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Saturday 23 August 2014 03:36:48 AM
नई दिल्ली। केंद्रीय पर्यटन मंत्रालय ने महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए होटल के वर्गीकरण और पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया को होटलों के संचालन के लिए विभिन्न स्थानीय, राज्यस्तरीय और केंद्रीय प्राधिकारियों से जारी लाइसेंसों और मंजूरियों को बिना देखे करने का निर्णय लिया है। भूमि उपयोग प्रमाण पत्र, भवन निर्माण समापन प्रमाण पत्र, तटीय क्षेत्र विनियमन मंजूरी, वन और पर्यावरण मंजूरी, प्रदूषण नियंत्रण मंजूरी, पुलिस मंजूरी, अग्निशमन मंजूरी, हवाई अड्डा प्राधिकरण मंजूरी, स्वास्थ्य एवं सुरक्षा संबंधी मंजूरी आदि की जगह पर अब होटल के वर्गीकरण औऱ पुनर्वर्गीकरण के लिए सिर्फ वर्तमान व प्रमाणिक ट्रेड लाइसेंस और आवश्यकता होने पर बार लाइसेंस प्रस्तुत करना होगा।
नई दिल्ली में आयोजित राज्यों के पर्यटन मंत्रियों के राष्ट्रीय सम्मेलन में केंद्रीय पर्यटन और संस्कृति मंत्री श्रीपद येस्सो नायक ने सरकार के इस फैसले की घोषणा की। पर्यटन मंत्री ने कहा कि यह निर्णय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अफसरशाही पर लगाम लगाने की पहल के अनुरुप उठाया है। उन्होंने कहा कि इस निर्णय से गैर-जरूरी प्रक्रियाएं खत्म होंगी तथा वर्गीकरण और पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया में तेजी आयेगी। उन्होंने कहा कि पर्यटन मंत्रालय का मानना है कि होटलों द्वारा स्थानीय, राज्य और केंद्र सरकारों के प्राधिकारियों के किसी भी कानून, नियम, अधिनियम या दिशा-निर्देश के उल्लंघन पर संबंधित प्राधिकारी उस संस्था के खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं।
पर्यटन मंत्रालय का वर्गीकरण और पुनर्वर्गीकरण तभी तक प्रभावी रहेगा, जब तक होटलों के संचालन के लिए स्थानीय, राज्यस्तरीय और केंद्रीय प्राधिकारियों के विभिन्न कानूनों, नियमों, अधिनियमों या दिशा-निर्देशों के तहत जारी लाइसेंस और मंजूरी मौजूद होगी। लाइसेंस और मंजूरियां न होने की दशा में वर्गीकरण और पुनर्वर्गीकरण को तत्काल प्रभाव से निरस्त कर दिया जायेगा। पर्यटन मंत्रालय उपभोक्ताओं के हितों की रक्षा के क्रम में होटल प्रबंधन से उनके संचालन के लिए स्थानीय, राज्यस्तरीय और केंद्रीय प्राधिकारियों के विभिन्न कानूनों, नियमों, अधिनियमों या दिशा-निर्देशों के तहत जारी लाइसेंसों और मंजूरियों का शपथ-पत्र लेगा। मंत्रालय होटलों की सुख-सुविधाएं और सेवाओं के आधार पर इकाई के वर्गीकरण और पुनर्वर्गीकरण की प्रक्रिया को जारी रखेगा।