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जेएनयू में देश के खिलाफ साजिश-स्वामी

'जेएनयू का नाम सुभाष चंद्र बोस यूनिवर्सिटी रखा जाए'

'कश्मीर में सबसे पहले ‌हथियारबंद पूर्व सैनिक बसाएं'

स्वतंत्र आवाज़ डॉट कॉम

Sunday 28 February 2016 07:36:14 PM

subrhmnym swamy

कानपुर। भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता डॉ सुब्रह्मणयम स्वामी ने शनिवार को कानपुर में कहा है कि जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय दिल्ली (जेएनयू) ऐसे लोगों का अड्डा बनता जा रहा है, जो देश के खिलाफ साजिश में शामिल हैं। उन्होंने कहा कि जेएनयू को चार माह के लिए बंद कर वहां तलाशी अभियान चलाना चाहिए। उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश समेत देश के अलग अलग हिस्सों में करीब पांच प्रतिशत लोग देशद्रोही हैं, जिनमें सबसे ज्यादा जेएनयू में हैं। उन्होंने दावा किया कि राम मंदिर का फैसला एक दो महीने में आ जाएगा।
भाजपा नेता डॉ सुब्रह्मणयम स्वामी वीएसएसडी कालेज कानपुर में ‘वैश्विक आतंकवाद: कश्मीर समस्या के संदर्भ में विषय पर एक सेमिनार को संबोधित करने कानपुर आये थे। उन्होंने कश्मीर, जेएनयू और देश की आंतरिक समस्याओं पर बेबाकी से अपनी राय रखी और कहा कि जेएनयू का तो नाम बदलकर सुभाष चंद्र बोस यूनिवर्सिटी कर देना चाहिए, क्योंकि जवाहरलाल नेहरू इतने पढ़े लिखे नही थे कि उनके नाम से किसी विश्वविद्यालय का नाम रखा जाए। सुब्रह्मणयम स्वामी ने कहा कि कश्मीर में धारा 370 जवाहरलाल नेहरू के चलते ही लगी, जबकि डॉ बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर ने इसका विरोध किया था। कश्मीर मुददे पर उन्होंने कहा कि यह भारत का अभिन्न अंग है और कश्मीर का जो हिस्सा पाकिस्तान के कब्जे में उसे वापस लेने की कोशिश होनी चाहिए और साथ ही कश्मीरी पंडितों की घर वापसी भी होनी चाहिए।
डॉ सुब्रह्मणयम स्वामी कश्मीरी पंडितों की घर वापसी के लिए एक फार्मूला भी दिया कि कश्मीरी पंडितों के घरों में हथियारबंद पूर्व सैनिकों को कुछ समय के लिए रखा जाए, तब वहां कश्मीरी पंडितों को बसा देना चाहिए। उन्होंने अयोध्या में राम मंदिर मुद्दे का ज़िक्र किया और कहा कि हमारा एजेंडा साफ है, पहले राम मंदिर का निर्माण करेंगे और बाद में धारा 370 का खात्मा। उन्होंने कहा कि राम मंदिर मुद्दे का हल निकाला जा सकता है, सुप्रीम कोर्ट में हमने प्रार्थना की है कि दिन प्रतिदिन इस मामले की सुनवाई हो और हमें उम्मीद है कि अदालत से एक दो माह में इसपर फैसला भी आ जाएगा। कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी पर कड़ा प्रहार करते हुए उन्होंने कहा कि राहुल गांधी का जेएनयू जाने का कोई औचित्य नहीं था। उन्होंने कहा कि जेएनयू के पांच प्रतिशत छात्रों को छोड़कर बाकी सब पढ़ना चाहते हैं, केवल पांच फीसदी छात्र जो कम्युनिस्ट और कांग्रेस विचारधारा के हैं वही सब बवाल करते हैं।

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