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Saturday 25 July 2015 07:01:30 AM
पटना। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पटना में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के 87वें स्थापना दिवस समारोह को संबोधित करते हुए कहा है कि राष्ट्र दूसरी हरित क्रांति के लिए लंबे समय तक इंतजार नहीं कर सकता और यह पूर्वी भारत से ही आनी चाहिए। प्रधानमंत्री ने बजट की कमी के बावजूद उनके काम के लिए भारतीय वैज्ञानिकों की प्रशंसा की और साथ ही उन्होंने कृषि क्षेत्र में प्रयोगशाला से खेतों तक वैज्ञानिक नवाचारों की जरूरत पर बल दिया, जिससे कि किसान उनका लाभ उठा सकें। प्रधानमंत्री ने कृषि क्षेत्र में मूल्य संवर्धन की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने रेडियो कार्यक्रम मन की बात के एक हाल ही के एपिसोड का उल्लेख किया, जिसमें उन्होंने दालों और तिलहन का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत के बारे में बात की थी।
प्रधानमंत्री ने प्रसन्नता व्यक्त करते हुए कहा कि अब तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर इस साल दालों और तिलहन के बुवाई क्षेत्र में भारी वृद्धि हुई है। उन्होंने कहा कि कृषि क्षेत्र में भारत को पूरी तरह आत्मनिर्भर बनने का उद्देश्य रखना चाहिए। प्रधानमंत्री ने भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद पुरस्कार-2014 प्रदान किए और पांच भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद कार्यक्रमों का शुभारंभ किया। बिहार के राज्यपाल केशरी नाथ त्रिपाठी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, केंद्रीय कृषिमंत्री राधामोहन सिंह और केंद्रीय कृषि राज्यमंत्री मोहनभाई कुंदरिया और संजीव कुमार बालियान भी इस अवसर पर उपस्थित थे।
प्रधानमंत्री स्थापना दिवस व पुरस्कार वितरण समारोह एवं कृषि विज्ञान केंद्रों के राष्ट्रीय सम्मेलन में देशभर के कृषि वैज्ञानिकों को संबोधित किया। उन्होंने इस अवसर पर लैब-टू-लैंड कार्यक्रम में और तेजी लाने के लिए आईसीएआर की चार नई परियोजनाओं, पहली-फामर्स फर्स्ट, दूसरी आर्या, तीसरी मेरा गांव मेरा गौरव और चौथी स्टूडेंट रेडी का शुभारंभ किया। आईसीएआर ने भविष्य की चुनौतियों को ध्यान रखते हुए आईसीएआर विजन 2050 की रूपरेखा तैयार की है, जिसका विमोचन भी उन्होंने किया। मूलत: इंपीरियल काउंसिल ऑफ एग्रीकल्चरल रिसर्च की स्थापना वर्ष 1929 में की गई थी, स्वतंत्रता प्राप्ति के पश्चात इसे भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) नाम दिया गया।
भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के अंतर्गत वर्तमान में देशभर में कुल 100 संस्थान कार्यरत हैं, जिनमें 4 मानद विश्वविद्यालय हैं। परिषद का संचालन नई दिल्ली स्थित मुख्यालय से विषय-वस्तु प्रभागों के माध्यम से किया जाता है। ये प्रभाग हैं, फसल विज्ञान, पशु विज्ञान, कृषि शिक्षा, कृषि प्रसार, बागवानी विज्ञान, मात्स्यिकी विज्ञान, प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन एवं कृषि अभियांत्रिकी। विश्व के सार्वजनिक क्षेत्रों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद सबसे बड़ी राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान व शिक्षा प्रणाली है। परिषद की राष्ट्रीय कृषि अनुसंधान प्रणाली में कुल 73 कृषि विश्वविद्यालय हैं, जिनमें 2 केंद्रीय विश्वविद्यालय, 67 राज्य कृषि विश्वविद्यालय तथा 642 कृषि विज्ञान केंद्र शामिल हैं।
पहली बार भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद के स्थापना दिवस का आयोजन नई दिल्ली से बाहर बिहार में किया गया। बिहार राज्य का महत्व इसलिए भी अधिक है, क्योंकि देश के पहले कृषि अनुसंधान व शिक्षा संस्थान आईएआरआई की स्थापना लगभग 110 वर्ष पूर्व बिहार की पावन धरती पर पूसा, समस्तीपुर में की गई थी। संस्थानों, वैज्ञानिकों, शिक्षकों, किसान भाईयों तथा कृषि पत्रकारों को मान्यता प्रदान करने और उन्हें पुरस्कृत करने के लिए आईसीएआर में एक बहु-स्थापित प्रणाली विद्यमान है। आईसीएआर के स्थापना दिवस पर प्रतिवर्ष पुरस्कार वितरण समारोह का आयोजन किया जाता है। इस समारोह में कृषि अनुसंधान, शिक्षा, नवोन्मेष एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान के लिए अठ्ठारह विभिन्न श्रेणियों में कुल 82 पुरस्कार हैं। इनमें 3 संस्थानों, सर्वश्रेष्ठ एआईसीआरपी केंद्र सहित एक एआईसीआरपी, 9 कृषि विज्ञान केंद्रों, 55 वैज्ञानिकों, 7 किसानों तथा 6 पत्रकारों के लिए पुरस्कार हैं। पुरस्कार पाने वाले 55 वैज्ञानिकों में से 15 महिला वैज्ञानिक हैं।
पुरस्कारों में भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद नॉर्मन बोरलॉग पुरस्कार, सरदार पटेल आईसीएआर इंस्टीट्यूशन अवार्ड, चौधरी देवीलाल अखिल भारतीय समंवित अनुसंधान परियोजना अवार्ड, जवाहर लाल नेहरू पुरस्कार, कृषि और संबद्ध विज्ञान में उत्कृष्ट डॉक्टरेट थीसिस अनुसंधान के लिए पीजी पुरस्कार, पंजाबराव देशमुख महिला वैज्ञानिक पुरस्कार, शुष्क भूमि खेती प्रणाली में उत्कृष्ट शोध के आवेदन के लिए वसंतराव नाईक पुरस्कार, जगजीवन राम अभिनव किसान पुरस्कार, राष्ट्रीय पुरस्कार और जोनल पुरस्कार, विविध कृषि के लिए एनजी रंगा किसान पुरस्कार, कृषि अनुसंधान और विकास एवं पत्रकारिता के क्षेत्र में उत्कृष्टता के लिए चौधरी चरण सिंह पुरस्कार, आदिवासी खेती प्रणाली में उत्कृष्ट शोध के लिए फखरुद्दीन अली अहमद पुरस्कार, शिक्षकों को सर्वश्रेष्ठ कृषि विज्ञान केंद्र के लिए भारत रत्न डॉ सी सुब्रमण्यम पुरस्कार (राष्ट्रीय और आंचलिक), कृषि और संबद्ध विज्ञान में हिंदी में तकनीकी पुस्तकों के लिए डॉ राजेंद्र प्रसाद पुरस्कार, लाल बहादुर शास्त्री युवा वैज्ञानिक पुरस्कार, कृषि विज्ञान में उत्कृष्ट शोध के लिए रफी अहमद किदवई पुरस्कार, स्वामी सहजानंद सरस्वती बेहतरीन एक्सटेंशन वैज्ञानिक पुरस्कार, हरिओम आश्रम ट्रस्ट अवार्ड, कृषि औजार पर नवाचार और अनुसंधान के लिए एनएएसआई-आईसीएआर पुरस्कार शामिल हैं।