Saturday 9 April 2016 04:40:34 AM
दिनेश शर्मा
लखनऊ। भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के नए अध्यक्ष बनाए गए हैं हिंदूवादी नेता और फूलपुर के सांसद केशव प्रसाद मौर्य। संघ और विश्व हिंदू परिषद के लिए प्रारंभिक जीवनकाल से ही समर्पित केशव प्रसाद मौर्य एक साधारण और किसान परिवार से हैं। जहां तक उनकी सामाजिक और राजनीतिक जीवनशैली का प्रश्न है तो वे सर्वसमाज के परिवेश में पले बढे़ और शिक्षित हुए हैं। जातिगत समीकरणों में वह पिछड़ों से लेकर अत्यंत पिछड़ी जातियों तक का प्रतिनिधित्व करते हैं। उत्तर प्रदेश में आसन्न विधानसभा चुनाव में सपा-बसपा और कांग्रेस से पिछड़े वर्ग के सारे मुद्दे छीनते हुए भारतीय जनता पार्टी हाईकमान ने यह राजनीतिक कार्ड खेला है। केशव प्रसाद मौर्य न केवल पिछड़े अपितु हिंदुत्व से सराबोर हैं, राज्य के राजनीतिक दलों में केशव प्रसाद मौर्य न केवल पिछड़ों के नए अवतार बन गए हैं, अपितु भारतीय जनता पार्टी ने उत्तर प्रदेश में संगठनात्मक गुटबाज़ी को तगड़ा झटका देते हुए एक बड़े सरदर्द से मुक्ति पाई है।
भाजपा मुख्यालय उत्तर प्रदेश पर कल जिस वक्त केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा अध्यक्ष बनाए जाने की ख़बर पहुंची तो वहां भाजपा कार्यकर्ताओं में नई पदस्थापना की खुशी के साथ यह भी जश्न शुरू हो गया कि उत्तर प्रदेश के बाकी राजनीतिक दलों के 'पिछड़ों के चौधरियों' को कड़ा जवाब मिल गया है। सपा और बसपा जिस वोट पर उछलती है और जो वोट उत्तर प्रदेश की सत्ता का कारक माना जाता है, वह केशव प्रसाद मौर्य की भी मुट्ठी में होगा, बल्कि यह कहिए कि इन दलों के पिछड़े वोटों में एक बड़ी उम्मीद जग गई है और उत्तर प्रदेश के बदले हुए राजनीतिक वातावरण में उनके लिए भाजपा पहले विकल्प के रूप में सामने आ गई है। कोई माने या न माने किंतु भाजपा के इस दांव ने राज्य के बाकी दलों में खलबली मचा दी है, सबके तयशुदा टिकट इधर-उधर हो गए हैं, जिसके परिणाम जहां तहां भगदड़ के रूप में देखने को मिलेंगे। यह इसलिए कि राज्य का पिछड़ा और अति पिछड़ा वर्ग किसी भी राजनीतिक समीकरण को उलट-पलट कर देने की क्षमता रखता है और उसने लोकसभा चुनाव में अपनी ताकत दिखा दी है, जिसकी बदौलत भाजपा ने उत्तर प्रदेश में प्रचंड विजय हांसिल की। भाजपा हाईकमान के इस फैसले को बड़ी सफलता की उम्मीद से देखा जा रहा है।
भारतीय जनता पार्टी उत्तर प्रदेश के कल तक अध्यक्ष रहे डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी के कार्यकाल की भाजपा ने सराहना की है। उन्होंने उत्तर प्रदेश भाजपा के संकट के दौर में संगठनात्मक रूप से कड़ी मेहनत की है, लेकिन यूपी में बाकी दलों की पिछड़े वोटों को लेकर चुनावी रणनीतियों को पिछड़े कार्ड से ही तोड़ा जा सकता था, वही हुआ, भाजपा ने कल केशव प्रसाद मौर्य के फैसले से एक झटके में सपा-बसपा की हवा निकाल दी। भाजपा के जानकार कहते हैं कि डॉ लक्ष्मीकांत वाजपेयी को हटाने के पीछे केवल चुनावी रणनीति है और जहां तक उत्तर प्रदेश में ब्राह्मण राजनीति का प्रश्न है तो भाजपा आज भी ब्राह्मणों की पहली पसंद है, यह अलग बात है कि कुछ ब्राह्मण राजनीतिक समीकरणों और स्थितियों के कारण दूसरे दलों में भी हैं। डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी के चेहरे पर भी कोई शिकन नहीं है, इस बदलाव के बाद भी वे बहुत खुश दिखे, बल्कि उन्होंने नवनियुक्त प्रदेश अध्यक्ष केशव प्रसाद मौर्य को बधाई देते हुए कहा कि उनके नेतृत्व में उत्तर प्रदेश विधानसभा के चुनाव में भाजपा प्रदेश में सरकार बनाएगी। डॉ लक्ष्मीकांत बाजपेयी ने भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह को भी बधाई देते हुए कहा है कि केशव प्रसाद मौर्य के रूप में उन्होंने उत्तर प्रदेश के भाजपा कार्यकर्ताओं को एक जुझारू और संघर्षशील अध्यक्ष दिया है। इसीलिए कहा जा रहा है कि यह भाजपा का एक बड़ा फैसला है, जिसमें उत्तर प्रदेश के परिप्रेक्ष्य में पिछड़ों के बीच और ज्यादा ताकत से आ खड़ी हुई है।
केशव प्रसाद मौर्य कौशाम्बी जिले में सिराथू विधानसभा क्षेत्र से भाजपा के विधायक भी रह चुके हैं और इस समय फूलपुर लोकसभा क्षेत्र से भाजपा के सांसद हैं। केशव प्रसाद मौर्य एक संघर्षशील और जुझारू नेता माने जाते हैं। भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष नियुक्त होने के बाद पूरे प्रदेश को यह भी जानकारी हो गई है कि वे राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल, रामजन्मभूमि आंदोलन, गौ रक्षा आंदोलन और भाजपा के अनेक दायित्वों से जुड़े रहे हैं। वे फूलपुर से भाजपा के पहले सांसद हैं। आजादी से लेकर अबतक इस बार पहली बार यहां से भाजपा ने रेकार्ड वोटों से विजय हांसिल की। यह पूरा क्षेत्र पिछड़ा वर्ग बाहुल्य माना जाता है। केशव प्रसाद मौर्य भाजपा की राष्ट्रीय कार्यसमिति के भी सदस्य हैं और कई संसदीय समितियों में हैं। विहिप और हिंदूवादी संगठनों में उन्होंने काशी क्षेत्र में बड़ी जिम्मेदारियां निभाई हैं। भाजपा को प्रदेश अध्यक्ष के लिए ऐसे ही चेहरे की तलाश थी, जिसका जातीय समीकरण भी शक्तिशाली हो। भाजपा के पास उत्तर प्रदेश में और भी कई बड़े कद्दावर पिछड़े नेता हैं, लेकिन कोई केवल कुर्मी नेता है तो कोई केवल लोध नेता है। केशव प्रसाद मौर्य पिछड़ों की कई सहायक और उपजातियों मौर्य, कुशवाहा, सैनी, नाई, कश्यप और ऐसी ही और भी कई जातियों का यह शक्तिशाली समूह है। भाजपा के कुर्मी और लोध जैसे पिछड़े वर्ग के बड़े नेताओं ने भी इस समीकरण को महत्वपूर्ण एवं सटीक माना है।
भाजपा कार्यकर्ताओं में खुशी है। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह के यहां से फूलपुर के सांसद केशव प्रसाद मौर्य को उत्तर प्रदेश भाजपा का प्रदेश अध्यक्ष घोषित होने की सूचना जैसे ही भाजपा प्रदेश मुख्यालय पहुंची, सैकड़ों कार्यकर्ता गाजे-बाजे, ढोल-नगाड़े के साथ मुख्यालय पर आ गए। मुख्यालय पर यही चर्चा रही कि केशव प्रसाद मौर्या जमीनी नेता हैं, जिन्होंने बचपन से ही संघर्षों में जीवन जिया है, उन्होंने भी चाय और अखबार बेचकर अपना जीवन चलाया है, राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की प्ररेणा से विश्व हिंदू परिषद, बजरंग दल में एक दशक तक पूर्णकालिक जीवन व्यतीत किया। अपने स्वाभिमानी तेवरों के लिए खासे लोकप्रिय हैं। भाजपा मुख्यालय पर इस समय काफी आवाजाही है और यहां आज कुछ दूसरे दलों के पिछड़े वर्ग के चेहरे भी दिखाई दिए। कार्यकर्ताओं में उमंग और उत्साह है।