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Tuesday 05 February 2013 07:45:58 AM
ठाणे। केंद्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्रालय का राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, सभी बच्चों को विस्तृत स्वास्थ्य देखभाल मुहैया कराने के लिए बाल स्वास्थ्य जांच और जल्द हस्तक्षेप सेवाओं की नई पहल की शुरुआत महाराष्ट्र के ठाणे जिले में आदिवासी बहुलता वाले खंड पालघर से करेगा। इन सेवाओं का उद्देश्य जन्म दोषों, बीमारियों, कमियों और विकलांगता सहित बच्चों के विकास में देरी का जल्दी पता लगाकर बच्चों के जीवन की गुणवत्ता में पूर्ण सुधार लाना है। यूपीए की अध्यक्षा सोनिया गांधी बुधवार को इस कार्यक्रम की शुरुआत करेंगी। इस अवसर पर केंद्र स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण मंत्री गुलाम नबी आजाद और महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री पृथ्वीराज चव्हाण भी उपस्थित रहेंगे।
उल्लेखनीय है कि बच्चों में विभिन्न कमियों और बीमारियों के कारण जन्म दोष और उनके विकास में देरी होती है। बाल मृत्यु-दर और गरीब परिवारों पर खर्च का भार डालने वाला भी यह एक महत्वपूर्ण कारण है। नवजात शिशुओं की मृत्यु में जन्म दोषों का 9.6 प्रतिशत और पांच वर्ष से कम आयु के बच्चों की मृत्यु-दर में 4 प्रतिशत योगदान है। मार्च और डाइम्स, 2006 के अनुसार, इस देश में पैदा होने वाले हर सौ बच्चों में से छह-सात बच्चों में जन्म-दोष होते हैं। भारतीय संदर्भ में यह संख्या प्रतिवर्ष लगभग 17 लाख बैठती है। विकास में देरी से 10 प्रतिशत बच्चे प्रभावित होते हैं, अगर इस पर समय रहते कार्रवाई न की जाए तो स्थायी विकलांगता हो सकती है।
जांच और इसके आगे प्रबंधन के लिए 30 सामान्य स्थितियों की पहचान की गई है, जो प्रत्येक खंड स्थित चल स्वास्थ्य दलों के माध्यम से उपलब्ध कराई जाएंगी। खंड स्तर के चल स्वास्थ्य दल में आयुष के डाक्टर (एक पुरुष एक महिला), एएनएम, एसएन तथा एक फार्मेसिस्ट शामिल होंगे। नवजात शिशुओं की स्वास्थ्य सेवाओं में जन्म-दोषों के लिए जांच की जाएगी। नवजात शिशुओं से लेकर 18 वर्ष तक की आयु के लगभग 27 करोड़ बच्चों की चरणबद्ध रूप में जांच की जाएगी।
विकास खंडों से भेजे गए मामलों में प्रबंधन उपलब्ध कराने के लिए जिला शीघ्र हस्तक्षेप केंद्र को देश के सभी जिलों में परिचालित किया जाएगा, जो शल्य प्रबंधन के मामलों को तीसरे स्तर की स्वास्थ्य सेवाओं से जोड़ेगा। ऐसे मामलों में आवश्यक इलाज का खर्च, चाहे वह सरकार का हो या निजी क्षेत्र का, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन द्वारा उपलब्ध कराया जाएगा। इस कार्यक्रम से गरीब और सीमांत लोग लाभान्वित होंगे तथा सार्वभौम महत्व रखने वाले बच्चों की स्वास्थ्य रक्षा में इससे मदद मिलेगी।