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Monday 11 April 2016 07:15:31 AM
नई दिल्ली। एशिया में टाइगर रेंज के कुछ देशों जैसे भारत, नेपाल, रूस और भूटान में बाघों की संख्या में बढ़ोतरी तो हुई है, लेकिन यहां अभी भी इसकी प्रजातियां खतरे में हैं। टाइगर रेंज के कुछ देशों में बाघों की तादाद बेहद कम हो गई है और ये लुप्त होने के कगार पर पहुंच गए हैं। बाघ संरक्षण के लिहाज से यह सभी देशों के लिए बेहद चिंता का विषय है। केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय के स्वतंत्र प्रभार राज्यमंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने जानकारी दी है कि इस वर्ष के दौरान देश में प्रोजेक्ट टाइगर के लिए 380 करोड़ रुपए आवंटित किए गए हैं, जो अब तक की सबसे ज्यादा धनराशि है, जिससे पता चलता है कि सरकार देश के राष्ट्रीय पशु बाघ के संरक्षण के लिए किस हद तक प्रतिबद्ध है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी कल नई दिल्ली में बाघों के संरक्षण पर मंत्रियों के तीन दिवसीय तीसरे एशियाई सम्मेलन का उद्घाटन करेंगे। इस सम्मेलन में बाघों के संरक्षण से जुड़े मुद्दों पर विचार-विमर्श के लिए 700 विशेषज्ञ, वैज्ञानिक, प्रबंधक, दानदाता और अन्य संबंधित पक्ष हिस्सा लेंगे। सम्मेलन में टाइगर रेंज के सभी देशों के मंत्री और अधिकारी हिस्सा लेंगे। जिन देशों के मंत्री और अधिकारी इसमें हिस्सा लेंगे, उनमें बांग्लादेश, भूटान, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, लाओ पीडीआर, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, रूसी संघ, थाईलैंड, वियतनाम शामिल हैं। इसके अलावा किर्गिज गणराज्य, कजाकस्तान भी सम्मेलन में हिस्सा लेंगे, जहां हिम तेंदुए पाए जाते हैं।
प्रकाश जावड़ेकर ने कहा कि यह सरकार और बाघ संरक्षण से जुड़े अन्य पक्षों के लगातार प्रयास का ही नतीजा है कि दुनियाभर के जंगली बाघों में 70 फीसदी से अधिक बाघ भारत में हैं। उन्होंने कहा कि बाघों को बचाने के मतलब पारिस्थितिकी संतुलन बरकरार रखने से कुछ ज्यादा है, यह जलवायु परिवर्तन के नुकसान से बचाने में मददगार हैं। प्रोजेक्ट टाइगर के अतिरिक्त महानिदेशक और राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण के सदस्य सचिव बीएस बोनाल ने बताया कि सम्मेलन में बाघों की आबादी वाले भू-भाग संरक्षण, पर्यावास प्रबंधन, बाघ पुर्नपरिचय, निगरानी व्यवस्था, शिकार रोधी रणनीति, निगरानी के लिए औजार और तकनीक जैसे, एमईई, सीए/टीएस, संसाधन जुटाने और नेटवर्किंग पर चर्चा करेंगे।
प्रोजेक्ट टाइगर के अतिरिक्त महानिदेशक ने कहा कि सम्मलेन में हिस्सा ले रहे देश अपने ग्लोबल या नेशनल रिकवरी प्रोग्राम की स्थिति और प्रगति पर रिपोर्ट पेश करेंगे, साथ ही सम्मेलन में हिस्सा ले रहे देश बाघ संरक्षण पर भविष्य के घोषणापत्र जारी करेंगे। वर्ष 2010 में सेंट पीटर्सबर्ग में आयोजित ग्लोबल टाइगर समिट में टाइगर रेंज के देशों ने 2022 तक बाघों की संख्या दोगुना करने की प्रतिबद्धता जताई थी, इसके साथ ही ग्लोबल, नेशनल टाइगर रिकवरी प्रोग्राम को भी अपनाया गया था। सम्मेलन का आयोजन पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय, राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण, ग्लोबल टाइगर फोरम, ग्लोबल टाइगर इनिशिएटिव काउंसिल, वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, डब्ल्यूडब्ल्यूएफ और वाइल्ड लाइफ कंजर्वेशन इंडिया जैसे संगठन मिलकर कर रहे हैं।