दिनेश शर्मा
Monday 14 September 2015 02:35:15 AM
भोपाल। केंद्रीय गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने भोपाल में तीन दिवसीय दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के नाम पर लगी 'हिंदी की नुमाईश' के समापन पर कहा है कि एक भाषा के रूप में हिंदी न सिर्फ भारत की पहचान है, बल्कि यह भाषा हमारे जीवन मूल्यों, संस्कृति एवं संस्कारों की सच्ची संवाहक, संप्रेषक और परिचायक भी है। उन्होंने कहा कि जब विश्व के 177 देशों की मान्यता के साथ विश्व 21 जून को विश्व योग दिवस के रूप में अपना सकता है तो हिंदी भाषा को भी संयुक्त राष्ट्र संघ की अधिकृत भाषाओं की सूची में शामिल क्यों नहीं किया जा सकता, जबकि इसके लिए तो सिर्फ 127 देशों के समर्थन की ही आवश्यकता है। विश्व हिंदी सम्मेलन में बारह प्रस्ताव पारित किए गए, किंतु यह सम्मेलन हिंदी पर भाषणों के अलावा और कुछ हासिल नहीं कर सका। इसमें हिंदी के राजनीतिज्ञों का बोलबाला रहा, लेकिन वास्तविक हिंदी मनीषियों का जैसे वहां कोई काम नहीं था। कुछ व्यंग्कारों ने इस सम्मेलन का शीर्षक दिया आओ हिंदी-हिंदी खेलें।
बहरहाल गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने हिंदी के कसीदे पढ़ने में कोई कमी नहीं छोड़ी वैसे भी वे हिंदी के बड़े 'भाषणवीर' कहे जाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी सभी भारतीय भाषाओं की बड़ी बहन होने के नाते सभी उपयोगी और प्रचलित शब्दों को अपने में समाहित करके सही मायनों में भारत की संपर्क भाषा होने की भूमिका निभा रही है। गृहमंत्री ने कहा कि हिंदी भाषा वैश्विक पटल पर भी तकनीक और डिजिटलाइजेशन के क्षेत्र में विस्तार और बड़े बाजार की अनंत संभावनाएं समेटे हुए है। हिंदी के इसी महत्व को देखते हुए तकनीकी कंपनियां इस भाषा को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही हैं। उन्होंने कहा कि गूगल के आंकड़ों के मुताबिक आज इंटरनेट पर सबसे ज्यादा मौलिक विषय वस्तु (कंटेंट) हिंदी भाषा में रचे जा रहे हैं। राजनाथ सिंह जब हिंदी के भविष्य पर बोल रहे थे तो वे यह तथ्य भूले हुए थे कि अपने भारत और हिंदी भाषी क्षेत्रों में ही विद्यार्थी हिंदी विषय की परीक्षा में बुरी तरह फेल हो रहे हैं और हिंदी के अध्यापक हिंदी में एक प्रार्थनापत्र लिखने तक में बगलें झाक रहे हैं।
राजनाथ सिंह ने उद्योग जगत से आग्रह किया कि वे अपने उत्पादों के नाम सहित अन्य विवरण हिंदी और क्षेत्रीय भाषाओं में लिखने के बारे में विचार करें। उन्होंने कहा कि बहुत सरल, सहज और सुगम भाषा होने के साथ हिंदी विश्व की संभवतः सबसे वैज्ञानिक भाषा है, जिसे इस देश के हर प्रांत के साथ दुनियाभर में भली प्रकार समझने, बोलने और चाहने वाले लोग बहुत बड़ी संख्या में मौजूद हैं। गृहमंत्री ने कहा कि विश्व हिंदी सम्मलेन के दौरान विभिन्न सत्रों में प्रशासन, विधि और न्याय, संचार व तकनीक, पत्रकारिता, बाल साहित्य सहित अन्य विषयों पर चर्चाओं के बाद प्रस्तुत की गईं अनुशंसाओं और अपेक्षाओं को पूरा करने के लिए सरकार गंभीरता से प्रयास करेगी। गृहमंत्री ने हिंदी से संबंधित कुछ पुस्तकों का विमोचन भी किया। हिंदी के टुकड़ों पर पलने वाले फिल्म अभिनेता अमिताभ बच्चन सम्मेलन में आने की बात कहकर भी नहीं आए और दांत की बीमारी का बहाना बना दिया। विदेश मंत्रालय के अधिकारियों की दिलचस्पी से दूर सम्मेलन को मध्य प्रदेश सरकार ने जरूर सफल बनाने में जीजान लगा दी।
विदेश राज्यमंत्री जनरल वीके सिंह ने कहा कि दसवें विश्व हिंदी सम्मेलन के दौरान हिंदी के विस्तार और संभावानाओं से जुड़े जिन 12 विषयों के बारे में अनुशंसाएं आई हैं, उन पर विचार करने के लिए विदेश मंत्रालय एक विशेष समीक्षा समिति गठित करेगा, जो विभिन्न मंत्रालयों से इसके कार्यांवयन के लिए समन्वय स्थापित करेगी। इसके साथ ही उन्होंने घोषणा की कि अगला विश्व हिंदी सम्मलेन वर्ष 2018 में मॉरिशस में आयोजित होगा। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने घोषणा की कि मध्य प्रदेश सरकार का हर काम-काज अब हिंदी भाषा में ही होगा और अटल बिहारी वाजपेयी हिंदी विश्वविद्यालय को अंतर्राष्ट्रीय स्वरूप देने के प्रयास किए जाएंगे। शिवराज सिंह चौहान के लिए यह सम्मेलन बड़ी प्रतिष्ठा का विषय था, क्योंकि इसमें देश-विदेश के हिंदी दिग्गजों की बढ़-चढ़कर भागीदारी इसकी सफलता का पैमाना तो थी ही उनका सम्मेलन प्रबंधन भी कसौटी पर था। सम्मेलन में हिंदी भाषा के विकास, सेवा और संरक्षण में सराहनीय योगदान देने वाले देश और विदेश के करीब 40 विद्वानों को विश्व हिंदी सम्मान से अलंकृत किया गया।
सम्मेलन में पश्चिम बंगाल के राज्यपाल केशरीनाथ त्रिपाठी, गोवा की राज्यपाल मृदुला सिन्हा, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री रमन सिंह, हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर, केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री हर्षवर्धन, मॉरिशस की शिक्षा एवं मानव संसाधन, क्षेत्रीयशिक्षा एवं वैज्ञानिक अनुसंधान मंत्री लीला देवी दूखन-लछुमन, कई देशों में हिंदी के प्रचार-प्रसार और सूरीनाम में बसे भारतवंशियों को हिंदी की किताबों के माध्यम से प्रतिष्ठा दिलाने में समर्पित नीदरलैंड में बसीं कानपुर की अप्रवासी भारतीय डॉ पुष्पिता अवस्थी, राज्यसभा सांसद तथा विश्व हिंदी सम्मेलन की आयोजन समिति के उपाध्यक्ष अनिल माधव दवे भी उपस्थित थे। विश्व हिंदी सम्मलेन के समापन पर हिंदी भाषा के विकास, सेवा और संरक्षण में सराहनीय योगदान देने वाले देश और विदेश के करीब 40 विद्वानों को विश्व हिंदी सम्मान से अलंकृत किया गया। कुल मिलाकर यह विश्व हिंदी सम्मेलन हिंदी पर लच्छेदार भाषणों, चोरी के हिंदी साहित्य की भरमार और पुरस्कारों के गुणगान और उनसे महिमामंडित होने पर ज्यादा केंद्रित रहा। हिंदी वहीं खड़ी अपनी नुमाईश देखती रही।