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Tuesday 2 December 2014 01:46:14 AM
रायपुर। छत्तीसगढ़ में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के दौरे को चुनौती देते हुए सुकमा जिले में नक्सलियों ने केंद्रीय रिज़र्व पुलिस बल यानी सीआरपीएफ के दो अधिकारियों समेत 14 पुलिसकर्मियों की हत्या कर दी। हमले में कई अन्य पुलिसकर्मी घायल भी हुए हैं। जानकारी यह भी मिली है कि सुरक्षा बलों ने जवाबी कार्रवाई में आठ नक्सलियों को मौत के घाट उतार दिया है। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में सुरक्षाबलों पर वामपंथी उग्रवादियों के दुखद हमले की कड़ी निंदा की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी हमले की निंदा करते हुए इसे राष्ट्र विरोधी तत्वों के जरिए किया गया नृशंस और अमानवीय कृत्य बताया है। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि यह हमला देश और देश के शांतिप्रिय लोगों के लिए चुनौती है। सरकार ने इस हमले के मद्देनज़र सुरक्षा व्यवस्था को और ज्यादा सख्त बनाते हुए नक्सलियों के खिलाफ अभियान और तेज कर दिया है।
राज्य के वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों ने बताया कि सुकमा जिले के चिंतागुफा थाना क्षेत्र में दोरनापाल और चिंतलनार गांव के मध्य नक्सलियों ने सीआरपीएफ के गश्ती दल पर घात लगाकर हमला किया, इसमें सीआरपीएफ के एक असिस्टेंट कमांडेंट राजेश कपूरिया और एक डिप्टी कमांडेंट बीएस वर्मा समेत 14 जवान शहीद हो गए और कई पुलिसकर्मी घायल हो गए हैं। घटना के बारे में बताया गया है कि चिंतागुफा थाना क्षेत्र से 29 नवंबर को सीआरपीएफ के 223वीं बटालियन और 206 कोबरा बटालियन के अधिकारियों और जवानों को नक्सल विरोधी आभियान में रवाना किया गया था, सोमवार को वापसी के दौरान नक्सलियों ने कासलपाड़ा गांव के जंगल में घात लगाकर हमला कर दिया, पुलिस जवानों ने भी नक्सलियों पर जवाबी कार्रवाई की।
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि घटना की जानकारी मिलने के बाद क्षेत्र के लिए पुलिस दल रवाना किया गया और मृत जवानों के शवों और घायल जवानों को बाहर निकालने की कार्रवाई की गई। राज्य के नक्सल मामलों के अतिरिक्त पुलिस महानिदेशक आरके विज ने बताया कि जवानों के शवों और घायलों को चिंतागुफा से रायपुर लाया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया कि इस घटना में आठ नक्सलियों के मारे जाने की आशंका है। मुठभेड़ में जवानों ने नक्सलियों के मरने की पुष्टि की है, हालांकि किसी नक्सली का शव अभी बरामद नहीं हुआ है। मुख्यमंत्री रमन सिंह ने नक्सली हमले की निंदा करते हुए इसे कायरना बताया है। उन्होंने कहा कि नक्सलियों में इतना साहस नहीं है कि वे हमारे सुरक्षा बलों से आमने-सामने मुकाबला कर सकें।
मुख्यमंत्री रमन सिंह ने कहा कि हमारे अधिकारियों और जवानों ने कर्तव्यों का पालन करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी है, उनकी शहादत व्यर्थ नहीं जाएगी। राज्य के मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने इसे सरकार और खुफिया तंत्र की विफलता बताया है। प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष भूपेश बघेल ने पूछा भी कि पिछले कुछ महीनों से लगातार सरकार नक्सलियों के आत्मसमर्पण के बड़े-बड़े दावे कर रही थी, नक्सलवाद के कमजोर होने की बात भी सरकार कर रही थी, फिर अचानक इतना बड़ा हादसा कैसे हो गया? राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार बोर्ड के सदस्य इन दिनों छत्तीसगढ़ के दौरे पर हैं, वो नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में इस समस्या से पैदा हुई स्थितियों का जायजा ले रहे हैं। बोर्ड के सदस्यों ने राज्यपाल बलरामजी दास टंडन और मुख्यमंत्री रमन सिंह से मुलाकात कर प्रदेश के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक की है।
नई दिल्ली में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने छत्तीसगढ़ के राज्यपाल बलरामजी दास टंडन को भेजे संदेश में राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने कहा है कि मैं कल छत्तीसगढ़ के सुकमा जिले में वामपंथी उग्रवादियों के किए गए दुखद हमले के बारे में जानकर स्तब्ध और हताश हूं, जिसमें सीआरपीएफ से जुड़े कई व्यक्तियों ने अपनी जानें गंवाई और कई अन्य घायल हुए। प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमारे सुरक्षाबलों पर हुई हिंसा की इस कार्रवाई की जोरदार शब्दों में निंदा करता हूं और संबंधित अधिकारियों से आग्रह करता हूं कि जितना जल्द संभव हो हमलावरों को दंड देने में कोई कसर न छोड़ें। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी इस हमले की निंदा की है। प्रधानमंत्री ने कहा कि सुकमा में राष्ट्र विरोधी तत्वों के नृशंस और अमानवीय हमले की निंदा के लिए शब्द पर्याप्त नहीं हैं, मैं शहीद हुए सीआरपीएफ के साहसी जवानों को नमन करता हूं। प्रधानमंत्री ने गृहमंत्री राजनाथ सिंह और छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री डॉ रमन सिंह से घटना के संबंध में बात की है और कहा है कि हम हालात पर करीबी नज़र से निगरानी कर रहे हैं। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने कहा है कि नक्सली बौखला गए हैं।
छत्तीसगढ़ का इतिहास
छह फरवरी 2006 में नक्सलियों ने एनएमडीसी के गोदाम में हमला कर 8 जवानों की हत्या की। सत्रह जुलाई 2007 को दंतेवाड़ा में 800 नक्सलियों ने धावा बोलकर 27 लोगों की हत्या कर दी इस हमले में कई लोग घायल हुए थे। सोलह मार्च 2008 को रानी बोदली के जंगल में खूनी नक्सलियों ने बम बंदूक से हमला कर 49 लोगों की हत्या कर दी थी। इसी साल घातक हमले में सांसद बलिराम कश्यप और वन मंत्री विक्रम उसेंडी बाल-बाल बचे थे। अप्रैल 2008 में हमलावरों ने कांकेर में पांच जवानों को मार डाला। जुलाई 2009 में मदनवाड़ा में नक्सली हमले में राजनंदगांव के एसपी विनोद कुमार चौबे सहित 28 सुरक्षाकर्मी मारे गए। छब्बीस सितंबर 2009 को भीषण हमले में जगदलपुर में सांसद बलिराम कश्यम मारे गए। छह अप्रैल 2010 में ताड़मेटला में हुए भीषण नक्सली हमले में सीआरपीएफ के 76 जवान शहीद हुए थे। सत्रह मई 2010 में बारूदी सुरंग विस्फोट में 14 विशेष सुरक्षा अधिकारी सहित 35 लोग मारे गए थे। अक्तूबर 2011 में छह सुरक्षाकर्मियों की हत्या हुई। अगस्त 2011 में 11 पुलिस कर्मियों की हत्या हुई। जुलाई में दंतेवाड़ा में दल पुलिस वालों की हत्या हुई। पच्चीस मई 2013 को दरभा घाटी में हुए हमले में पूर्व केंद्रीय मंत्री विद्याचरण शुक्ल, कांग्रेस नेता महेंद्र कर्मा, नंदकुमार पटेल समेत 30 लोग मारे गए। बारह अप्रैल 2014 को नक्सलियों ने एक एंबुलेस को विस्फोट से उड़ाया, जिसमें 8 लोग मरे और इस साल 11 मार्च 2014 को धीरम घाटी में नक्सलियों के हमले में पंद्रह सुरक्षा कर्मी मारे गए।