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Tuesday 3 February 2015 03:34:19 AM
नई दिल्ली। वित्त एवं कॉरपोरेट मामले, सूचना और प्रसारण मंत्री अरुण जेटली ने कहा है कि प्रौद्योगिकी के कारण संचार के परिदृश्य में बदलाव आया है, ये है वेब मीडिया का युग है और डिजिटल मीडिया की पहुंच, परिमाण, विविधता और सुलभता के कारण आने वाला समय इसी का है। उन्होंने कहा कि तकनीकी पर जोर के कारण दुनियाभर के मंचों पर बदलाव को देखते हुए जानकारी के प्रसार के तरीके पर भी असर पड़ा है, तेजी से हो रहे इस बदलाव से मीडिया में तकनीकी संपर्क बिंदुओं का रूपांतरण हुआ, जिसका प्रभाव सूचना के प्रसार के प्रवाह और प्रकृति पर पड़ा है।
अरुण जेटली ने कहा कि लगातार 24 घंटे चलने वाले टेलीविजन से मिलने वाली चुनौतियों के कारण समाचारों के प्रसार के तरीकों में भी बदलाव आया है। उन्होंने कहा कि आज एजेंडा तय करने और विषय वस्तु के लिए कैमरा प्रमुख हो गया है, जिससे न्यूज़ के प्रवाह पर असर पड़ रहा है। अरुण जेटली ने राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय के अंतर्गत पत्र सूचना कार्यालय में 'सरकारी संचार को व्यवस्थित बनाने' पर आयोजित कार्यशाला का उद्घाटन किया। बदलते संचार परिप्रेक्ष्य में सरकारी संचार के महत्व और उपयुक्तता पर उन्होंने कहा कि आज के वातावरण में सरकार में हितधारकों के लिए विश्वसनीय, तथ्यपरक, उपयुक्त और पाठक के अनुकूल जानकारी के प्रसार के अत्यधिक अवसर हैं। उन्होंने कहा कि आज भी किसी बड़े निर्वाचन क्षेत्र के लिए सरकार से प्रामाणिक और विश्वसनीय जानकारी की आवश्यकता होती है। उन्होंने प्रतिभागियों से आधुनिक उपकरणों और तरीकों, मीडिया की जरूरतों और राय बनाने वालों तथा मीडिया में विश्लेषकों के लिए सामग्री को ध्यान में रखते हुए आंकड़े तैयार करने, तथ्य इकट्ठा करने और जानकारी देने को कहा।
अरुण जेटली ने सरकारी सूचना के पैकेजिंग के बारे में कहा कि सरकारी विभागों को सही और विश्वसनीय जानकारी देने के लिए उनकी वेबसाइटों का अधिक से अधिक उपयोग करने की आवश्यकता है। सरकार की नीतियों और कदमों से संबंधित जानकारी लेने वाले हितधारकों की शंकाओं को दूर करने के लिए वेबसाइट एक महत्वपूर्ण माध्यम है। वेबसाइट की सामग्री ऐसी भाषा में होनी चाहिए, जिसे आसानी से पढ़ा और समझा जा सके। उन्होंने कहा कि प्रत्येक मंत्रालय को ऐसी प्रक्रिया बनाने की आवश्यकता है, जिसकी पहुंच हितधारकों तक हो। हितधारकों में जनता, सिविल सोसाइटी के प्रतिनिधि सहित बड़ी संख्या में लोग शामिल हैं। उन्होंने सरकारी संचार की पहुंच को बढ़ाने के लिए सोशल मीडिया में उपलब्ध ट्विटर, ब्लॉग, फेसबुक जैसे विभिन्न उपकरणों के उपयोग की आवश्यकता के बारे में भी बताया। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार के लिए गए निर्णयों के बारे में बताते समय मीडिया को समेकित विचार अपनाने की आवश्यकता है।
सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री कर्नल राज्यवर्धन सिंह राठौर ने कहा कि वर्तमान संचार का परिदृश्य रफ्तार, सटीक, संक्षिप्त और स्पष्ट विचारों से चालित है। बड़ी संख्या में हितधारकों तक पहुंच बढ़ाने के लिए संचार के नए उपकरणों का उपयोग करना महत्वपूर्ण है। संचार के परिप्रेक्ष्य में अनुभूति का प्रबंधन एक महत्वपूर्ण उपकरण बन गया है और इसे संपूर्णता में देखने की आवश्यकता है। सूचना और प्रसारण सचिव बिमल जुल्का ने सरकारी संचार के तरीकों के बारे में सूचना और प्रसारण मंत्रालय के प्रयासों का ब्यौरा दिया। बिमल जुल्का ने सोशल मीडिया में 360 डिग्री के दृष्टिकोण को अपनाने, एकीकृत मीडिया योजना और पहलों के बारे में मिल रही नई चुनौतियों को दूर करने के लिए मंत्रालय के मुख्य उपायों के बारे में बताया। बिमल जुल्का ने स्वच्छ भारत मिशन, बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ और प्रधानमंत्री की जनधन योजना के लिए की गई विशिष्ट पहल और संकट की स्थिति को दूर करने के लिए मंत्रालय के प्रयासों को रेखांकित किया। विचार, अनुमोदन के प्रस्तावों में आईईसी घटक को एकीकृत करने की जरूरत पर जोर देते हुए उन्होंने भागीदारों से कैबिनेट प्रस्ताव तैयार करने का आह्वान किया। इससे संचार प्रयासों में बढ़ोतरी होगी और बजटीय आवश्यकताएं पूरी होंगी।
पत्र सूचना कार्यालय के महानिदेशक फ्रैंक नरोन्हा ने कार्यशाला के आयोजन के औचित्य और सरकार की संचार जरूरतों को पूरा करने में पत्र सूचना कार्यालय के सामने आने वाली चुनौतियों के बारे में बताया। उन्होंने बताया कि मीडिया में परिवर्तन और हितधारकों की आवश्यकताओं को देखते हुए पत्र सूचना कार्यालय महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। उन्होंने सरकारी नीतियों, कार्यक्रमों की बेहतर पहुंच के लिए विभिन्न मंत्रालयों, विभागों के बीच तालमेल की जरूरत पर भी जोर दिया। एक दिन की इस कार्यशाला में बदलते मीडिया परिदृश्य अर्थात् सोशल मीडिया का उत्थान, क्षेत्रीय मीडिया के लिए सरकार की वित्तीय नीति का संचार और मीडिया संचार में तकनीकी सत्रों, पैनल चर्चाओं, खुला मंच, विचार-विमर्श, प्रश्नोत्तर सत्रों आदि के जरिए पीएमओ परिदृश्यों के बारे में विभिन्न मुद्दों पर विचार-विमर्श किया गया। कार्यशाला में संयुक्त सचिव और इससे ऊंचे स्तर के अधिकारी, विभिन्न मंत्रालयों और विभागों से मंत्रियों के निजी सचिवों ने भाग लिया। कार्यशाला का उद्देश्य विभिन्न मीडिया मंचों के माध्यम से सरकारी संचार की बढ़ी भूमिका को एकीकृत करना है।