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सामने आया देश की अर्थव्यवस्‍था का सच

यात्री किराए भाड़े का फैसला पिछली सरकार का है-रेलवे

जनता के हित में कड़े फैसले हर सरकार की मजबूरी

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 21 June 2014 08:07:10 PM

pm narendra modi

नई दिल्ली। जैसा कि पिछले दिनों एक कार्यक्रम में भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश की जनता को संबोधित करते हुए कहा था कि देश के आर्थिक हालात ऐसे हैं, जिनसे निपटने के लिए कड़े फैसले लेने होंगे और जिस मोदी को जनता बहुत प्यार करती है, इनके परिणाम स्वरूप वह भारी नाराज भी हो जाएगी, तो उन नाराज़गी भरे फैसलों पर अमल शुरू हो चुका है। हालांकि रेल किराया-भाड़ा बढ़ाने का फैसला मनमोहन सरकार का है, जिसे मोदी सरकार ने लागू कर दिया है, जिस पर देश की जनता मे मोदी सरकार के खिलाफ नाराज़गी का माहौल दिख रहा है, किंतु यह वास्तव में उस बीमारी का इलाज शुरू हुआ है, जिसे कांग्रेस गठबंधन सरकार जनता की नाराज़गी के भय से दस साल दबाए बैठी रही। उसने ऐसे फैसले नई सरकार के लिए छोड़ दिए, जिनसे जनता नई सरकार पर भड़केगी। मोदी सरकार को देश की जनता की भलाई में अभी और भी कई कड़े निर्णय लेने होंगे, तब कुछ समय बाद वास्तव में अच्छे दिन आएंगे।
फिलहाल देश में रेल किराए भाड़े को लेकर मोदी सरकार पर हल्ला बोला जा रहा है, रेल मंत्रालय ने हालांकि यात्री किराए और माल-भाड़े में संशोधन के संबंध में एक स्‍पष्‍टीकरण जारी किया है कि उसने कहा है कि मनमोहन सरकार द्वारा अंतिम रूप दिए गए यात्री किराए और माल-भाड़े में संशोधन के आदेश को ही जारी किया गया है। स्पष्ट किया गया है कि इस आदेश में यात्री किराए में केवल 10 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी और माल-भाड़े में 5 प्रतिशत बढ़ोत्तरी की गई है। रेल मंत्रालय के यात्री किराए में 14.2 प्रतिशत बढ़ोत्तरी और माल-भाड़े में 6.5 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी में ईंधन समायोजन घटक (एफएसी) (4.2 प्रतिशत यात्री किराए में और लगभग 1.5 प्रतिशत माल-भाड़े में) इसे 6 महीने में किए जाने का नियम है। ये डीजल और पेट्रोल के खुदरा मूल्‍य के समान तेल के मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव पर निर्भर होते हैं, अगर तेल मूल्‍यों में कमी होती है तो तेल के मूल्‍यों में उतार-चढ़ाव के कारण पड़ रहे अतिरिक्‍त भार की समीक्षा की जाती है। ये बात ध्‍यान देने योग्‍य है कि पिछली सरकार ईंधन समायोजन घटक (एफएसी) से संबंधित समीक्षा पहले ही दो बार कर चुकी है। अंतिम बार इसे अक्‍तूबर 2013 में किया गया था।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के उपायों में अधिकांश टीवी चैनल भी आग में घी डालने के काम में जुट गए है। आखिर उन्हें चाहे जिस तरह से टीआरपी जो बढ़ानी है। इसके अतिरिक्त उन्हें मोदी सरकार को दबाव में लेना है। टीवी चैनलों पर प्रसारित होने वाले समाचारों में केवल महंगाई जारी रहने को लेकर मोदी सरकार के अच्छे दिन आने वाले हैं स्लोगन का लोगों की प्रतिक्रियाओं के साथ उपहास उड़ाया जा रहा है, टीवी समाचार चैनल दूसरे लोगों की कही बातों कोही सुना रहे है, वे जनता को यह नहीं बता रहे हैं कि इस महंगाई के पीछे पूरी तरह पूर्ववर्ती कांग्रेस गठबंधन सरकार है और मोदी सरकार भारत के अर्थव्यवस्‍था को लेकर जो कदम उठा रही है, जनता सीने पर पत्‍थर रखकर उसका समर्थन करे। टीवी चैनल कांग्रेस और दूसरे दलों के नेताओं के बयान सुनाने में लगे हैं। इस मामले में भारतीय जनता पार्टी भी विरोधी लोगों के आरोपों का माकूल जवाब देने में फिसड्डी साबित हो रही है। कहने वाले तो यहां तक कह रहे हैं कि बीजेपी में भी कुछ ऐसे हैं, जो मोदी सरकार की आलोचनाओं का अच्छे दिन आएंगे कह कर मजा ले रहे हैं।
वित्तमंत्री अरुण जेटली और गृहमंत्री राजनाथ सिंह सहित सरकार के दूसरे मंत्रियों ने स्पष्ट कहा है कि यह कड़वे घूंट पीने का समय है और देश में महंगाई रोककर अच्छा समय आने में अभी समय लगेगा, क्योंकि देश की अर्थव्यवस्‍था में बीमारी गंभीर है, जो कि कड़वी से कड़वी दवा से ही ‌ठीक होगी। उनका कहना है कि इसका एहसास जनता को खुद-ब-खुद हो जाएगा जनता भी जानती है कि सच बहुत कड़वा होता है। देश में यदि कहीं कांग्रेस गठबंधन की सरकार फिर से आ गई होती तो अब तक देश की जनता का न जाने कितना बुरा हाल होता। नरेंद्र मोदी सरकार के सामने कड़े फैसले लेने के अलावा कोई भी विकल्प नहीं है, महंगाई और भी बढ़ेगी, जिसका सामना करने के लिए जनता को तैयार रहना होगा। इस पूरे मामले में टीवी चैनलों के कवरेज को देखना होगा और उसमें प्रतिक्रिया व्यक्त करने वालों को समझना होगा कि उनका वास्तविक उद्देश्य कितना पवित्र है, इसीमें भाजपा के मीडिया प्रबंधन की भी परीक्षा होगी, देखना होगा कि भाजपा विपक्ष के हल्लाबोल का कैसे उत्तर देती है। 

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