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घरेलू बाजार और जमाखोरी पर सख्ती

आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम में राज्यों को अधिकार

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Tuesday 22 September 2015 06:22:54 AM

pulses, edible oils and food transit

नई दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्‍यक्षता में हुई मंत्रिमंडल की बैठक में आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम 1955 के अंर्तगत लागू होने वाले नियंत्रण संबंधी दलहन, खाद्य तेल और खाद्य तिहलन के लिए सेंट्रल ऑर्डर नंबर एसओ 2559 (ई) तिथि 30.9.2014 की वैधानिकता को 30.9.2015 के बाद तक बढ़ाने को मंजूरी दी गई। यह अवधि 1 अक्‍टूबर 2015 से 30 सितंबर 2016 तक है। इस आदेश से राज्‍यों को सहायता होगी कि वे इन आवश्‍यक वस्‍तुओं के व्‍यापार को नियंत्रित कर सकें और आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम 1955 के तहत प्रभावशाली तरीके से कार्रवाई कर सकें।
आवश्‍यक वस्‍तु अधिनियम में राज्यों को अधिकार बढ़ाने के तहत राज्‍य जमाखोरी, अनैतिक कारोबार और फायदा कमाने जैसी गतिविधियों पर अंकुश लगाने के लिए भंडारण की सीमा, लाईसेंस आवश्‍यकताओं आदि को लागू कर सकते हैं। आदेश के विस्‍तार से राज्‍यों को यह मदद भी मिलेगी कि वे इन वस्‍तुओं की घरेलू बाजार में उचित उपलब्‍धता सुनिश्चित करने संबंधी समस्‍या से निपट सकें और कीमतों को नियंत्रित कर सकें। सरकार ने दालों और प्‍याज जैसी आवश्‍यक वस्‍तुओं की कीमतों में कमी लाने और उनकी उपलब्‍धता बढ़ाने के लिए अनेक नीतियां, पहलें और उपाय किए हैं।
ज्ञातव्य है कि उड़द और अरहर दालों में वायदा व्‍यापार को प्रतिबंधित किया जा चुका है। दालों के आयात पर पाबंदी लगा दी गई है तथा दालों के आयात पर शून्‍य-शुल्‍क लागू हो गया है। दालों को मूल्‍य स्थिरीकरण योजना में भी शामिल किया गया है। घरेलू बाजार में दालों की उपलब्‍धता बढ़ाने के लिए 5 हजार टन उड़द और 5 हजार टन अरहर का आयात करने के आदेश जारी किए हैं। यह आयात जल्‍द ही पहुंच जाएगा, जिससे कीमतें कम हो जाएंगी।

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