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Thursday 4 February 2016 03:37:14 AM
जयपुर। राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने जयपुर में आतंकवाद निरोधक सम्मेलन 2016 का उद्घाटन करते हुए कहा है कि निःसंदेह आतंकवाद एक गंभीर खतरा है, जिसका मानवता को गंभीर रूप से सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आतंकवाद एक वैश्विक खतरा है, जो सभी राष्ट्रों के लिए एक अभूतपूर्व चुनौती बन गया है और कोई भी कारण आतंकवादी कृत्यों के औचित्य को सही नहीं ठहरा सकता है। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया राजनीतिक कारणों को देखे बिना आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई करे, इसलिए यह संकल्प लेने की आवश्यकता है कि कारण या स्रोत चाहे जो कुछ भी हों, आतंकवाद के औचित्य को सही नहीं ठहराया जा सकता।
राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने की रणनीति का एक महत्वपूर्ण पहलू खुफिया सूचनाओं का संग्रह और मिलान, तकनीकी क्षमताओं का विकास, विशेष बलों की स्थापना और विशेष कानूनों के अधिनियमन के माध्यम से हमलों को रोकने की क्षमता का निर्माण करना है। उन्होंने कहा कि इस दिशा में हमने कुछ तंत्र विकसित किए हैं, हालांकि इन प्रयासों को और तेज़ करने की गुंजाइश है। राष्ट्रपति ने कहा कि आमतौर पर रणनीति, हथियार, ताकत के स्तर और खुफिया जानकारी जुटाने को आतंकवाद निरोधक उपाय माना जाता है, ये बातें महत्वपूर्ण हैं, लेकिन प्रमुखतः आतंकवाद के धन और राजनीतिक प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित करने की आवश्यकता है, इसमें विचारधारा से जुड़े मुद्दों को सुलझाना और उन देशों से निपटना शामिल है, जो आतंकवाद के प्रायोजक हैं या समर्थन करने वाले हैं। उन्होंने कहा कि यह जरूरी है कि दुनिया बिना किसी भेदभाव के आतंकवाद को उसके सभी रूपों में खारिज करे और उन देशों का बाहिष्कार करे, जो अपनी राष्ट्रीय नीति के हथियार के तौर पर आतंकवाद को प्रायोजित करते आ रहे हैं और उसे समर्थन देते हैं।
प्रणब मुखर्जी ने कहा कि हमें इस तथ्य को भी नहीं भूलना चाहिए कि नागरिक समाज ही आज की लड़ाई का मोर्चा भी है और सीमा भी, जिसे बचाया जाना चाहिए, इसकी रक्षा की जानी चाहिए। उन्होंने कहा कि नागरिक समाज के एकीकरण की तुलना में उसका विखंडन, एक सही रणनीति नहीं है, पुराना ढर्रा कट्टरपन की ओर ले जाता है, जिससे आगे चलकर प्रतिस्पर्धी हिंसा होती है। उन्होंने कहा कि सामाजिक एकीकरण की प्रक्रिया में विचार समूहों और नागरिक समाज के संगठनों की एक बड़ी भूमिका है। राष्ट्रपति ने कहा कि आतंकवाद से निपटने के लिए हमारे प्रयास ज्यादा केंद्रित, परिणामदायक और पेशेवर होने चाहिएं। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि इससे हम किसी की निजता और स्वतंत्रता या मानवाधिकारों का उलंघ्घन करें, इसलिए हमें लोगों की स्वतंत्रता और प्रजातांत्रिक अधिकारों की रक्षा के लिए सोच-समझकर काम करना होगा, इसके लिए जनता की राय को आकार देना होगा, समाज की एकता और अखंडता को बनाए रखना होगा और खुफिया आदान-प्रदान पर आधारित ठोस आतंकवाद निरोधी नीति बनानी होगी। आतंकवाद निरोधक सम्मेलन में अफगानिस्तान सरकार के मुख्य कार्यकारी डॉ अब्दुल्ला अब्दुल्ला, राजस्थान के राज्यपाल कल्याण सिंह, राजस्थान की मुख्यमंत्री वसुंधराराजे सिंधिया, केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु और गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।