स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम
Thursday 29 May 2014 12:46:11 PM
बीजिंग। भारत में भारतीय जनता पार्टी के नेतृत्व वाले गठबंधन एनडीए के नेता नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री का कार्यभार संभालते ही चीन ने भारत के नए नेतृत्व के साथ जल्दी ही उच्चस्तरीय संपर्क स्थापित करने की आवश्यकता जताई है, ताकि दोनों देशों के बीच राजनीतिक, व्यापार और आर्थिक क्षेत्रों में आगे बातचीत बढ़ाई जा सके। चीन के प्रभावशाली स्टेट कॉंसलर यांग जीची ने भारत के राजदूत अशोक के कांत के साथ यहां एक बैठक भी की जिसमें उन्होंने कहा कि चीन भारत के साथ संबंधों को उच्च महत्व देता है और वह भारत की नई सरकार के साथ काम करने को तैयार है, कदाचित पंचशील की 60वीं वर्षगांठ के समारोहों में भारत के इस शीर्ष नेता के शामिल होने को लेकर चीन उत्सुक है। पंचशील सिद्धांतों की शुरुआत तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू और उनके तत्कालीन समकक्ष चाउ एनलाई ने संयुक्त रूप से की थी।
चीन पंचशील की 60वीं वर्षगांठ के समारोहों में भारत और म्यामां के नेताओं के शामिल होने की संभावना है। यह आयोजन 28 जून को चीन में आयोजित होगा। पिछले साल चीन के राष्ट्रपति का कार्यभार संभालने वाले शी चिनफिंग ने नई सरकार के शपथ ग्रहण करने के बाद भारत की यात्रा को लेकर रुचि दिखाई है। चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग कार्यभार संभालने के बाद पहली विदेश यात्रा पर नई दिल्ली गए थे, ताकि भारत के साथ संबंधों के सुधार को लेकर चीनी नेतृत्व द्वारा दिए जाने वाले महत्व को जताया जा सके। नरेंद्र मोदी की पहली विदेश यात्रा को लेकर चीन में उत्सुकता बनी है। चीनी प्रधानमंत्री ने नरेंद्र मोदी को प्रधानमंत्री पद की शपथ ग्रहण के बाद उन्हें बधाई दी थी। उन्होंने कहा था कि चीन भारत को स्वाभाविक सहयोगी साझेदार मानता है और वह नरेंद्र मोदी सरकार के साथ काम करने को तैयार है, ताकि उनकी रणनीतिक भागीदारी को ‘नई ऊंचाई’ तक ले जाया जा सके।
चीन के अधिकारियों ने कहा कि उनके प्रधानमंत्री की अगले कुछ दिनों में नरेंद्र मोदी से फोन पर बातचीत करने की संभावना है, क्योंकि परस्पर सुविधाजनक समय का पता लगाने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं। भारतीय राजदूत के साथ बैठक के दौरान यांग ने सभी क्षेत्रों में सहयोग और संवाद को मजबूत बनाने की दिशा में बीजिंग की रुचि प्रदर्शित की। चीन की सरकारी संवाद एजेंसी शिन्हुआ ने कहा है कि चीन को द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ाने के लिए गति को बनाया रखना चाहेगा और एशिया तथा विश्व में शांति एवं प्रगति के लिए योगदान करना चाहेगा।
भारतीय दूतावास ने एक बयान में कहा है कि यांग ने भारतीय राजदूत से यह अनुरोध भी किया कि चीनी नेतृत्व की बधाइयों से मोदी सरकार को अवगत करा दें। बयान में कहा गया है कि उन्होंने रेखांकित किया इै कि रणनीतिक एवं सहयोगात्मक भागेदारी को बढ़ाने तथा इसे नई ऊंचाई तक ले जाने के लिए चीन की सरकार भारत सरकार के साथ मिल कर काम करने को उत्सुक है। भारतीय राजदूत ने यांग को आश्वासन दिया कि भारत की भी इच्छा रणनीतिक सहयोग को मजबूत बनाने की है। चीनी नेतृत्व ने एक समय नरेंद्र मोदी के साथ राजनीतिक संपर्क स्थापित किया था, जब वह गुजरात के मुख्यमंत्री थे। चीन ने गुजरात में 90 करोड़ डॉलर निवेश किया था। भारतीय राजदूत की चीन के शीर्ष अधिकारियों के साथ हाल के दिनों में यह दूसरी मुलाकात थी। इसके पहले उन्होंने 23 मई को चीनी विदेश मंत्री वांग यी से मुलाकात की थी।
चीनी मीडिया में मोदी की तारीफ
बीजिंग में चीन की आधिकारिक मीडिया ने प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी के शपथग्रहण समारोह को सबसे बड़ी कवरेज देते हुए इसे भारत-चीन संबंधों में‘जबर्दस्त मजबूती के संकेत दिए हैं। सरकारी समाचार पत्र ‘चाइना डेली’ ने कल मोदी के प्रधानमंत्री पद की शपथ लिए जाने को अपनी मुख्य खबर बनाया है और शीर्षक दिया है-‘चीन के साथ संबंध मजबूत करेंगे मोदी।’इसके साथ ही अखबार ने उस समय को भी याद किया है, जब वर्ष 2011 में गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी पूरी तैयारी के साथ चीन गए थे। अखबार ने कहा है कि नरेंद्र मोदी ने तब एक ओर चीनी भाषा में लिखा एक बिजनेस कार्ड भेंट में दिया था। कार्ड एक ओर से लाल था, यह रंग चीन में धन और सौभाग्य का प्रतीक माना जाता है। अखबार ने कहा है किइस बार भी चीन वैसा ही ध्यान दिए जाने की उम्मीद रखता है।
इस लेख में कुछ आधिकारिक थिंक-टैंकों की टिप्पणियां भी शामिल की गईं जिनमें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत-चीन संबंधों को मजबूती मिलने की पुष्टि की गई है। चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग की ओर से एक शुभकामना संदेश के अलावा अखबार में नरेंद्र मोदी की पहले की चीन यात्राओं की भी पर्याप्त चर्चा की गई है। ये यात्राएं नरेंद्र मोदी ने निवेश संभावना, चीनी सफलता की कहानी का अध्ययन करने और भारत में चीन के 90 करोड़ डॉलर के निवेश में से एक बड़ा हिस्सा गुजरात की ओर आकर्षित करने के लिए की थीं। अखबार ने सबसे पिछले पृष्ठ के आधे हिस्से में नरेंद्र मोदी के जमीनी राजनीति से उठकर भारत के प्रधानमंत्री पद तक पहुंचने का सफर बयां किया है।
‘ग्लोबल टाइम्स’ ने भी एक पृष्ठ मोदी के शपथग्रहण समारोह की तस्वीरों के नाम किया है। इसमें उन तस्वीरों को खास अहमियत दी गई है, जिनमें भारतीय प्रधानमंत्री समारोह के दौरान अपने पाकिस्तानी समकक्ष नवाज शरीफ का अभिवादन करते दिखाई दे रहे हैं। ये तस्वीरें सरकारी टीवी सीसीटीवी पर भी विश्लेषकों की टिप्पणियों के साथ व्यापक रूप से दिखाई गईं हैं। चाइना डेली के संपादकीय में ‘मोदी को मुबारकबाद’ के शीर्षक के तहत कहा गया है कि भारत के चुनावों में नरेंद्र मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी की भारी जीत दरअसल नरेंद्र मोदी के सुधारों के वादों और गुजरात में प्रभावशाली काम करने वाले नेता के रूप में बनी पहचान का नतीजा है। अखबार के संपादकीय में कहा गया है कि कुछ लोगों की आंखों में सपने भरने वाले मोदी ने अपने प्रचार के दौरान नीतिगत-पंगुता को खत्म करने, महंगाई कम करने और भ्रष्टाचार से निपटने का संकल्प किया।
चीनी अखबारों में कहा गया है मोदी का व्यावहारिक आर्थिक खाका बाजार के लिए इतना आकर्षित करने वाला है कि इससे भारतीय स्टॉक में इस साल अब तक कथित तौर पर 15 फीसदी का इजाफा हुआ है और यह आगे भी बढ़ रहा है, भारतीय रूपए की कीमत में भी पर्याप्त इजाफा हुआ है। संपादकीय में कहा गया है कि विकास के प्रति उनकी तल्लीनता ने हमारे दक्षिण एशियाई पड़ोसी के विकास की क्षमता के बारे में अपूर्व आशाओं को प्रेरणा दी है। चीन को भारत के खिलाफ खड़ा करने की पश्चिमी देशों की कोशिश पर निशाना साधते हुए कहा गया है कि ये दोनों देश एक दूसरे के प्रतिद्वंद्वी हैं और एक दूसरे के खिलाफ खड़े होने के लिए ही बने हैं, लेकिन बीजिंग और नयी दिल्ली का कई दशकों में पैदा हुए मतभेदों को सुलझा लेना इस बात का प्रमाण है कि उन्हें शत्रु होने की जरूरत नहीं है।
लेख में नरेंद्र मोदी के पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ समेत दक्षेस देशों के नेताओं को अपने शपथ ग्रहण का निमंत्रण भेजने की सराहना की गई है। नरेंद्र मोदी की ओर से पाकिस्तानी प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को शपथ ग्रहण समारोह के लिए आमंत्रित करना और द्विपक्षीय वार्ताओं में शामिल करना बाहरी लोगों के लिए हैरान करने वाला है, लेकिन असल में यह एक अहम कदम है, क्योंकि भारत के विकास एजेंडे के लिए पड़ोसियों के साथ अच्छे संबंध सबसे जरूरी हैं और यह निश्चित तौर पर चीन के राष्ट्रीय हितों के भी अनुरूप हैं। सरकारी समाचार एजेंसी शिन्हुआ ने तो अपनी टिप्पणी में इसकी सराहना ‘कूटनीतिक चातुर्य’ के रूप में की है।