीकी प्रशासन की ग़लत धारणा को बदलें और नई स्थिति में उनके महत्व को समझते हुए उनके अमरीकी वीज़ा जैसे विवाद को समय पूर्वही सुलझाएं, मगर बराक प्रशासन का इसपर कोई सकारात्मक रुख सामने नहीं आया। अमरीका अब मान रहा है कि उससे चूक हुई है और वह भारत में नई सरकार के साथ काम करने को अपने को तैयार कर रहा है। अमरीकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसकी शुरुआत करते हुए लोकसभा के सफल चुनाव के लिए भारत की जनता को बधाई दी है और कहा है कि इतिहास में सबसे बड़ा लोकतांत्रिक चुनाव कराकर भारत ने दुनिया के सामने एक उदाहरण पेश किया है, यह विविधता और स्वतंत्रता के हमारे साझा मूल्यों का जीवंत प्रदर्शन है। बराक ओबामा कहते हैं कि आनेवाले वर्ष दोनों देशों के लिए समानरूप से परिवर्तनकारी होंगे, पिछले दो दशक के दौरान दोनों देशों के बीच पार्टीलाइन से हटकर मज़बूत मित्रता और भागीदारी विकसित हुई है, हमारे नागरिक और अधिक सुरक्षित और समृद्ध हुए हैं। सवाल है कि क्या नरेंद्र मोदी लहर से सोनिया गांधी कोई सबक लेंगी या वे अबभी बेड़ागर्क करनेवाले चाटुकार कांग्रेसियों में ही खोई रहेंगी? राहुल गांधी के राजनीति जीवन को जो ग्रहण लगा है, उससे वह मुक्त हो पाएंगे? दूसरी ओर देखिए कि अभी से नरेंद्र मोदी के राज्याभिषेक और उनके कल्याणकारी शासन की सफलता के लिए एवं भारत को विश्व समुदाय में शक्तिशाली देश के रूपमें प्रतिष्ठापित करने के लिए देशभर में लोग अनवरत हवन-यज्ञ तक कर रहे हैं।
भारतीय संस्कृति और हमारे वेद-शास्‍त्रों में स्वेच्छा से ऐसा करना जनसामान्य की सुख-समृद्धि और शुभ्रता का भविष्य माना जाता है। क्या कांग्रेस और सोनिया गांधी के लिए व्यापक रूपसे कभी ऐसा देखा सुना गया है? इससे पता चलता है कि देश के जनसामान्य में भाजपा और नरेंद्र मोदी के शासन की कितनी उत्सुकता से प्रतीक्षा की जा रही है और अभीसे नरेंद्र मोदी शासन की सफलता की कामनाएं की जा रही हैं। यह सत्य होता जा रहा है कि भाजपा अपने बूतेपर स्पष्ट बहुमत के साथ नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश में सत्तारुढ़ होने जा रही है और इसीके साथ उनके सामने होंगी बड़ी जनआकांक्षाएं, बड़ी बाह्य और आंतरिक चुनौतियां, देश की रक्षा चुनौतियां, कांग्रेसजनित भ्रष्टाचार, लोकसेवाओं का निकम्मापन गतिरोध और मतभिन्नता, राज्यों में विघटनकारी असंतोष, आतंकवाद, अर्थव्यवस्‍था, बेरोज़गारी और विदेशनीति की परीक्षा। यह देश बड़ी पैनी नज़र ये देखेगा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जनआकांक्षाओं पर कितने खरे उतरते हैं, सबकी ग़लती माफ हो सकती है, लेकिन नरेंद्र मोदी के लिए माफी और भूलचूक की कोई गुंजाईश नहीं होगी। देखना है कि नरेंद्र मोदी कल कैसी विजय पाते हैं।

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