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Tuesday 29 March 2016 07:41:51 AM
पणजी। दक्षिणी गोवा में क्यूपेम तालुका के नाक्वेरी क्विटोल में थलसेना, नौसेना एवं आंतरिक गृहभूमि सुरक्षा प्रणाली पर द्विवार्षिक रक्षा प्रदर्शनी डेफेक्सपो इंडिया के 9वें संस्करण का रक्षा मंत्रालय के रक्षा उत्पादन विभाग के रक्षा प्रदर्शनी संगठन ने आयोजन किया। इसका उद्घाटन रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने किया। इस मौके पर रक्षामंत्री ने कहा कि भारत विश्व के उन चंद देशों में से है, जिसके पास रक्षा के क्षेत्र में बहुस्तरीय सामरिक अवरोधक, बैलिस्टिक मिसाइल रक्षा, परमाणु संचालित पनडुब्बियां, मुख्य युद्धक टैंक, गुप्त विध्वंसक, विमान वाहक एवं चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमान जैसी स्वदेशी क्षमताएं हैं। उन्होंने कहा कि रक्षा खरीद को लेकर सरकार की नीतियों में बदलाव एवं मेक इन इंडिया अभियान के साथ रक्षा क्षेत्र में स्वदेशीकरण को उल्लेखनीय प्रोत्साहन दिया जा रहा है।
प्रदर्शनी में भारत की भूमि, नौसेना एवं सुरक्षा प्रणालियों तथा रक्षा क्षेत्र में निवेश उभरने की क्षमताओं को एक आकर्षक गंतव्य के रूप में प्रदर्शित किया गया। यह समारोह रक्षा उद्योग में गठबंधनों एवं संयुक्त उद्यमों का एक मंच भी मुहैया कराता है। यह समारोह भारतीय रक्षा सार्वजनिक क्षेत्र उपक्रम (डीपीएसयू), निजी क्षेत्र एवं अन्य रक्षा संबंधित उद्योगों को एक व्यापक श्रृंखला के सैन्य एवं नागरिक उत्पादों, सेवाओं की डिजायन तैयार करने, उन्हें विकसित करने एवं उनकी आपूर्ति करने की क्षमता को प्रदर्शित करने का एक बेहतरीन अवसर भी प्रदान करता है। भारत के बढ़ते प्रभुत्व एवं कद के एक स्पष्ट संकेतक के रूप में इस वर्ष की प्रदर्शनी अब तक की भारत की सबसे बड़ी रक्षा प्रदर्शनी है। प्रदर्शनी में विदेशी एवं भारतीय दोनों को मिलाकर 1,000 से अधिक कंपनियां भाग ले रही हैं, जो 2014 की रक्षा प्रदर्शनी के भागीदारों की तुलना में डेढ़गुने से भी अधिक है।
रक्षामंत्री ने कहा कि रक्षा प्रबंधन प्रक्रिया-2016 को रक्षा मंत्रालय की वेबसाइट पर डाल दिया गया है और इससे ‘मेक इन इंडिया’ अभियान को तेजी मिलेगी। उन्होंने कहा कि सरकार ‘मेक इन इंडिया’ पहल को लेकर काफी सक्रिय है, सरकार ने रक्षा क्षेत्र में निर्माण व आपूर्ति के मामले में पारदर्शिता लाने के लिए नीतियों में बदलाव किया है। उन्होंने कहा कि डीपीपी-2016 से नई खरीद नीति में शामिल नवीनतम श्रेणी स्वदेशी परिकल्पना, विकास व निर्माण (आईडीडीएम) के प्रावधानों से खरीद के क्षेत्र तेजी आएगी, इस तरह के प्रावधानों ने भारतीय रक्षा निर्माण क्षेत्र को बढ़ावा मिलेगा। उन्होंने रक्षा क्षेत्र में लघु व मध्यम श्रेणी के उद्योगों के योगदान को सराहा और कहा कि कई नवीन विचार इस क्षेत्र से मिले। उन्होंने कहा कि रक्षा क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की सीमा को 49 प्रतिशत तक रखा गया है, इससे अधिक विदेशी निवेश के लिए मामला दर मामला के आधार पर विचार किया जाएगा।
रक्षामंत्री मनोहर पार्रिकर ने कहा कि पहली बार दिल्ली से बाहर क्वीटोल गोवा में आयोजित होने वाली प्रतिष्ठित रक्षा प्रदर्शनी गोवा के लिए गौरव का अवसर है। उन्होंने पुणे के डीआरडीओ-अनुसंधान और विकास प्रतिष्ठान (इंजीनियर) के विकसित और डिजाइन किए गए सोनार डोम को हरी झंडी दिखाई। इस अवसर पर रक्षा विभाग और डीआरडीओ के महानिदेशक डॉ एस क्रिस्टोफर भी उपस्थित थे। सोनार डोम मुंबई के मझगांव गोदी में रखा जाएगा। गोवा के मुख्यमंत्री लक्ष्मी पारेस्कर ने दुनियाभर से आए प्रतिभागियों का स्वागत किया और कहा कि गोवा देश में औद्योगिक रूप से विकसित राज्य है। उन्होंने कहा कि सरकार ने राज्य के भीरत व्यापार को बढ़ावा देने के लिए कई सारे कदम उठाए गए हैं, निवेश प्रोत्साहन बोर्ड, जिसमें नए उद्योग स्थापित करने के लिए हर तरह के चालान के लिए एकल खिड़की का प्रावधान किया गया है। उन्होंने आशा व्यक्त की कि प्रदर्शनी से राज्य की अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहन मिलेगा।
रक्षा राज्यमंत्री राव इंद्रजीत सिंह ने कहा कि पिछले 70 साल में भारत ने सुदृढ़ औद्योगिक आधार तैयार किया है और ‘मेक इन इंडिया’ अभियान के जरिए सरकार का लक्ष्य रक्षा उपकरणों के क्षेत्र में कुल आयातक से कुल निर्यातक बनने की है। उद्घाटन सत्र में मुख्य युद्धटैंक अर्जुन एमके I व II, विभिन्न तरह के भारी सेतु उपकरण, व्हील्ड आर्म्ड व्हीकल, सारंग एयरोबोटिक टीम व नेवल एलसीए ने सैन्य उपकरणों का जीवंत प्रदर्शन किया। समारोह में केंद्रीय रेलमंत्री सुरेश प्रभु, केंद्रीय राज्यमंत्री आयुष श्रीपद येस्सो नाईक, दक्षिणी गोवा के सांसद नरेंद्र केशव सावइकर, रक्षा स्टाफ के प्रमुख जनरल दलबीर सिंह, नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आरके धवन, रक्षा सचिव जी मोहन कुमार, सचिव रक्षा उत्पादन एके गुप्ता, तीनों सेनाओं, रक्षा मंत्रालय और गोवा सरकार के वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।
इस वर्ष विभिन्न महाद्वीपों के 47 देश प्रदर्शनी में भाग ले रहे हैं, जबकि पिछली बार डेफएक्सपो 2014 में 30 देशों ने हिस्सा लिया था। डेफएक्सपो 2014 में 624 कंपनियों के मुकाबले इस बार देशी व विदेशी दोनों तरह की 1000 कंपनियां भाग ले रही हैं। प्रदर्शनी के साथ ही आयोजित हो रहे सेमिनारों में रक्षा क्षेत्र में विकास व अवसरों को प्रदर्शित करने का मौका मिलेगा। सेमिनारों का विषय है-वैश्विक रक्षा आपूर्ति श्रृंखला, नौपोत निर्माण तकनीक में विकास, रक्षा क्षेत्र के लिए मेक इन इंडिया, भारत-कोरिया रक्षा सहयोग, भारतीय सेना का आधुनिकीकरण कार्यक्रम है। प्रदर्शनी को 31 मार्च से आम जनता के लिए खोल दी जाएगी, जिसमें बाकी दिनों में पंजीकरण के बाद लोग भ्रमण कर सकते हैं, इच्छुक लोग भ्रमण करने के लिए इसकी वेबसाइट www.defexpoindia.in पर पंजीकरण करा सकते हैं।
गोवा में 31 मार्च तक होने वाले इस रक्षा एक्सपो 2016 में डीआरडीओ मंडप का डिजाइन विषय 'भविष्यवाद का उदय' है। डीआरडीओ का भविष्यवाद भारत को विश्व स्तर के विज्ञान और प्रौद्योगिकी के आधार के तौर पर स्थापित करके समृद्ध बनाने और उन्हें अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिस्पर्धी प्रणालियों और समाधान के साथ लैस करके अपनी रक्षा सेवाओं में निर्णायक बढ़त प्रदान करने के लिए अपनी दृष्टि पर जोर देता है। इस बार डीआरडीओ की भागीदारी की खास बात डिफेंस एक्सपो में उसके बेहतरीन उत्पादों का सजीव प्रदर्शन है, इनमें एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम, हल्का लड़ाकू विमान तेजस शामिल है और साथ ही अर्जुन एमबीटी एमके द्वितीय और प्रथम, पहियेदार बख्तरबंद प्लेटफार्म, आकाश वायु रक्षा प्रणाली पिनाका मल्टी बैरल रॉकेट लांचर प्रणाली, रडार बीएलटी टी-72 ब्रिजिंग प्रणाली, सर्वत्र मॉड्यूलर ब्रिज और माउंटेन पैदल पुल आदि शामिल हैं।
रक्षा एक्सपो में त्वरित प्रयोग में लाए जाने योग्य अन्य आकर्षक तकनीकें भी हैं, जिनमें मोबाइल संचार टर्मिनल अश्लेषा, भरणी और तटीय निगरानी रडार, एमआरएसएम और निर्भय लांचर, पिनाका लांचर और एमके प्रथम और एमके द्वितीय राकेट, उन्नत टारपीडो रक्षा प्रणाली दूर संचालित वाहन दक्ष इत्यादि शामिल हैं। इनडोर मॉडल और प्रदर्शन में वैमानिकी हथियारों और लड़ाकू इंजीनियरिंग मिसाइल, इलेक्ट्रॉनिक्स और संचार प्रणाली सामग्री, नौसेना प्रणालियों, जीवन विज्ञान, सूक्ष्म इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों और कम्प्यूटेशनल प्रणालियों सहित अनुसंधान एवं विकास के लगभग सभी पहलुओं को शामिल किया गया है। कुछ इनडोर प्रदर्शनों में आकाश और ब्रह्मोस मिसाइल का मॉडल अश्लेषा, भरणी और स्वाति, हथियारों का पता लगाने वाला रडार, आईआर गाइडेड मिसाइल परीक्षक, लेजर गाइडेड बम किट परीक्षक, हाथ से किए जाने वाले विस्फोटक डिटेक्टर, शॉर्ट रेंज लेजर डेजलर उन्नत आर्टिलरी गन प्रणाली, नक्षत्र एअरोस्टेट प्रणाली, लड़ाकू फ्री फॉल प्रणाली, जैव शौचालय मॉडल, कम्प्यूटरीकृत पायलट चयन प्रणाली (सीपीएसएस) मॉडल, बहुपद्धति हथगोला, छोटे हथियारों का परिवार, सोनार और टारपीडो, नाइट विजन और माइक्रोवेव उपकरण, बुलेट प्रूफ जैकेट, रोबोटिक्स और मानवरहित सिस्टम, टेलीमेडिसिन, तैयार खाद्य टेक्नोलॉजीज आदि शामिल हैं।
रक्षा अनुसंधान एवं विकास विभाग के सचिव डॉ एस क्रिस्टोफर और महानिदेशक डीआरडीओ मानव संसाधन ने डिफेंस एक्सपो गोवा में डीआरडीओ ने बताया कि मेक इन इंडिया और आत्मनिर्भरता पर ध्यान केंद्रित करते हुए डीआरडीओ भागीदारी के लिए उद्योग और शिक्षा के साथ सहयोग के लिए एक मंच प्रदान करेगा। डीआरडीओ ने प्रमुखता से सेना, नौसेना और वायुसेना के लिए अत्यधिक जटिल बहु-विषयक हथियार प्लेटफार्मों के निर्माण की क्षमता का प्रदर्शन किया है। इन प्रणालियों को हमारी सेवाओं के कड़े गुणवत्ता की आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए कठोर पर्यावरण की स्थिति में बड़े पैमाने पर मूल्यांकन किया गया है। मेक इन इंडिया के उद्देश्य के साथ डीआऱडीओ इस प्रदर्शनी में शामिल हुआ है, ताकि विभिन्न शोध संस्थानों तथा उद्योगों के बीच संबंध बन सके, जिससे कि रक्षा क्षेत्र में स्वदेशी विकास की दिशा में आगे बढ़ सकें।