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'अग्नि' सेना में शामिल होने को तैयार

राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री की वैज्ञानिकों को बधाई

अग्नि-5 मिसाइल का परीक्षण रहा कामयाब

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Saturday 31 January 2015 04:53:17 AM

successful test of agni-5 missile

बालेश्वर/ ओडिशा। पांच हजार किलोमीटर से भी दूर तक दुश्मन पर कहर बरपाने वाली भारतीय मिसाइल अग्नि-5 का परीक्षण कामयाब रहा है। बस कुछ और परीक्षण के बाद यह मिसाइल सेना में शामिल हो जाएगी। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण के लिए वैज्ञानिकों को बधाई दी है। प्रधानमंत्री ने कहा कि अग्नि-5 का सफल परीक्षण हमारे रक्षा बलों के लिए एक बहुमूल्‍य संपदा सिद्ध होगा। उन्होंने कहा कि वैज्ञानिकों के इस सफल प्रयास के लिए मैं उन्‍हें सलाम करता हूं। भारत ने स्वदेश में विकसित परमाणु आयुध ले जाने में सक्षम, सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल ‘अग्नि-5’ का ओडिशा तट के करीब व्हीलर द्वीप से आज सफल प्रायोगिक परीक्षण किया। इसकी मारक क्षमता 5000 किलोमीटर से ज्यादा है और यह एक टन से ज्यादा परमाणु आयुध ले जा सकती है।
आईटीआर के निदेशक एमवीकेवी प्रसाद ने बताया कि एकीकृत परीक्षण रेंज सुबह आठ बजकर छह मिनट पर आईटीआर में प्रक्षेपण परिसर-4 के मोबाइल प्रक्षेपक से ठोस प्रणोदक वाली मिसाइल का प्रक्षेपण किया गया। उन्होंने बताया कि अग्नि-5 मिसाइल के कैनिस्टर संस्करण का सफलतापूर्वक परीक्षण किया गया। मिसाइल का त्रुटिरहित स्वत: प्रक्षेपण हुआ और विभिन्न रडार और नेटवर्क प्रणालियों से सभी डेटा मिलने के बाद विस्तृत परिणाम आएंगे। प्रक्षेपण के कुछ ही सेकेंड के भीतर हल्के नारंगी और सफेद रंग के धुएं की परत बनाती हुई मिसाइल आसमान में नज़रों से ओझल हो गई। लंबी दूरी की मारक क्षमता वाली मिसाइल का यह तीसरा प्रायोगिक परीक्षण था। पहला परीक्षण 19 अप्रैल 2012 को और दूसरा 15 सितंबर 2013 को इसी जगह से हुआ था।
एमवीकेवी प्रसाद ने बताया कि अग्नि श्रृंखला की अन्य मिसाइलों से अलग नवीनतम ‘अग्नि-5’ नेविगेशन और मार्गदर्शन, वारहेड और इंजन के मामले में कुछ नई तकनीक से लैस है। पहले अग्नि-5 प्रायोगिक परीक्षण में स्वदेश में विकसित कई नई तकनीकों का इस्तेमाल हुआ है। परिष्कृत रिंग लेसर गायरो आधारित इनरशियल नेविगेशन सिस्टम (आरआईएनएस) और अत्याधुनिक माइक्रो नेविगेशन सिस्टम सुनिश्चित करता है कि मिसाइल बेहद सटीकता के साथ अपने लक्षित बिंदु को भेदे। हाई स्पीड ऑनबोर्ड कंप्यूटर और फॉल्ट टालरेंट सॉफ्टवेयर मिसाइल को त्रुटिरहित तरीके से आगे बढ़ने में मदद करते हैं। भारत के पास अग्नि श्रृंखला के तहत 700 किलोमीटर मारक क्षमता वाली अग्नि-1, 2000 किलोमीटर रेंज की अग्नि-2 और 2500 से 3500 किलोमीटर तथा ज्यादा रेंज वाली अग्नि-3 और अग्नि-4 मिसाइल है। कुछ और प्रयोगों के बाद अग्नि-5 को सेवा में शामिल कर लिया जाएगा।
राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सतह से सतह पर मार करने वाली इस अग्नि-5 मिसाइल के सफल परीक्षण पर रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) को बधाई दी है। रक्षा मंत्री के सलाहकार व डीआरडीओ के महानिदेशक डॉ अविनाश चंद्र को भेजे संदेश में राष्ट्रपति ने कहा कि स्‍वदेश विकसित अग्नि-5 के तीसरे विकास परीक्षण से जुड़े सभी लोगों को मैं इसके सफल परीक्षण पर हार्दिक बधाई देता हूं। उन्होंने कहा कि मुझे यह जानकर खुशी हुई कि मिसाइल के इस प्रारूप में नेवीगेशन और दिशा-निर्देश, वारहेड और ईंजन से संबंधित कई नई प्रौद्योगिकी का प्रयोग किया गया है, मैं समझता हूं कि आज के परीक्षण में पहली बार मिसाइल को कनस्तरीय प्रारूप में जांचने का प्रयास किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरी बधाई को अपनी टीम के वैज्ञानिकों, इंजीनियरों और इस प्रयास जुड़े अन्य सभी लोगों तक पहुंचाएं, हमारा राष्ट्र उनकी कड़ी मेहनत के लिए आभारी है और उनकी उपलब्धियों पर हमें गर्व है।

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