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Sunday 21 December 2014 05:05:34 PM
नई दिल्ली। सातवां भारत-चीन वित्तीय संवाद कल संपन्न हुआ। भारत-चीन वित्तीय संवाद असल में एक फोरम है, जो दोनों देशों को आपसी आर्थिक एवं वित्तीय सहयोग बढ़ाने के लिए सालाना समीक्षा करने के साथ-साथ विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार-विमर्श करने का एक अच्छा अवसर प्रदान करता है। वर्ष 2003 में भारत के प्रधानमंत्री की बीजिंग यात्रा के दौरान इस ढांचे की परिकल्पना की गई थी, जबकि चीन के प्रधानमंत्री की भारत यात्रा के दौरान अप्रैल 2005 में हस्ताक्षरित सहमति करार (एमओयू) के जरिए इसे मूर्त रूप प्रदान किया गया था। चीन के वित्त मंत्रालय में सहायक मंत्री यू वीपिंग के नेतृत्व में उच्चस्तरीय चीनी प्रतिनिधिमंडल ने वित्त मंत्रालय के आर्थिक मामलों के विभाग में अपर सचिव दिनेश शर्मा की अगुवाई वाले भारतीय प्रतिनिधिमंडल के साथ आपसी चिंता एवं हितों वाले विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर विचार-विमर्श किया।
भारत और चीन ने मौजूदा वैश्विक आर्थिक हालात की समीक्षा की और वर्तमान साझा बाह्य चुनौतियों के मद्देनज़र अपने नीतिगत कदमों में तालमेल बैठाने पर सहमति जताई। दोनों पक्षों ने बहुपक्षीय ढांचे एवं फोरम के तहत आपसी सहयोग बढ़ाने की जरूरत को रेखांकित किया। भारत और चीन ने राजकोषीय तथा कर संबंधी सुधारों पर अपने विचारों का आदान-प्रदान किया। दोनों देशों ने वित्तीय क्षेत्र से जुड़ी नियामक एजेंसियों के बीच सहयोग बढ़ाने और भारत के बुनियादी ढांचागत क्षेत्र में दीर्घकालिक चीनी निवेश को प्रोत्साहित करने पर भी सहमति जताई।