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Wednesday 30 September 2015 11:52:11 PM
मुंबई। रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने आईएनएस कोच्ची नौसेना को सौंपते हुए उसका जलावतरण किया और कहा है कि सरकार एक वास्तविक नीले जल की नौसेना विकसित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि नौसेना हिंद महासागर क्षेत्र में दबदबा बना सकती है, लेकिन पड़ोसी देशों को इसे मित्र सेना समझा जाना चाहिए। मनोहर पार्रिकर ने अपने कथन को और ज्यादा स्पष्ट करने के लिए दो उदाहरण दिए पहला-पिछले वर्ष मालदीव के जल शोधन संयंत्र के नष्ट होने पर भारतीय नौसेना ने पीने का पानी मालदीव भेजा और दूसरा नौसेना ने संघर्ष से जूझ रहे देश यमन से बीस से अधिक देशों के नागरिकों को बिना किसी नुकसान के बाहर निकालकर उनका बचाव किया है। आईएनएस कोच्ची स्वदेश में डिजाइन किया गया तथा परियोजना 15ए निर्देशित मिसाइल विध्वंसक परियोजना के तहत बनाया गया है। आईएनएस कोच्ची मझगांव डॉक लिमिटेड मुंबई ने बनाया है।
रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा सेनाओं के लिए प्लेटफार्म उत्पादन और प्रणाली विकास में रक्षा उत्पादन से जुड़े सार्वजनिक क्षेत्र के प्रतिष्ठान तथा निजी क्षेत्र दोनों में नया उत्साह आया है और सरकार स्वदेशीकरण तथा तेजी से समय पर डिलीवरी के लिए निरंतर प्रयास कर रही है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि चालू वित्त वर्ष के अंत तक इस श्रेणी का अगला विध्वंसक जहाज पानी में उतार दिया जाएगा। उन्होंने कहा कि हम प्रवाही युद्धक जहाजों के स्वदेशीकरण में काफी सफल हुए हैं, लेकिन उच्च क्षमता के लड़ाकू घटक के स्वदेशीकरण में पीछे हैं, इस कमी को पूरा करने के लिए सरकार एक ऐसी नीति लाने की प्रक्रिया में है, जो रक्षा उद्योग में आत्मनिर्भरता हासिल कर सके। उन्होंने कहा कि सरकार देश की रक्षा आवश्यकताओं तथा सशस्त्र सेनाओं के आवश्यक वित्तीय समर्थन को लेकर चिंतित है, इसमें नौसेना का आधुनिकीकरण तथा योजनाओं का विकास शामिल है। उन्होंने कहा कि भविष्य में नौसेना के विकास और विस्तार के लिए आवश्यक धन देने के लिए सरकार हमेशा प्रतिबद्ध रहेगी।
आईएनएस कोच्ची के जलावतरण समारोह में नौसेना अध्यक्ष एडमिरल आरके धवन, प्लैग ऑफिसर कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी नौसेना कमान, वाइस एडमिरल एसपीएस चीमा और मझगांव डॉक लिमिटेड के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक रियर एडमिरल आरके शरावत (सेवानिवृत्त) शामिल थे। नौसेना प्रमुख एडमिरल आरके धवन ने कहा कि आईएनएस कोच्ची को जल में उतारना नौसेना के आत्मनिर्भरता कार्यक्रम में मील का पत्थर है। उन्होंने कहा कि सार्वजनिक तथा निजी क्षेत्र के माध्यम से प्लेटफार्मों, हथियारों, सेंसरों तथा उपकरणों के स्वदेशीकरण पर भारतीय नौसेना का जोर बना रहेगा। उन्होंने कहा कि नौसेना के विस्तार और विकास का रोड मैप आत्मनिर्भरता तथा स्वदेशीकरण से जुड़ा है। उन्होंने कहा कि बहुपक्षीय लड़ाकू क्षमता के साथ आईएनएस कोच्ची का जलावतरण भारतीय नौसेना की राष्ट्रीय समुद्री हितों की रक्षा के कर्तव्य में एक नई शक्ति है। यह स्वदेशी जहाज निर्माण तथा ‘मेक इन इंडिया’ कार्यक्रम में हमारे विश्वास की पुष्टि करता है, प्रोजेक्ट 15ए विध्वंस 1990 के दशक में लाए गए परियोजना-15 दिल्ली वर्ग के विध्वंसकों के बाद के हैं।
भारतीय नौसेना के नौसेना डिजाइन निदेशालय के डिजाइन किए गए पी-15ए पोत का नाम कोलकाता, कोच्ची और चेन्नई जैसे प्रमुख बंदरगाहों के नाम पर रखे गए हैं। कोच्ची का पेंदा 25 अक्टूबर 2005 को रखा गया और इसे 18 सितंबर 2009 को लांच किया गया। कोच्ची कोलकाता वर्ग का दूसरा पोत है और भारत में बनाया गया क्षमतावान सतही युद्धक है, यह 164 मीटर लंबा और लगभग 17 मीटर चौड़ा है तथा इसकी भार क्षमता 7500 टन है। इस पोत में सामूहिक गैस तथा गैस (सीओजीएजी) प्रेरक प्रणाली है, जिसमें चार उच्च शक्ति के उलटने योग्य गैस टर्बाइन लगे हैं और यह तीस नॉट से अधिक की गति प्राप्त कर सकता है। पोत की विद्युत ऊर्जा चार गैस टर्बाइन जनरेटर और एक डीजल अल्टरनेटर से प्राप्त होती है, यह दोनों 4.5 मेगावाट बिजली पैदा करते हैं। इस युद्धपोत में 40 अधिकारी और 350 नौसैनिक रहेंगे। आईएनएस कोच्ची में राडार से बच निकलने के लिए नया डिजाइन है और इसमें स्वदेशी युद्ध क्षमता का बड़ा भाग है, इसमें अत्याधुनिक हथियार लगाए गए हैं। युद्ध पोत में लंबी दूरी के सतह से हवा में मिसाइल सीधे रूप में लांच करने वाला सेंसर और अनेक कार्य करने वाला राडार एमएफ-स्टार है, यह केवल कोलकाता वर्ग के युद्धक पोतों में ही लगा है, यह अग्रणी सुपर सोनिक तथा जमीन से जमीन तक मार करने वाला ब्रह्मोस मिसाइल भारत-रूस संयुक्त उद्यम का-से लैस है।
एमएमके 76 सुपर रैपिड गन माउंट (एसआरजीएम) तथा एके630 सीआईडब्ल्यूएस लगे हैं, जो हवा में और जमीन पर लक्ष्य साध सकते हैं, यह दोनों स्वदेश निर्मित हैं। संपूर्ण समुद्र रोधी हथियार और इसके ऊपर लगे सेंसर सूट में स्वदेशी रॉकेट लांचर, स्वदेशी टवीन ट्यूब टोरपेडो लांचर (आईटीटीएल) और कमान पर लगे नई पीढ़ी का हमसा सोनार भारतीय स्वदेशी प्रयास के बेहतरीन उदाहरण हैं। सेंसर सूट में अन्य अग्रणी जमीन से वायु निगरानी करने वाला राडार तथा इलेक्ट्रोनिक युद्धक प्रणाली लगी है। हथियारों और सेंसरों के साथ अत्याधुनिक युद्ध प्रबंधन प्रणाली (सीएसएम-15ए) को एकीकृत किया गया है, यह दो चेतक हैलिकोप्टरों के संचालन के लिए लैस है। इस युद्धपोत को नेटवर्क ऑफ नेटवर्क्स के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है, क्योंकि इसमें ऐसिंफक्रोनस ट्रांसफर मोड बेस्ड इंटिग्रेडिट विशेष डाटा नेटवर्क (एआईएसडीएन), युद्धक प्रबंधन प्रणाली (सीएमएस), स्वचालित विद्युत प्रबंधन प्रणाली (एपीएमएस) तथा ऑक्सिलियरी कंट्रोल सिस्टम (एसीएस) जैसे सूक्ष्म डिजिटल नेटवर्क हैं। एआईएसडीएम सूचना मार्ग है, जिस पर सभी सेंसर और हथियार संबंधी डाटा रहते हैं।
मेरीटाइम डामेन जानकारी देने के लिए सीएनएस का उपयोग स्वदेशी डाटा लिंक प्रणाली का इस्तेमाल करके अन्य प्लेटफार्मों से सूचना एकीकरण में किया जाता है। विद्युत आपूर्ति प्रबंधन एटीएमएस के इस्तेमाल से होता और एसीएस के जरिए रिमोट कंट्रोल और मशीन की निगरानी की जाती है। आईएनएस कोच्ची का नाम बंदरगाह शहर कोच्ची के नाम पर पड़ा है। यह शहर की समुद्री विशेषता के प्रति श्रद्धा व्यक्त करता है। युद्धपोत पर पहली बार राष्ट्रीय ध्वज और नौसेना का प्रतीक ध्वज फहराने के पहले कमांडिंग ऑफिसर कैप्टन गुरचरण सिंह ने कमिशनिंग वारंट पढ़ा। जलावतरण के बाद आईएनएस कोच्ची प्लैग ऑफिस कमांडिंग इन चीफ, पश्चिमी नौसेना के कमान संचालन और नियंत्रण के तहत मुंबई में रहेगा।