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Saturday 14 June 2014 08:29:12 PM
गोवा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश के सबसे बड़े विमान वाहक युद्धपोत आईएनएस विक्रमादित्य को आज राष्ट्र को समर्पित किया। उन्होंने कहा कि भारत को रक्षा साजो-सामान के निर्माण में आत्म निर्भर होने की आवश्यकता है। गोवा के तट से कुछ दूर तैनात इस विशाल युद्धपोत पर मौजूद नौसैनिकों के बीच प्रधानमंत्री ने कहा कि आज देश के लिए यह महत्वपूर्ण दिन है, भारतीय नौसेना के इतिहास में एक स्वर्णिम दिन है और मेरे लिए यह गौरव की बात है कि आईएनएस विक्रमादित्य नौसेना में शामिल हो गया है। उन्होंने कहा कि हमें नवीनतम प्रौद्योगिकी को अत्यधिक महत्व देने की आवश्यकता है, इससे राष्ट्र को मदद मिलेगी। प्रधानमंत्री ने सवाल उठाया कि हम रक्षा उपकरणों का आयात क्यों करते हैं? हमें आत्मनिर्भर होना चाहिए, हम अपने रक्षा उपकरण दूसरे देशों को क्यों नहीं भेज सकते हैं?
प्रधानमंत्री ने देश के लिए प्राण न्यौछावर करने वालों की याद में युद्ध-स्मारक स्थापित करने का वायदा किया और यह भी कहा कि उनकी सरकार रक्षा कर्मियों के लिए एक रैंक एक पेंशन योजना को लागू करने को प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हमारी सरकार में दुनिया की आंख से आंख मिलाने की क्षमता है और इसका कारण हैं-हमारे सैनिकों की क्षमता, जो हमें ऐसा करने की शक्ति देती है। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि भारत आंख नीचे करके नहीं, बल्कि दुनिया की आंख से आंख मिला कर आगे बढ़ना चाहता है, आने वाले समय में नौसेना को बड़ी शक्ति के रूप में उभर सकने में मदद देने के लिए प्रधानमंत्री ने देश भर में नौसेना एनसीसी नेटवर्क स्थापित करने को कहा, जिससे समर्पित नौसैनिक तैयार हो सकें। इससे पहले सी किंग हैलिकॉप्टर से 44,500 टन के आईएनएस विक्रमादित्य पर पहुंचने पर प्रधानमंत्री के सम्मान में नौसेना ने सलामी गारद दी और उन्हें इस युद्धपोत के बारे में जानकारी दी। वह विमान वाहक पर तैनात मिग 29 में भी बैठे। नए प्रधानमंत्री की किसी सैन्य प्रतिष्ठान में यह पहली यात्रा थी।
नरेंद्र मोदी के साथ रक्षा राज्य मंत्री राव इंद्रजीत सिंह, राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजित डोभाल, रक्षा सचिव आरके माथुर और नौसेना प्रमुख एडमिरल रॉबिन धवन भी आईएनएस विक्रमादित्य गए। रूस से 15000 करोड़ रुपए की लागत से खरीदे गए इस विशाल युद्धपोत से नरेंद्र मोदी ने मिग 29 के, सी हैरियर्स, पी 81 लंबी दूरी वाले पनडुब्बी रोधी युद्धक विमान, टीयू 142 एम और आईएल-38एसडी समुद्री निगरानी विमानों की युद्धक क्षमता का भी अवलोकन किया। भारी वर्षा के चलते, हालांकि युद्धक विमानों के प्रदर्शन में रुकावट आई। नरेंद्र मोदी ने विक्रमादित्य के वरिष्ठ अधिकारियों और अन्य कर्मियों से भी बातचीत की। पिछली राजग सरकार के दौरान 2004 में इस विमान वाहक युद्धपोत के बारे में रूस से करार हुआ था और उसके दस साल बाद इसे आज राष्ट्र को समर्पित किया गया। यह युद्धपोत 16 नवंबर 2013 को भारतीय नौसेना में शामिल हुआ है।
आईएनएस विक्रमादित्य 284 मीटर लंबा है, जो तीन फुटबॉल मैदानों के बराबर है। बीस मंजिल ऊंचे इस युद्धपोत में कुल 22डेक हैं और इस पर 1600 नौसैनिक कर्मी तैनात रहेंगे। रसद भंडारण की पूरी क्षमता के साथ यह युद्धपोत 45 दिनों तक समुद्र में अपना काम चला सकता है। मूलत: यह युद्धपोत बाकू में निर्मित हुआ था और 1987 में तत्कालीन सोवियत नौसेना को सौंपा गया था और अब इसका नाम आईएनएस विक्रमादित्य है।