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Friday 22 May 2015 03:05:37 AM
चेन्नई। तमिलनाडु की राजनीति में शक्तिशाली महिला राजनेता और अन्नाद्रमुक प्रमुख एवं वहां की मुख्यमंत्री रहीं जे जयललिता अम्मा का कठिन समय आखिर खत्म हुआ। अदालत ने आय से अधिक संपत्ति के मामले में जयललिता को दोषी ठहराया था, जिससे वह मुख्यमंत्री पद के लिए अयोग्य हो गई थीं, मगर कर्नाटक उच्च न्यायालय ने 11 मई को उन्हें उन आरोपों से बरी कर दिया, जिसके बाद वे फिर से पांचवी बार मुख्यमंत्री बनने जा रही हैं। अन्नाद्रमुक के विधायकों की बैठक में जे जयललिता को आज सर्वसम्मति से विधायक दल का नेता चुन लिया गया। इससे पहले पार्टी के कोषाध्यक्ष और मुख्यमंत्री ओ पनीरसेल्वम ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दिया, जिसे राज्यपाल के रोसैया ने स्वीकार कर लिया। इसके बाद विधायक दल की बैठक में ओ पनीरसेल्वम ने ही विधायक दल के नेता के लिए जे जयललिता के नाम का प्रस्ताव पेश किया, बिजली मंत्री रहे नाथम आर विश्वनाथन ने उसका समर्थन किया और यह प्रस्ताव सर्वसम्मति से स्वीकार किया गया। ओ पनीरसेल्वम ने प्रस्ताव पेश करते हुए जे जयललिता की तारीफ की और उन्हें अन्नाद्रमुक का स्थायी महासचिव बताया। सहकारिता मंत्री रहे सेल्लुर ने इस मौके पर कहा कि यह हमारे लिए खुशी का दिन है।
कर्नाटक हाईकोर्ट के आय से अधिक संपत्ति के मामले में फैसला आने के बाद जे जयललिता के राजयोग से ग्रहण हट गया है। तमिलनाडु की राजनीति में जयललिता के प्रतिद्वंदी द्रमुक नेता करुणानिधि के लिए यह असहज और असंतोष की घटना है, जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जे जयललिता को बधाई दी है। कर्नाटक हाईकोर्ट के न्यायमूर्ति सीआर कुमारसामी ने फैसले का मुख्य अंश पढ़ते हुए जब कहा कि सभी अपीलें स्वीकार की जाती हैं और दोषियों को बरी किया जाता है, जे जयललिता का भाग्य फिर से चमक उठा। ध्यान रहे कि एकल पीठ के न्यायाधीश ने अन्नाद्रमुक प्रमुख की मित्र शशिकला नटराजन और उनके रिश्तेदारों जे एलावरासी और जयललिता के अलग हो चुके उनके दत्तक पुत्र वीएन सुधाकरण को भी बरी कर दिया है। इन चारों को निचली अदालत ने कारावास की सजा सुनाई थी। जे जयललिता का कहना था कि इस फैसले से पुष्टि हुई है कि उन्होंने कुछ भी गलत नहीं किया, यह मामला राजनीतिक विरोधियों ने उछाला था।
कर्नाटक हाईकोर्ट से क्लीन चिट मिलने और फिर से तमिलनाडु की मुख्यमंत्री बनने के बाद जे जयललिता में पहले से ज्यादा राजनीतिक ऊर्जा और उत्साह होगा और वे अपने रानीतिक विरोधियों का और ज्यादा मुखर होकर सामना कर पाएंगी। तमिलनाडु में विधानसभा चुनाव से एक साल पहले इस घटनाक्रम को राजनीतिक रूप से काफी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है। विशेष अदालत के फैसले ने जन प्रतिनिधि कानून के तहत जयललिता को 10 साल तक के लिए चुनाव लड़ने से अयोग्य ठहरा दिया था। जयललिता को 2001 और 2014 में यानी दो बार भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों में मुख्यमंत्री पद छोड़ना पड़ा था। उन पर 1991-96 तक के अपने पहले मुख्यमंत्री कार्यकाल के दौरान अपनी आय के ज्ञात स्रोतों से 66.65 करोड़ रुपए अधिक की संपत्ति जुटाने का आरोप लगा था। इस मामले में कई कानूनी पेंच आए थे। वर्ष 2003 में सुप्रीम कोर्ट ने मामले को द्रमुक की याचिका के आधार पर बंगलुरु विशेष अदालत में स्थानांतरित कर दिया था। याचिका में दावा किया गया था कि चूंकि जयललिता के नेतृत्व वाली अन्नाद्रमुक सत्ता में है, इसलिए चेन्नई में निष्पक्ष सुनवाई नहीं हो सकती।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आय से अधिक संपत्ति मामले में बरी किए जाने पर जयललिता को बधाई दी। अन्नाद्रमुक की ओर से जारी किए गए बयान में कहा गया कि माननीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पुराताची तलैवी अम्मा से बात की और उन्हें अपनी बधाई दी। जे जयललिता के बरी होने के फैसले पर द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि दोहरा रहे हैं कि यह अंतिम फैसला नहीं है, मैं महात्मा गांधी के वक्तव्य की याद दिलाना चाहूंगा कि एक अदालत है, जो सभी अदालतों से ऊपर है और वह है अंतरात्मा की आवाज़। द्रमुक अध्यक्ष एम करुणानिधि के लिए जे जयललिता का फिर से मुख्यमंत्री बनना भविष्य की राजनीति के लिए चुनौतीपूर्ण माना जाता है। केंद्र में भाजपा की नरेंद्र मोदी की सरकार है, जो जे जयललिता के प्रति रणनीतिक उदारता बरत सकती है, तमिलनाडु में भी भाजपा को अभी दूसरों के साथ की जरूरत है, जिसमें जे जयललिता के बारे में सोचा जा सकता है। बहरहाल यह बाद की बाते हैं, फिलहाल अन्नाद्रमुक में सत्ता का जश्न मनाया जा रहा है और जे जयललिता के सामने अपनी भावी रणनीतियों को अंजाम देने का पूरा अवसर मिल गया है।