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Wednesday 06 February 2013 06:59:21 AM
काठमांडु। नेपाल में माओवादियों के दीर्घकालीन जनयुद्ध त्याग करने की अपनाने से माओवादी नेता और नेपाल के प्रधानमंत्री रहे पुष्पकमल दाहाल प्रचंड की स्वीकार्यता वहां के सर्व समाज में बढ़ रही है। माओवादी नेता ने नेपाल में सत्ता में बने रहने के लिए जनयुद्ध की नीति पर चलकर राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में काफी नुकसान उठाया है। प्रचंड ने स्वीकार किया है कि पुरानी नीति की अब कोई प्रासंगिकता नहीं है और से राष्ट्र के विकास की मुख्यधारा में रहकर ही राजनैतिक स्वीकार्यता हो सकती है।
एकीकृत माओवादी पार्टी के अध्यक्ष पुष्पकमल दाहाल ने कहा है कि एकता के लिए सातवें महाधिवेशन मे दीर्घकालीन जनयुद्ध त्याग करने की घोषणा से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय में विश्वास बढ़ गया है। इतवार की सवेरे हेटौंडा औद्योगिक क्षेत्र में अपने निवास पर कुछ पत्रकारों से बातचीत करते हुए दाहाल ने कहा कि दीर्घकालीन जनयुद्ध त्याग के संदेश से राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय को विश्वास दिलाने का काम किया गया है।
इससे पहले शनिवार को महाधिवेशन उद्घाटन करते हुए उन्होंने कहा था कि दीर्घकालीन जनयुद्ध और छापामार युद्ध परित्याग करके उत्पादन से ही राष्ट्र को समृद्ध बनाना होगा। ‘माओवादी फिर युद्ध में वापस जा सकता है की लोगों को आशंका थी। महाधिवेशन में दीर्घकालीन जनयुद्ध, छापामार युद्ध में जाना स्वतंत्रता के शहीदों और जनता का अपमान होने का संदेश प्रसारित होने से राष्ट्रीय, अंतर्राष्ट्रीय समुदाय ने विश्वास किया है-दाहाल ने कहा। उन्होंने कहा कि माओ में भी कुछ कमजोरी थी, उन्हें दूर करने लिए अध्ययन कर रहा हूं।