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Friday 25 January 2013 09:15:29 AM
नई दिल्ली। आर्थिक मामलों से संबद्ध मंत्रिमंडल समिति ने ’जम्मू-कश्मीर के लिए विशेष उद्योग पहल (उड़ान)’ स्कीम को ज्यादा लचीली और प्रासंगिक बनाने के लिए इसके मानकों में संशोधन को मंजूरी दे दी है। कुल 750 करोड़ रुपये की समग्र केंद्रीय सहायता के अंदर विभिन्न खर्चों के शीर्ष में बजट को समुचित बनाने के लिए लचीलेपन की अनुमति होगी। सार्वजनिक क्षेत्र के उपक्रमों को अब स्कीम में शामिल होने की अनुमति दे दी गई है तथा वे अपने कॉर्पोरेट सामाजिक दायित्व शीर्ष के तहत इसके लिए खर्च कर सकेंगे।
अब स्कीम में तीन वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारकों को शामिल होने की अनुमति होगी और एक वर्ष के रोजगार के बजाय न्यूनतम तीन महीने के रोज़गार के बाद नियत प्रशिक्षण लागत की प्रतिपूर्ति तथा मेडिकल/दुर्घटना बीमा इत्यादि के प्रावधान की अनुमति होगी। स्कीम के तहत 40,000 युवाओं को पांच वर्ष में प्रशिक्षण दिया जाएगा। स्कीम में दिलचस्पी दिखाने वाली तथा राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के साथ अनुबंध करने वाली कंपनियां राज्य से विद्यार्थियों की छंटनी और चयन करेंगी। कंपनियां प्रशिक्षुओं के कौशल में अंतर का आकलन करने के बाद, प्रशिक्षण पुस्तिका, उसकी अवधि और प्रशिक्षण की प्रवृत्ति डिजाइन करेंगी। प्रशिक्षुओं को प्रशिक्षण स्थल भेजा जाएगा। प्रशिक्षण पूरा होने के बाद कंपनी में रोजगार के लिए उनका साक्षात्कार लिया जाएगा तथा जहां तक संभव होगा, उन्हें नियुक्त किया जाएगा।
इस स्कीम का लक्ष्य ऐसे युवा हैं जो शिक्षित हैं, लेकिन उनके पास विपणन योग्य कौशल नहीं होते। इसमें स्नातक, स्नातकोत्तर, तीन वर्षीय इंजीनियरिंग डिप्लोमा धारक तथा प्रोफेशनल उपाधि धारक युवा शामिल हैं। रोजगार के अवसरों के अभाव में यह प्रतिभाएं अत्यधिक विमुख हो जाती हैं तथा राज्य की व्यवस्था में बदलाव लाने की उनकी क्षमता बेकार हो जाती है। यह स्कीम जम्मू-कश्मीर के युवा वर्ग को लाभदायक रोजगार सुलभ कराती है। उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने के जरिए यह स्कीम उनकी ऊर्जा को रचनात्मक व्यवसायों में लगाने का प्रस्ताव करती है।