डॉ के परमेश्वरन
Sunday 8 June 2014 01:06:25 PM
मदुरै। ज्ञान पीठ पुरस्कार से सम्मानित केरल के विख्यात लेखक एसके पोट्टीकाट ने अपनी लंदन यात्रा का विवरण देते हुए सड़क पर लगे एक साइन बोर्ड का जिक्र किया था, जिस पर लिखा था-सड़कें पार करने में उतावलेपन से अस्पतालों में लोग बढ़ते हैं। यह बात चौकीदार रहित रेलवे लाइनों के फाटकों पर भी लागू होती है। तेज रफ्तार से गुजरती रेलगाड़ियों के आने से पहले पटरियों को पार करने में लोग अक्सर जल्दबाजी दिखाते हैं, लेकिन वे रेलगाड़ियों के बारे में एक साधारण सी बात भूल जाते हैं कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौड़ रही रेलगाड़ी को 1.7 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक मिनट से भी कम का समय लगता है, इसलिए सिर्फ आधे मिनट से भी कम का फायदा उठाने के प्रयास में हम रेल पटरियों को पार करने का प्रयास करते हैं, जहां कुछ दूरी पर एक तेज रफ्तार से रेलगाड़ी आ रही होती है।
रेल सेवाओं के इस्तेमाल खासकर रेल फाटकों को पार करने में हड़बड़ी से खतरों के बारे में लोगों को जागरूक बनाने के लिए भारतीय रेल और रेलवे सुरक्षा संगठन संयुक्त रूप से एक अभियान चला रहा है। अंतर्राष्ट्रीय रेल संघ (यूआईसी) वर्ष में एक बार ‘अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर फाटक जागरूकता दिवस (आईएलसीएडी)’ मनाता है और यह 3 जून से मनाया गया है। भारतीय रेल ने इस वैश्विक अभियान में हिस्सा लेकर और लोगों को सड़कें पार करने तथा चौकीदार रहित रेलवे फाटकों को पार करने में लोगों को जागरूक किया। आईएलसीएडी, लेवल क्रासिंग पर सुरक्षा बरतने के उपायों को बढ़ावा देने में शैक्षिक गतिविधियों पर भी ध्यान केंद्रित करता है। यह मौजूदा राष्ट्रीय घटनाओं पर आधारित है और विभिन्न सहभागी देशों में विभिन्न स्थानों पर संयुक्त रूप से आयोजित किया गया है।
मदुरै रेल डिवीजन ने भी 3 जून 2014 को ‘अंतर्राष्ट्रीय चौकीदार रहित लेवल क्रासिंग जागरूकता दिवस’ में हिस्सा लिया। इस दौरान डिवीजन के अधिकारियों ने चौकीदार रहित रेलवे फाटकों का दौर कर आम जनता को इन्हें पार करने में हड़बड़ी से बचने के प्रति जागरूक किया। यह प्रक्रिया सप्ताहभर सभी दिनों में अपनाई गई। इस दौरान जागरूकता सामग्री जैसे पोस्टरों और पंपलेट्स का वितरण किया गया। इस प्रचार कार्यक्रम में सड़कों पर नाटकों के जरिए और वीडियो के माध्यम से लोगों को जागरूक बनाया गया। प्रचार अभियान में सुरक्षित उपायों के बारे में जानकारी देने वाले हाथ से बने पंखों, पेन और पेंसिलों को ग्रामीणों तथा स्कूली छात्रों में वितरित किया गया।
मदुरै डिवीजन के रेलवे प्रबंधक एके रस्तोगी ने बताया कि भारतीय रेल की 31,254 लेवल क्रासिंग में से 12,500 फाटक बिना चौकीदार वाले हैं, जो लगभग 40 फीसदी हैं। बिना चौकीदार वाले रेलवे फाटक लगभग 40 फीसदी रेल दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं, जिनमें से 66 फीसदी में लोगों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ता है। उन्होंने कहा कि रेल फाटकों पर होने वाली दुर्घटनाएं बड़े पैमाने पर मानव जनित हैं और इनसे बचा जा सकता है। उन्होंने बताया कि 100 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार वाली किसी भी रेलगाड़ी को 1.7 किलोमीटर की दूरी तय करने में एक मिनट से भी कम समय लगता है। इसी तरह रेलगाड़ी चालकों को लेवल क्रासिंग के 600 मीटर दूर से ही इंजन की सीटी बजाने के लिए प्रशिक्षित किया गया है।
भारतीय रेल ने चौकीदार रहित रेलवे फाटकों की जानकारी देने के लिए वास्तविक क्रासिंग से 200, 120 और 5 मीटर पहले से ही चार प्रकार के साइन बोर्डो, सड़क चेतावनी निशानों को उपलब्ध कराया है। पहले साइन बोर्ड में एक रेल इंजन दो पट्टियां, दूसरे में एक इंजन और एक पट्टी है। तीसरे में एक स्पीड ब्रेकर चेतावनी और चौथे में बड़े-बड़े अक्षरों में ‘रूको, सुनो, देखो और आगे बढ़ो’ लिखा हुआ है। रेलवे लगातार यात्रियों से अपील करता रहा है कि लेवल क्रासिंग पार करते समय अत्यधिक सावधानी बरतें। क्रासिंग पर अधिक आवाज़ में कार का रेडियो बजाना, रेलगाड़ी को देखने के बावजूद लेवल क्रासिंग पार करने का प्रयास करना और वाहन चलाते समय मोबाइल पर बात करना, ये सभी दुर्घटनाओं को सीधा निमंत्रण है, जिनसे जनहानि का जोखिम बना रहता है।
रेल सुरक्षा संगठन ने चौकीदार रहित रेलवे फाटकों को पार करते समय दिशा-निर्देशों का पालन करने की आवश्यकता पर बल दिया है। संगठन बार-बार कार और बस यात्रियों से यही अपील करता है कि अपने वाहन को रोककर नीचे उतरें और दोनों दिशाओं में देखें कि रेलगाड़ी तो नहीं आ रही है, अगर रेलगाड़ी नहीं आ रही है, तभी रेलवे लाइन पार करें। अगली बार आप जब भी किसी लेवल क्रासिंग के पास से गुजरें तो याद रखिएगा, एक मिनट से भी कम समय का इंतजार आपके लिए जीवन भर फायदेमंद रहेगा और आप आनंदमय तथा प्रफुल्लित जीवन जिएंगे।